अकबर और बीरबल जोरू का गुलाम | टेढ़ा सवाल | तीन-तीन गधों का बोझ | तीन सवाल

जोरू का गुलाम 
बादशाह अकबर और बीरबल बातें कर रहे थे। बात मियां-बीवी के रिश्ते पर चल निकली तो बीरबल ने कहा-‘‘ अधिकतर मर्द जोरू के गुलाम होते हैं और अपनी बीवी से डरते हैं।‘‘  ‘‘मैं नहीं मानता।‘‘ बादशाह ने कहा।   ‘‘हुजूर, मैं सिद्ध कर सकता हूं।‘‘ बीरबल ने कहा।   ‘‘सिद्ध करो‘‘  ‘‘ठीक है, आप ही से आज आदेश जारी करें कि किसी के भी अपने बीवी से डरने की बात साबित हो जाती है तो उसे एक मुर्गा दरबार में बीरबल के पास में जमा करना होगा।‘‘  बादशाह ने आदेश जारी कर दिया।   कुछ ही दिनों में बीरबल के पास ढेरों मूर्गे जमा हो गए, तब उसने बादशाह से कहा-‘‘हुजूर, अब तो इतने मुर्गे जमा हो गए हैं कि आप मुर्गीखाना खोल सकते हैं। अतः अपना आदेश वापस ले लें।‘‘

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बादशाह अकबर और बीरबल बातें कर रहे थे। बात मियां-बीवी के रिश्ते पर चल निकली तो बीरबल ने कहा-‘‘ अधिकतर मर्द जोरू के गुलाम होते हैं और अपनी बीवी से डरते हैं।‘‘

‘‘मैं नहीं मानता।‘‘ बादशाह ने कहा। 

‘‘हुजूर, मैं सिद्ध कर सकता हूं।‘‘ बीरबल ने कहा। 

‘‘सिद्ध करो‘‘

‘‘ठीक है, आप ही से आज आदेश जारी करें कि किसी के भी अपने बीवी से डरने की बात साबित हो जाती है तो उसे एक मुर्गा दरबार में बीरबल के पास में जमा करना होगा।‘‘

बादशाह ने आदेश जारी कर दिया। 

कुछ ही दिनों में बीरबल के पास ढेरों मूर्गे जमा हो गए, तब उसने बादशाह से कहा-‘‘हुजूर, अब तो इतने मुर्गे जमा हो गए हैं कि आप मुर्गीखाना खोल सकते हैं। अतः अपना आदेश वापस ले लें।‘‘

बादशाह को न जाने क्या मजाक सूझा कि उन्होंने अपना आदेश वापस लेने से इंकार कर दिया। खीजकर बीरबल लौट गया। अगले दिन बीरबल दरबार में आया तो बादशाह अकबर से बोला-हुजूर, विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि पड़ोसी राजा की पुत्री बेहद खूबसूरत है, आप कहें तो आपके विवाह का प्रस्ताव भेजूं?‘‘

‘‘यह क्या कह रहे हो तुम, कुछ तो सोचो, जनानाखाने में पहले ही दो हैं, अगर उन्होंने सुन लिया तो मेरी खैर नहीं।‘‘ बादशाह ने कहा। 

‘‘हुजूर, दो मुर्गे आप भी दे दों।‘‘ बीरबल ने कहा। 

बीरबल की बात सुनकर बादशाह झेंप गए। उन्होंने तुरंत अपना आदेश वापस ले लिया। 

टेढ़ा सवाल

एक दिन अकबर और बीरबल वन-विहार के लिए गए। एक टेढ़े पेड़ की ओर इशारा करके अकबर ने बीरबल से पूछा ‘‘यह दरख्त टेढा क्यों हैं? बीरबल ने जवाब दिया ‘‘यह इस लिए टेढा हैं क्योंकि ये जंगल के जमाम दरख्तो का साला हैं। बादशाह ने पूछा तुम ऐसा कैसे कह सकते हो ? बीरबल ने कहा दुनिया में यह बात मशहुर हैं कि कुत्ते की दुम और साले हमेशा टेढे होते हैं। अकबर ने पूछा क्या मेरा साला भी टेढ़ा है? बीरबल ने फौरन कहा बेशक जहांपनाह! टकबर ने कहा फिर मेरे टेढे साले को फांसी चढ़ा दो!



एक दिन बीरबल ने फांसी लगाने की तीन तक्ते बनवाए ‘‘एक सोने का, एक चांदी का और एक लोहे का।‘‘ उन्हें देखकर अकबर ने पूछा-तीन तख्ते किस लिए? बीरबल ने कहा ‘‘गरीबनवाज, सोने का आपके लिए, चांदी का मेरे लिए और लोहे का तख्ता सरकारी साले साहब के लिए। अकबर ने अचरज से पूछा मुझे और तुम्हे फांसी किसलिए, बीरबल ने कहा ‘‘क्यों नहीं जहांपनाह आखिर हम भी तो किसी के साले हैं। बादशाह अकबर हंस पड़े, सरकारी साले साहब के जान में जान आई। वह बाइज्जत बरी हो गया। 

तीन-तीन गधों का बोझ 

बादशाह और उसके दो पुत्रो को नदी में नहाने का शौक था। बीरबल भी कभी-कभी उनके साथ नदी जाता था पर कभी नदी में नहाता नही था। बादशाह और उसके दो पुत्र एक दिन बीरबल के साथ नदी में नहाने गए और नदी में नहाने लगे। बीरबल नदी के किनारे जाकर बैठ गया और बादशाह उसके पुत्रों के वस्त्रों की नदी किनारे रखवाली करने लगा। बीरबल ने उनके वस्त्र अपने कधों पर टांग लिये। बादशाह को बीरबल को हमेशा से छेड़ते रहने की आदत थी। नदी में खड़े-खड़े बादशाह सलामत ने बीरबल को छेड़ा और कहा कि ऐसा लगता है कि तुम्हारे कंधो पर एक गधे का बोझ लदा है। 

बीरबल भला कब चुप रहने वाले थे तुंरत बोले, ‘‘हुजूर एक नही दो नही तीन गधों का‘‘

बादशाह यह सुनकर फौरन चुप्पी साध गए क्योंकि तीनो के वस्त्र बीरबल ने अपने कंधो पर लटका रखे थे। 

तीन सवाल 

महाराज अकबर, बीरबल की हाजिरजवाबी के बड़े कायल थे। उनकी इस बात से दरबार के अन्य मंत्री म नही मन बहुत जलते थे। उनमें से एक मंत्री, जो महामंत्री का पद पाने का लोभी मालूम था कि जब तक बीरबल दरबार में मुख्य सलाहकार के रूप में है उसकी यह इच्छा कभी पूरी नहीं हो सकती।

एक दिन दरबार में अकबर ने बीरबल की हाजिरजवाबी की बहुत प्रशंसा की। यह सब सुनकर उस मंत्री को बहुत गुस्सा आया। उसने महाराज से कहा कि यदि बीरबल मेरे तीन सवालों का उत्तर सही-सही दे देता है तो मैं उसकी बुद्धिमता को स्वीकार कर लुंगा और यदि नही ंतो इससे यह सिद्ध होता है कि वह महाराज का चापलूस है। अकबर को मालूम था कि बीरबल उसके सवालों का जवाब जरूर दे देगा इसलिये उन्होंने उस मंत्री की बात स्वीकार कर ली। 

उस मंत्री के तीन सवाल थे-

आकाश में कितने तारे हैं?
धरती का केन्द्र कहाँ है?
सरे संसार में कितने स्त्री और कितने पुरूष हैं? 
अकबर ने फौरन बीरबल से इन सवालों के जवाब देने के लिये कहा। और शर्त रखी कि यदि वह इनका उत्तर नहीं जानता है तो मुख्य सलाहकार का पद छोड़ने के लिये तैयार रहे। 

बीरबल ने कहा, ‘‘तो सुनिये महाराज‘‘

पहला सवाल- बीरबल ने एक भेड मँगवायी। और कहा जितने बाल इस भेड के शरीर पर हैं आकाश में उतने ही तारे हैं। मेरे दोस्त, गिनकर तस्सली कर लो, बीरबल ने मंत्री की तरफ मुस्कुराते हुए कहा। 

दूसरा सवाल - बीरबल ने जमीन पर कुछ लकीरें खिंची और कुछ हिसाब लगाया। फिर एक लोहे की छड़ मँगवायी गयी और उसे एक जगह गाड़ दिया और बीरबल ने महाराज से कहा, ‘‘महाराज बिल्कुल इसी जगह धरती का केन्द्र है, चाहे तो आप स्वयं जाँच ले‘‘। महाराज बोले ठीक है अब तीसरे सवाल के बारे में कहो। 

अब महाराज तीसरे सवाल का जवाब बड़ा मुश्किल है। क्योंकि इस दुनीया में कुछ लोग ऐसे हैं जो ना तो स्त्री की श्रेणी में आते हैं और ना ही पुरूष की श्रेणी। उनमें से कुछ लोग तो हमारे दरबार में भी उपस्थित हैं जैसे कि ये मंत्री जी। महाराज यदि आप इनको मौत के घाट उतरवा दे ंतो मैं स्त्री-पुरूष की सही-सही संख्या बता सकता हूँ। अब मंत्री जी सवालों का जवाब छोड़कर थर-थर काँपने लगे और महाराज से बोले, ‘‘महाराज बस-बस मुझे मेरे सवालों का जवाब मिल गया। मैं बीरबल की बुद्धिमानी को मान गया हूँ‘‘।

महाराज हमेशा तरह बीरबल की तरफ पीठ करके हँसने लगे और इसी बीच वह मंत्री दरबार से खिसक लिया। 
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