आपस की फूट : पंचतंत्र की हिन्दी कहानियां : Aapas Ki Phoot : Hindi Stories of Panchatantra |
प्राचीन समय में एक विचित्र पक्षी रहता था। उसका धड़ एक ही था, परन्तु सिर दो थे नाम था उसका भारूंड। एक शरीर होने के बावजूद उसके सिरों में एकता नहीं थी और न ही था तालमेल। वे एक दूसरे से बैर रखते थे। हर जीव सोचने समझने का काम दिमाग से करता है। सिर में दो सिर होने के कारण भारूंड के दिमाग भी दो थे। जिनमें से एक पूरब जाने की सोचता तो दूसरा पश्चिम। फल यह होता था कि टांगें एक कदम पश्चिम की ओर और भारूंड स्वयं को वही खडा पाता था। भारूंड का जीवन बस दो सिरों के बीच रस्साकसी बनकर रह गया था।
एक दिन भारूंड भोजन की तलाश में नदी तट पर धूम रहा था कि एक सिर को नीचे गिरा एक फल नजर आया। उसने चोंच मारकर उसे चखकर देखा तो जीभ चटकाने लगा ‘वाह! ऐसा स्वादिष्ट फल तो मैंने आज तक कभी नहीं खाया।
भगवान ने दुनिया में क्या-क्या चीजें बनाई हैं।’
‘अच्छा! जरा मैं भी चखकर देखूं।’ कहकर दूसरे ने अपनी चोंच उस फल की ओर बढ़ाई ही थी कि पहले सिर ने झटककर दूसरे सिर को दूर फेंका और बोला ‘अपनी गंदी चोंच इस फल से दूर ही रख। यह फल मैंने पाया है और इसे मैं ही खाऊंगा।’
‘अरे! हम् दोनों एक ही शरीर के भाग हैं। खाने-पीने की चीजें तो हमें बांटकर खानी चाहिए।’ दूसरे सिर ने दलील दी। पहला सिर कहने लगा ठीक! हम एक शरीर के भाग हैं। पेट हमारा एक ही है। मैं इस फल को खाऊंगा तो वह पेट में ही तो जाएगा और पेट तेरा भी है।’
दूसरा सिर बोला ‘खाने का मतलब केवल पेट भरना ही नहीं होता भाई। जीभ का स्वाद भी तो कोई चीज है। मन को संतुष्टि तो जीभ से ही मिलती है। खाने का असली मजा तो मुंह में ही है।’
पहला सिर तुनककर चिढ़ाने वाले स्वर में बोला ‘मैंने तेरी जीभ और खाने के मजे का ठेका थोड़े ही ले रखा है। फल खाने के बाद पेट से डकार आएगी। वह डकार तेरे मुंह से भी निकलेगी। उसी से गुजारा चला लेना। अब ज्यादा बकवास न कर और मुझे शांति से फल खाने दें। ऐसा कहकर पहला सिर चटकारे ले-लेकर फल खाने लगा।
इस घटना के बाद दूसरे सिर ने बदला लेने की ठान ली और मौके की तलाश में रहने लगा। कुछ दिन बाद फिर भारूंड भोजन की तलाश में घूम रहा था कि दूसरे सिर की नजर एक फल पर पड़ी उसे जिस चीज की तलाश थी, उसे वह मिल गई थी। दूसरा सिर उस फल पर चोंच मारने ही जा रहा था कि कि पहले सिर ने चखकर चेतावनी दी ‘अरे़,! इस फल को मत खाना। क्या तुझे पता नहीं कि यह विषैला फल है? इसे खाने पर मृत्यु भी हो सकती है।
दूसरा सिर हंसा ‘हे हे हे! तू चुपचाप अपना काम देख। तुझे क्या लेना है कि मैं क्या खा रहा हूं? भूल गया उस दिन की बात?’
पहले सिर ने समझाने कि कोशिश की ‘तुने यह फल खा लिया तो हम दोनों मर जाएंगे।’
दूसरा सिर तो बदला लेने पर उतारू था। बोला ‘मैंने तेरे मरने-जीने का ठेका थोड़े ही ले रखा है ? मैं जो खाना चाहता हूं, वह खाऊंगा चाहे उसका नतीजा कुछ भी हो। अब मुझे शांति से विषैला फल खाने दे।’
दूसरे सिर ने सारा विषैला फल खा लिया और भारूंड तड़प-तड़पकर मर गया।
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