गणेश चतुर्थी आज
भारत में कुछ त्यौहार धार्मिक पहचान के साथ-साथ क्षेत्र विशेष की संस्कृति
के परिचायक भी हैं। इन त्यौहारों में किसी न किसी रूप में प्रत्येक धर्म के लोग
शामिल रहते हैं। जिस तरह पश्चिम बंगाल की दूर्गा पूजा आज पूरे देश में प्रचलित हो
चुकी है उसी प्रकार महाराष्ट्र में धूमधाम से मनाई जाने वाली गणेश चतुर्थी का
उत्सव भी पूरे देश में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी का यह उत्सव लगभग दस दिनों तक
चलता है जिस कारण इसे गणेशोत्सव भी कहा जाता है। उत्तर भारत में गणेश चतुर्थी को
भगवान श्री गणेश की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।
कब से कब तक मनाया जाता है
गणेशोत्सव
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से गणेश जी का उत्सव गणपति प्रतिमा
की स्थापना कर उनकी पूजा से आरंभ होता है और लगातार दस दिनों तक घर में रखकर अनंत
चतुर्दशी के दिन बप्पा की विदाई की जाती है। इस दिन ढोल नगाड़े बजाते हुए, नाचते गाते हुए गणेश प्रतिमा को विसर्जन के
लिये ले जाया जाता है। विसर्जन के साथ ही गणेशोत्सव की समाप्ति होती है।
गणेश चतुर्थी को क्यों कहते हैं
डंडा चौथ
गणेश जी को ऋद्धि-सिद्धि व बुद्धि का दाता भी माना जाता है। मान्यता है कि
गुरु शिष्य परंपरा के तहत इसी दिन से विद्याध्ययन का शुभारंभ होता था। इस दिन
बच्चे डण्डे बजाकर खेलते भी हैं। इसी कारण कुछ क्षेत्रों में इसे डण्डा चौथ भी
कहते हैं।
कैसे करें गणेश प्रतिमा की स्थापना
व पूजा
गणेश चतुर्थी के दिन प्रात:काल स्नानादि से निवृत होकर गणेश जी की प्रतिमा
बनाई जाती है। यह प्रतिमा सोने, तांबे, मिट्टी या गाय के गोबर से अपने सामर्थ्य के
अनुसार बनाई जा सकती है। इसके पश्चात एक कोरा कलश लेकर उसमें जल भरकर उसे कोरे
कपड़े से बांधा जाता है। तत्पश्चात इस पर गणेश प्रतिमा की स्थापना की जाती है।
इसके बाद प्रतिमा पर सिंदूर चढ़ाकर षोडशोपचार कर उसका पूजन किया जाता है। गणेश जी
को दक्षिणा अर्पित कर उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाया जाता है। गणेश प्रतिमा
के पास पांच लड्डू रखकर बाकि ब्राह्मणों में बांट दिये जाते हैं। गणेश जी की पूजा
सांय के समय करनी चाहिये। पूजा के पश्चात दृष्टि नीची रखते हुए चंद्रमा को अर्घ्य
दिया जाता है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिये। इसके
पश्चात ब्राह्मणों को भोजन करवाकर उन्हें दक्षिणा भी दी जाती है।
गणेश चतुर्थी पर्व तिथि व मुहूर्त 2019
गणेश चतुर्थी 2019
2 सितंबर
मध्याह्न
गणेश पूजा – 11:05 से 13:36
चंद्र दर्शन
से बचने का समय- 08:55 से 21:05 (2 सितंबर 2019)
चतुर्थी
तिथि आरंभ- 04:56 (2 सितंबर 2019)
चतुर्थी
तिथि समाप्त- 01:53 (3 सितंबर 2019)
Reviewed by Kahaniduniya.com
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सितंबर 02, 2019
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