अकबर बीरबल की हिंदी कहानी - सवाल जैसा, जवाब वैसा : akbar birbal hindi kahani sawal jaisa javaw vaisa

Akbar Birbal Hindi ki kahaniyan|Like Question Like Answer
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अकबर और बीरबल की कहानियाँ कालातीत ज्ञान और हास्य का खजाना हैं। ये कहानियाँ पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही हैं, और वे सभी उम्र के पाठकों को लुभाती रहती हैं। इन कहानियों के सबसे प्रसिद्ध वाक्यांशों में से एक है "सवाल जैसा जवाब वैसा", जिसका अर्थ है कि उत्तर प्रश्न के अनुकूल बनाया गया है। इस लेख में, हम इस वाक्यांश का अर्थ और अकबर और बीरबल की कहानियों के संदर्भ में इसके महत्व का पता लगाएंगे।

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बादशाह अकबर के अपने दरबार में बीरबल सबसे अधिक प्रिय थे। जिसके कारण दरबार के सभी लोग बीरबल से ईर्ष्या करते थे। लेकिन बीरबल अपनी चतुराई से सभी को चुप करा देता था। 

बादशाह अकबर के दरबार में अपने आप को बहुत होशियार समझने वाला दरबारी था, जिसका नाम ख्वाजा साहेब था। ख्वाजा साहेब अपने आप को बहुत अत्यधिक बुद्धिमान मानते थे। 

बीरबल को ख्वाजा साहेब मुर्ख समझते थे। ख्वाजा साहेब बीरबल को बादशाह अकबर के सामने मुर्ख साबित करना चाहते थे। 

इसलिए ख्वाजा साहेब ने बीरबल से अत्यधिक कठिन सवाल पूछने के लिए बादशाह से अनुमति माँगी। क्योंकि ख्वाजा साहेब को यकिन था कि बीरबल उसके सवालों के सही जवाब नहीं दे पायेगा। 

बादशाह अकबर ने बीरबल से कहा ‘‘बीरबल क्या आप ख्वाजा साहेब के प्रश्नों के जवाब के लिए तैयार है?’’

तो बीरबल ने कहा ‘‘हाँ मैं तैयार हूँ।’’

ख्वाजा साहेब ने बीरबल से पहला सवाल पूछा ‘‘संसार का केंद्र का केन्द्र कहा हैं?’’

बीरबल ने जमीन पर एक छड़ी गाड़ कर बोले ‘‘यही पूरे संसार का केंद्र हैं।’’

यदि आपको विश्वास ना हो, तो आप फीते से पूरे संसार को माप लीजिए और मेरे जवाब को गलत साबित कीजिए। 

ख्वाजा साहेब ने बीरबल से दूसरा सवाल पूछा ‘‘आकाश में कितने तारे हैं?’’

इस सवाल के जवाब के लिए बीरबल ने अकबर के दरबार में तुरंत एक भेड़ को मंगवाया और कहा कि ‘‘इस भेड़ के बालों को गिन लीजिए। इस भेड़ के शरीर पर जितने भी बाल होंगे, उतने ही आकाश में तारे भी होंगे।’’

बीरबल के इस जवाब से ख्वाजा साहेब को गुस्सा आसमान पर आ गया। ख्वाजा साहेब ने कहा ‘‘कैसे?’’

बीरबल ने जवाब दिया। ‘‘आप इस भेड़ के शरीर के बालों को गिन ले और आकाश की तारों की संख्या से आप तुलना कर ले।’’

बीरबल ख्वाजा साहेब के चेहरे को देख मन ही मन मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे। 

ख्वाजा साहेब ने बीरबल से तीसरा सवाल पूछा ‘‘संसार की आबादी कितनी है?’’

बीरबल ने जवाब दिया ‘‘पूरे संसार की आबादी पल-पल में घटती बढ़ती हैं। क्योंकि पूरे संसार में पल-पल लोगों का जन्म और मृत्यु होती रहती है।’’

यदि पूरे संसार के लोगों को एक जगह पर एकत्रित कर भी दिया जाये, तभी उन सभी लोगों को गिन कर सही-सही संख्या बतायी जा सकती हैं। 

इस बात पर दरबार के सभी लोग बीरबल की चतुराई को देख कर सभी ताली बजाने लगें 

ख्वाजा साहेब को बीरबल का जवाब सुनकर बहुत अधिक गुस्सा आया। 

ख्वाजा साहेब ने कहा ‘‘बीरबल इस तरह की गोल-मटोल जवाब से काम नहीं चलेगा।’’

बीरबल ने कहा ‘‘जैसा आपका सवाल है, वैसा-वैसा मेरा जवाब हैं। यदि आप मेरे जवाब से संतुष्ट नहीं है तो मुझे गलत साबित करके दिखाए।’’

ख्वाजा साहेब बिना कुछ कहे दरबार से चले गये।

निष्कर्ष

"सवाल जैसा जावब वैसा" वाक्यांश अकबर और बीरबल की कहानियों का एक महत्वपूर्ण पहलू है। यह कठिन परिस्थितियों पर काबू पाने में बुद्धि, बुद्धिमत्ता और हास्य की शक्ति को दर्शाता है। अकबर ने अपनी कहानियों के माध्यम से जीवन की चुनौतियों का सामना करने में इन गुणों के महत्व पर प्रकाश डाला। किसी भी प्रश्न का चतुराई से उत्तर देने की बीरबल की क्षमता ने न केवल अकबर को प्रभावित किया बल्कि उन्हें बुद्धिमान निर्णय लेने और जटिल समस्याओं को हल करने में भी मदद की। ये कहानियाँ सभी उम्र के पाठकों को लुभाती हैं, और वे कालातीत ज्ञान और हास्य प्रदान करती हैं जो आज भी प्रासंगिक है।




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