श्रीराम की सीख दिलाएगी विजय

 श्रीराम की सीख दिलाएगी विजय 


        याद करें जब आप छोटे हुआ करते थे। जब भी किसी गलत चीज की जिद करते तो बड़े किसी न किसी कहानी के माध्यम से उस काम को न करने या वह काम क्यों नहीं करना चाहिए यह बताते थे। कहानी सुनने और उसका मकसद समझने के बाद आप उस काम को कभी नहीं करते फिर। अपने भाई-बहन को भी ऐसा न करने को कहते थे। आज ऐसा ही कुछ करते हैं। मर्यादा पुरूषोत्तम राम की कहानी हम सब जानते है। संस्कृत, प्राकृत, पालि, कन्नड़ अन्य कई भाषाओं के महाकवि, लोक परंपरा, बोलियों में भी रामकथा के रूप हैं। पर एक चीज जो अलग नहीं होगी उनके जीवन से मिली सीख। कोरोना के इस कठिन काला में श्रीराम की बातों को अपने जीवन में उतारने का एक नए तरीके से प्रयास करें। 

 श्रीराम

अच्छाई की जीत बुराई पर 

रामायण का सार है कि बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो पर अंत में अपनी अच्छी नीयत अच्छे गुणों के कारण सच्चाई की ही जीत होती है। 

सीख: कोरोना अपने कितने भी बुरे स्तर पर क्यों न हो अगर हम ईमानदारी के साथ अच्छी तरह हाथ साफ करेंगे, बिना वजह बाहर नहीं जायेंगे, मास्क व सैनिटाइजर का प्रयोग करेंगे तो जीत हमारी ही होगी। कोरोना को हराने के लिए सर्तक कहें। 

Ram Navami 2021

विविधता में एकता 

राजा दशरथ की तीनों रानी और चारों बेटों का स्वभाव अलग है। इस विविधता के बावजूद उनमें किस तरह की एकजुटता रहती है यह हर परिवार के लिए दुख के समय से बाहर निकलने का उदाहरण है। 

सीख: कोरोना की वजह से लोगों ने अपनों से ही दूरियां बना ली है। ऐसे समय अपनों से मुंह न मोड़े। आप दूर रहकर भी उनका मनोबल बढ़ा सकते हैं। उन्हें सकारात्मक ऊर्जा दे सकते हैं। जो लोग एक छत के नीचे परिवार के संग रह रहे हैं। वे एकजुटता के साथ एक-दूसरे का ख्याल रखें। 

HappyRam Navami 2021

पैसे से महत्वपूर्ण हैं रिश्ते 

राम व उनके भाईयों का प्यार ऐसा था जहां लालच, विश्वासघात आदि घर नहीं कर पाया। यह रिश्ते महत्वपूर्ण एक बड़ा उदाहरण है। लक्ष्मण ने 14 सााल तक भाई राम के साथ वनवास काटा वहीं दूसरे भाई कैकयी के पुत्र भरत ने राजगद्दी को ठुकरा दिया। भरत चाहते थे कि राम राजकाज सभालें जब राम नहीं माने तो उन्होंने उनका खड़ाऊ रखकर राजकाज संभाला। भाइयों का यह प्यार हमें लालच, सांसारिक सुखों के बजाय रिश्तों को महत्व देने के लिए प्रेरित करता है। 

सीख: थोड़े से पैसे आने के बाद हम रिश्तेदार क्या अपने सगे भाई-बहन से मुंह मोड़ लेते है। माता-पिता को वृद्धाश्रम पहुंचाने में संकोच नहीं करते। कोरोना ने हमें अपनो का महत्व और ज्यादा सिखा दिया है। हमें अहसास करवा दिया है कि जिंदगी का कोई ठिकाना नहीं। पैसे देकर भी इसे खरीदा नहीं जा सकता। इसलिए हर रिश्ते के महत्व को समझें। 

Navami

एक समान व्यवहार 

भगवान राम सबको सम्मान देते थे। उनके लिए रूतबा, उम्र लिंग आदि में कोई अंतर नहीं था। वे किसी के साथ भेदभाव नहीं करते थे। अपने जीवन से उन्होंने पशुओं से भी प्यार और दयालुता की मिसाल पेश की। शबरी के जूठे बेर चखे। केवट की मदद से नदी पार की। कहते हैं कि उन्होंने वनवासी और आदिवासियों के अलावा निषाद, वानर, मतंग और रिछ समाज के लोगों को भी धर्म, कर्म और वेदों की शिक्षा दी। 

सीख: कोरोना की वजह से कईयों ने अपना सब कुछ खो दिया है। नौकरियां गई हैं, अपनों से सदा के लिए दूर हुए हैं। खाने को मोहताज हुए हैं। ऐसे में हमें सबकी मदद करनी चाहिए। जात-पात से दूर रहें। जो लोग हमसे दूर हुए उनकी जिंदगी से सबक लें। 


विश्वास की शक्ति 

राम ने लंका तक पहुंचने के लिए और पुल बनाने के लिए वानर सेना पर विश्वास किया। वहीं वानर सेना को भी अपने प्रभु श्रीराम पर अटूट विश्वास था। तभी तो भगवान का नाम लिखने मात्र से ही पत्थर तैरने लगे। लंका पहुंचना आसान हुआ। 

सीख: राम ने यह बताया कि हमें विश्वास करना सीखना होगा। उन्होंने माना समय एक-सा नहीं होगा। जीत हमें जरूर मिलेगी। आपको खुद पर और अपने से ज्यादा उस परमात्मा पर विश्वास करना होगा। 


समय गुजर जाएगा 

हमें तो बहुत थोड़े समय के लिए क्वारंटीन होने या एक-दूसरे से नहीं मिलने की सलाह दी जा रही है। भगवान राम के बारे में सोचिए। क्या 14 साल अपनों से अलग रहना आसान होता है। उन्होंने तो उस समय को बिना अपनी प्रजा व अपने प्रिय भाई और मां के बिना धैर्य के साथ काटा। 

सीख: देखेंगे और समझेंगे तो पाएंगे कि इस समय जो हम मानसिंक तौर पर परेशान है, वह परेशानी और समय तो वनवास के सामने कुछ भी नहीं। याद रखें समय तो गुजर जाएगा। बस समय का सदुपयोग करें और सकारात्मक बने रहें। 


लिखे गए ग्रंथ 

 प्रभु श्रीराम पर वैसे तो कई ग्रंथ लिख गए लेकिन वाल्मीकि कृत राममायण ही प्रामाणिक ग्रंथ माना जाता है। यह मूल संस्कृत में लिखा गया ग्रंथ है। गोस्वामी तुलसीदास ने अवधि भाषा में रामचरित मानस लिखी जो आज सबसे अधिक प्रचलित है। तमिल भाषा में कम्बन रामायण, असम में असमी रामायण, उड़िया में विलंका रामायण, कन्नड़ मंे पंप रामायण, कश्मीर में कश्मीरी रामायण, बंगाली में रामायण पांचाली, मराठी में भावार्थ रामायण आदि भारतीय भाषाओं में प्राचीन काल में ही रामायण लिखी गई। विदेशी में कंपूचिया की रामकेर्ति या रिआमकेर रामायण, लाओस फ्रलक-फ्रलाम (रामजातक), मलेशिया की हिकायत सेरीराम, थाईलैंड की रामकियेन और नेपाल में भानुभक्त कृत रामायण आदि प्रचलित हैं। 


प्रभु श्रीराम अनूठे है 

       मंजिल सामने खड़ी है, पर पैरों में बेड़ी पड़ी है। ऐसा बहुत से लोगों के साथ हो जाता है पूरे प्रयास करने के बाद भी जीवन मे सफलता थोड़ी दूर रह जाती है। श्रीराम ने ऐसे लोगों के साथ बहुत अच्छा व्यवहार किया है। पूरी रामकथा में उन्होंने कुछ लोगों को ऐसे अवसर दिए कि वो प्रतिष्ठित हो गए। उनकी इस तरह से मदद की कि ख्यात हो गए। लगभग बारह लोग ऐसे हैं- निषाद, सुग्रीव, अंगद, जामवंत, नल-नील, सुषैण, विभीषण, शबरी,जटायु, त्रिजटा, संपाति और सबसे अंत में सबसे ऊपर हनुमान। ये जितने पात्र रामकथा में आए हैं, योग्य थे। उनके पास देश-काल परिस्थिति बड़ी अनुकूल थी। इनके भीतर काकर्ता बड़ा सक्षम था, कर्म अच्छे थे, लेकिन फिर भी कहीं न कहीं सफलता से दूर थे। राम ने प्रत्येक पात्र का मनोविज्ञान जाना और उसे अपने से जोड़कर अवसर दिया कि वह राम की मदद कर सके। बड़े लोगों की विशेषता होती है दूसरों से मदद लेकर उनको मान-सम्मान दिलाना। राम इसीलिए अनूठे हो जाते हैं। इस समय जो दौर दुनिया देख रही है, इसमें जिम्मेदार लोगों को राम की भूमिका निभाना चाहिए। लेकिन आम जन को तो ऐसा लग रहा है जैसे उसके सारे ही अवसर लूट लिए गए। आज श्रीराम नवमी है, और राम जन्मदिवस पर रामभक्त इतने लाचार शायद पहले कभी नहीं देखे गए। 


श्रीराम की सीख दिलाएगी विजय श्रीराम की सीख दिलाएगी विजय Reviewed by Kahaniduniya.com on अप्रैल 22, 2021 Rating: 5

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