कामचोर बन्दर : पंचतंत्र की हिन्दी कहानियां : Doodle monkey : Hindi Stories of Panchatantra |
वन में एक बन्दर था जो जानवरों में सबसे चालाक था। एक दिन हाथी और भालू एक साथ बैठे थे। वे सभी परेशान थे। उनकी परेशानी यह थी कि जब दूरदराज से उनके नाम की कोई चिट्टी आती थी तो उसे लाने में जिराफ काफी समय लगाता था। वगैर पैसे दिए कोई भी चिट्टी उन्हें नहीं मिलती थी।
एक दिन सबने बैठकर एकमत से सहमत होकर यह निश्चय किया कि वन का डाकिया बन्दर को बनाया जाए क्योंकि वह चुस्त और चालाक भी है। उसी दिन से बन्दर को वन का डाकिया बना दिया गया। बन्दर समय पर सभी को डाक लाकर दे देता था। बन्दर ने देखा कि उसे सभी चाहते हैं तो उसने पैसों जगह हर एक से केला लेना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे बन्दर कामचोर हो गया और उसकी कामचोरी बढ़ती गई। फिर धीरे-धीरे उसने सभी से पैसे लेना शुरू कर दिया।
जब सभी ने देखा कि बन्दर कामचोर हो गया है और सभी से पैसे लेने लगा है तो सबने बैठकर वन में एक बैठक आयोजित की और सर्वसम्मति से निर्णय पारित किया कि अब बन्दर को हटा दिया जाए और भालू को डाकिया बना दिया जाय।
परन्तु इसी बीच हाथी बीच में कूद पड़ा और बोला अब इस जंगल में कोई डाकिया नहीं बनेगा। तो सभी जानवरों ने उससे कहा कि नया डाकिया नहीं बनेगा तो हम लोंगो को चिट्टी कैसे मिलेगी। हाथी ने कहा - अब शहर में अपने नाते रिश्तेदारों दोस्तों भाई बहिनों और माता-पिता को यह संदेश भिजवा दो कि वे अब चिट्टी न लिखे तो आप सभी आगे देखेंगे कि बन्दर घर में बैठा रहेगा।
भालू ने कहा भाई आपका आइडिया बहुत अच्छा है मगर अगर शहर में किसी को कुछ हो गया तो खबर कैसे पता लगेगी। सभी जानवर एक साथ बोले हाँ हाँ बताओ कैसे पता चलेगा?
हाथी ने कहा - सब शांत होकर मेरी बात सूनो हम सब मिलकर एक साथ वन में एक बूथ खोलेेंगे और जब नंबर लगायेंगे तो बात हो जाया करेगी। सभी जानवर अपने-अपने घरों में टेलीफोन लगा ले जिससे उन्हें कभी डाकिये के भरोसे रहना नहीं पड़ेगा। यह सुनकर सभी जानवर बहुत खुश हो गए। यह सब बाते बन्दर सुन रहा था उसे अपनी भूल का एहसास हुआ। उसने बहुत पश्चाताप किया और सभी जानवरों से माफी मांगी।
कोई टिप्पणी नहीं: