नैतिक मूल्य और मानवता: अकबर बीरबल की हिन्दी कहानी

 नैतिक मूल्य और मानवता: अकबर बीरबल की हिन्दी कहानी


 नैतिक मूल्य और मानवता: अकबर बीरबल हिन्दी कहानी

अकबर और बीरबल की कहानी भारतीय लोककथाओं में सबसे लोकप्रिय और प्रसिद्ध कहानियों में से एक है। यह पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होता रहा है और हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा बन गया है। कहानियाँ न केवल मनोरंजक हैं, बल्कि महत्वपूर्ण नैतिक मूल्यों और जीवन की सीख भी देती हैं। ऐसी ही एक कहानी है नैतिक मूल्यों और मानवता के महत्व के बारे में।

अकबर बीरबल हिन्दी कहानी | Hindi Story

अकबर बादशाह को बुढ़ापे में शराब पीने का शौक लगा। दिनभर तो वे अपने कामकाज में लगे रहते थे, रात्रि के वक्त अपने कुछ सभासदों के साथ बातें करते और थोड़ी शराब पी लेते थे। यद्यपि वह ऐसा छिपकर करते थे, फिर भी उनकी बातचीत के ढंग से बीरबल को एक दिन इसका पता लग ही गया। इसके बाद बीरबल ने एक दिन उन्हें पीते हुए भी देख लिया और तभी अकबर बादशाह की इस बुरी तल को छुड़ाने का प्रण किया। 

जिस कमरे में अकबर बादशाह शराब रखते थे, एक दिन बीरबल वहां गए और वहां की प्रत्येक वस्तु को उन्होंने ध्यान से दखा। उसके बाद वहां की चीजें तितर-बितर करके शराब की बोतल बगल में दबाकर दुशाले से ढ़ककर तेजी से बाहर चले आए। बीरबल को कुछ ले जाते देखकर अकबर बादशाह को संदेह अवश्य हुआ। किन्तु यह सोचकर चुप हो गए कि कोई आवश्यक कागजात ले जाते होंगे। 

उनके जाने के बाद कुछ आवश्यक बातें बादशाह को जानने की जरूरत पड़ीं। उन्होंने बीरबल को बुलाया। बगल में वही वस्तु दबाए हुए बीरबल बादशाह अकबर के सामने हाजिर हुए। बातचीत करते समय बादशाह का ध्यान उनकी बगल की तरफ गया तो इस बार वह पूछ ही बैठे-‘‘बीरबल! यह बगल में क्या दबाए बैठे हो?’’

‘‘जहांपनाह! कुछ भी तो नहीं है?’’ बीरबल ने जवाब दिया। बीरबल के जवाब से अकबर बादशाह की उत्सुकता और बढ़ी। उन्होंने फिर पूछा तो बीरबल बोले-‘‘हुजूर! तोता है।’’

अकबर बादशाह के चेहरे पर इस बात की नाराजगी जाहिर हुई और वह बोले-‘‘सच-सच क्यों नहीं बताते क्या है?’’

बीरबल ने अपने स्वाभाविक ढंग से जवाब दिया-‘‘घोड़ा है।’’

अकबर बादशाह को ताज्जुब हुआ और उन्होंने सोचा कि आज बीरबल कहीं भांग तो पीकर नहीं आए हैं। वह बोले-‘‘बीरबल! आज तुम्हें क्या हो गया है, जो बेसिर-पैर की बातें करते हो। ठीक-ठीक क्यांे नहीं बताते?’’

इस बार बीरबल ने कहा-‘‘हुजूर! हाथी है।’’

अकबर बादशाह ने अब तक तो सब बातें हंसी में टाल दी थीं। किन्तु अब उनकी नाराजगी की कोई हद नहीं रही। उन्होंने नाराज होकर कहा-‘‘क्या आज तुम्हारा काल नजदीक आ गया है?’’

यह सुनकर बीरबल बोले-‘‘हुजूर! गधा है।’’

अकबर बादशाह को अब पूरा विश्वास हो गया कि धमकियों से काम नहीं चलेगा, इसलिए उन्होंने बीरबल से सरल भाव से पूछा तो बीरबल ने सच कह दिया-‘‘हुजूर! शराब है।’’ और यह कहकर बोतल उनके सामने रख दी। 

बीरबल के हाथ में शराब की बोतल देखकर अकबर बादशाह अचंभे में पड़ गए। उनके मन में इस तरह की कल्पना भी नहीं हुई थी। वह जानते थे कि बीरबल कट्टर सनातनधर्मी हैं। फिर आज ऐसा क्यों? आखिर उनका गुस्सा किसी तरह शांत हुआ। उन्होंने बीरबल को घर जाने की आज्ञा दे दी और एक चपरासी को यह कहकर उनके साथ कर दिया कि उन्हें सकुशल घर तक पहुंचा देना, क्योंकि अकबर बादशाह के दिल में यह बात गहरी बैठ गई थी कि बीरबल आज बिलकुल होश में नहीं हैं और अवश्य ही उन्होंने अधिक शराब पी है। 

उस वक्त तो बीरबल वहां से चले आए और दिनभर वह घर पर ही रहे। अगले दिन अकबर बादशाह ने बीरबल को देखकर पूछा-‘‘तबियत तो अच्छी है?’’

बीरबल बोले-‘‘मेरी तबीयत खराब ही कब थी?’’

यह सुनकर अकबर बोले-‘‘यदि खराब न होती तो क्या बोतल बगल में दबाकर पूछने पर यह उत्तर देते कि तोता है, गधा है, घोड़ा है, हाथी है, कुछ नहीं है।’’

बीरबल ने अच्छा अवसर हाथ में आया देखकर कहा-‘‘जहांपनाह! मैं उस समय न तो बेहोश था, न मैंने शराब पी थी। मैंने जो कुछ भी कहा था, वह सोलह आने सच था। जरा आप भी गौर कीजिए। 

पहले जब आपने मुझसे पूछा कि बगल में क्या है तो जवाब में मैंने कहा, कुछ नहीं। यह बात सच ही है कि शराब का पहला प्याल पी जाने पर मनुष्य को कुछ भी मालूम नहीं होता। लेकिन दूसरा प्याला पीते ही उसकी जुबान तुतलाने लगती है। इसी कारण मैंने आपके दोबारा सवाल करने पर कहा था कि तोता है। फिर शराब का तीसरा प्याला पीते ही शराब पीने वाला घोड़े की तरह हिनहिनाने लगता है। इसलिए आपके तीसरी बार पूछने पर मैंने घोड़ा कहा था। 

उसके बाद चौथा प्याला पीते ही उसकी दशा मतवाले हाथी की तरह हो जाती है। अतः मैंने कहा हाथी है। इसके बाद पांचवां प्याला पीते ही गधे के समान हो जाता है, जहां चाहो उसे ले जाओ, यदि चाहो तो उस पर सामान भी लाद दो, वह लेकर चलेगा। इसलिए मैंने कहा था कि गधा है। अब रहा छठा प्याला, जिसको पीते ही मनुष्य अपनी चेतना खो बैठता है। इसलिए अंत में मैंने बोतल सामने रख दी। सुना है कि एक बोतल में छः प्याले शराब होती है जिसको पीने से अलग-अलग असर भी होता है। 

अकबर बादशाह यह सुनकर बड़े खुश हुए। कुछ देर बाद उन्हें शराब पीने की लालसा हुई, जैसे ही वे अपने कमरे में गए जहां कि वह शराब रखते थे तो देखते हैं कि वहां सारी चीजें इधर-उधर बिखरी पड़ी हैं और बोतल गायब है। अब तो अकबर बादशाह समझ गए कि बीरबल को यह बात मालूम हो गई थी और इसीलिए छिपे तौर पर मेरे हित के लिए ही मुझे चेतावनी दी है। तब से अकबर बादशाह ने शराब पीना बिल्कुल बंद कर दिया।

निष्कर्ष

अकबर और बीरबल की कहानी हमें सिखाती है कि एक अच्छा इंसान बनना जीवन में किसी भी चीज़ से ज्यादा महत्वपूर्ण है। अमीर, शक्तिशाली या सफल होना ही पर्याप्त नहीं है; हमें दूसरों के प्रति दयालु, दयालु और देखभाल करने वाला भी होना चाहिए। आज की दुनिया में, जहां लालच और स्वार्थ को अक्सर पुरस्कृत किया जाता है, नैतिक मूल्यों और मानवता के महत्व को याद रखना महत्वपूर्ण है। हमें अच्छे इंसान बनने का प्रयास करना चाहिए और दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के लिए अपने ज्ञान और संसाधनों का उपयोग करना चाहिए।


नैतिक मूल्य और मानवता: अकबर बीरबल की हिन्दी कहानी नैतिक मूल्य और मानवता: अकबर बीरबल की हिन्दी कहानी Reviewed by Kahaniduniya.com on जून 22, 2023 Rating: 5

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