पंख वाली पगड़ी के रहस्य: अकबर-बीरबल की कहानी | Akbar Birbal Kahani : pankh wali pagadi ke rahasya

पंख वाली पगड़ी के रहस्य: अकबर-बीरबल की कहानी
पंख वाली पगड़ी के रहस्य: अकबर बीरबल हिन्दी कहानी

पंख वाली पगड़ी akbar-birbal hindi kahani प्रसिद्ध कहानी में से एक कहानी है जिसमें एक व्यापारी एक सोदागर से सुन्दर अंश खरीद कर अपने घर ले आता है। अंश बहुत ही सुन्दर होता है। जिसे जो भी देखता है। वह देखता ही रहता, क्यांेकि व्यापारी को दूर-दूर व्यापार करने के लिए जाना पड़ता था। फिर व्यापारी उस अंश को अपने घर के पिंजरे में बंद कर देता है। आता जाता उसे देखता रहता है। एक दिन व्यापार के लिए बाहर गया हुआ था जब वापस आया तो देखता कि उसका अंश पिंजरे में नहीं है। अब व्यापारी अपने नौकरों पर शक करता है। बादशाह अकबर के दरबार में जाता है। सारी बात दरबार में बताकर न्याय की मांग करता है। Akbar-Birbal Ki Kahaniyan में व्यापारी न्याय मिलेगा या बीरबल कैसे न्याय करते है। आइये पढ़ते:- 

अकबर बीरबल हिन्दी कहानी | Hindi Akbar Birbal Story

बसंत ऋतु में एक दिन अकबर बादशाह ने बाग मे दरबार लगाने की इच्छा जाहिर की। तुरंत बाग में दरबार लगाया गया जहां बादशाह बैठे थे। अकबर बादशाह के पास ही बीरबल बैठे हुए थे, जो बादशाह की सम्मति लेकर न्याय कर रहे थे। न्याय का काम पांच-छः घंटों तक होता रहा। उपस्थित लोगों का न्याय हो चुका था। उसके बाद एक व्यापारी आया और उसने आकर अपनी अर्जी अकबर बादशाह के सामने रखी। अकबर बादशाह ने बीरबल से उसे पढ़कर सुनाने को कहा। आज्ञानुसार बीरबल ने उसे पढ़कर सुनाया। 

प्रतिष्ठा की कितनी ही पंक्तियों के अतिरिक्त उसमें यह वाक्य लिखा था- 

‘‘मैं अजमेर का रहने वाला हूं। देश-विदेश में फिरकर माल खरीदना-बेचना मेरा काम है। जिस समय मैं बंगाल देशांतर्गत ढाका नगर में पहुंचा तो मैंने वहां एक सौदागर के पास एक राजहंस देखा, जो बहुत सुन्दर और गुणवान था। उसके पंख सोने जैसे थे। मैं उनकी सुन्दरता का वर्णन नहीं कर सकता। सो, आपके महलों में रहने योग्य समझकर मैंने उसको खरीदने का विचार किया और  उस सौदागर को मुंहमांगा दाम (एक हजार रूपये) देकर उसको मोल ले लिया और एक पिंजरे में बंद करके यहां लाया तथा अपने कमरे में उसे टांग दिया। वह पिंजरा हमेशा वहां टंगा रहता था। आज मैं जिस समय अपने घर वापस, आया तो मुझको पिंजरे में हंस नहीं मिला। मुझको शक है कि मेरे सेवकों ने उसे मार डाला है। मैं प्रार्थना करता हूं कि उसकी खोज कराकर अपराधियों को दण्ड देकर न्याय करें।’’

इस फरियाद को सुनकर अकबर बादशाह ने उस व्यापारी के नौकरों को अपने पास बुलाने की आज्ञा दी। आज्ञानुसार उसके सब नौकर कुछ ही देर में दरबार में लाए गए। अकबर बादशाह ने उन सेवकों से अच्छी तरह पूछताछ की। परन्तु जब कुछ पता नहीं चला तो उन्होंने व्यापारी से कहा-‘‘तुम्हारी चोरी का पता नहीं चला। हमने तुम्हारे सब नौकरों से पूछाताछ कर ली। अब तुम्हारा किसी और पर शक हो तो बताओ।’’

यह सुनकर सौदागर का मुंह उतर गया और उसने बीरबल से कहा-

जैसा आज मेंरा न्याय हुआ, यदि ऐसे और भी होते हों तो फिर सच्चा न्याय कौन करता है?’’

बीरबल ने कहा-‘‘धीरज रखो, मैं तुम्हारा न्याय किए देता हूं।’’ फिर बीरबल ने सौदागर के सेवकों को दोबारा बुलाने की आज्ञा दी। सिपाही उन लोगों को रास्ते में से पकड़कर ले आए। कुछ खोज करने के बाद बीरबल उनकी ओर देखकर बोले-‘‘क्यों रे चोर! तेरे मन में क्या विचार है? पक्षी मारकर तू खा गया और उसके पंख यहां पगड़ी में छिपाकर अकबर के दरबार में आया है। वाह! शांबाश तेरे साहस को। इतनी देर से तो तूने स्वीकर नहीं किया। परन्तु अब बोल, क्या कहता है?’’

बीरबल का इस तरह कहना सब दरबारियों ने सुना। सौदागर के सेवकों में पक्षी चुराने वाला भी था। उसने अपने मन में विचार किया कि कहीं मैं भूल से अपनी पगड़ी में पंख तो नहीं रख लाया हूं। ऐसा संदेह कर उसने इस ढंग से धीरे-धीरे पगड़ी पर हाथ फेरना शुरू किया कि किसी भी दरबारी को मालूम न पड़े। सब लोग नौकरों की तरफ देख रहे थे, परन्तु किसी की भी दृष्टि उस चोर पर नहीं पड़ी। लेकिन बीरबल ने उसको ताड़ लिया। उन्होंने उसके सिवाय सबको छोड़ देने की आज्ञा दी। फिर बीरबल ने अनेक प्रकार के प्रश्न किए, परन्तु जब किसी तरह से उसने चोरी करना स्वीकार नहीं किया तो उसको पीटे जाने की आज्ञा दी गई। मार की आज्ञा सुनते ही उसने डर के मारे अपराध तुरंत स्वीकार कर लिया और हंस के जो पंख पगड़ी में छिपा रखे थे, वह निकाल कर दिखा दिए। बीरबल की इस बुद्धिमत्ता से न सिर्फ बादशाह की बल्कि व्यापारी भी बहुत प्रसन्न हुआ। 

निष्कर्ष:-

Akbar-Birbal Ki Kahaniyan से हमें यह शिक्षा मिलती है। कि कभी भी किसी पर आंख बन्द करके भरोसा नहीं करना चाहिए। जैसे इस कहानी में व्यापारी अपने ही नौकर से धोका खां गया और हमेशा हमें सतर्क रहना चाहिए। और बीरबल से हमें सिकना चाहिये विपरित स्थिति में भी हमें हार नहीं माननी चाहिए और बुद्धि का सही इस्तेमाल करना चाहिए। 

पंख वाली पगड़ी के रहस्य: अकबर-बीरबल की कहानी | Akbar Birbal Kahani : pankh wali pagadi ke rahasya पंख वाली पगड़ी के रहस्य: अकबर-बीरबल की कहानी | Akbar Birbal Kahani : pankh wali pagadi ke rahasya Reviewed by Kahaniduniya.com on जून 28, 2023 Rating: 5

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