शिव खेङा



कहा जाता है कि विपरीत परिस्थिति आने पर कुछ लोग टूट जाते हैं और उनके अंदर निराशा घर कर जाती है। परन्‍तु इसके विपरीत कुछ लोग विपरीत परिस्थिति आने पर भी टूटते नहीं हैं और परिस्थति से लङते हुए सफलता के नए कीर्तिमान स्‍थापित करते हैं।

फिर ऐसे व्‍यक्ति अपने अनुभव और चिंतन से दुनिया को भी सफलता और खुशी की राह दिखाते हैं। ऐसे ही व्‍यक्तियों में से एक है शिव खेङा संघर्षो से जूझते हुए शिव खेङा ने अपना वह मुकाम बनाया है जहाँ से वह औरों के जीवन ही निराशा को आशा में परिवर्तन करने का भागीरथ प्रयास कर रहे हैं।

शिव खेङा दुनिया के उन प्रभावशाली वक्‍ताओं, लेखकों और चिंतकों में से एक हैं जिन्‍होंने लाखों लोगों की जिन्‍दगी को अपने विचारों से सकारात्‍मक दिशा में मोङने में मदद की है। उन्‍होंने कइ्र प्रेरणादायी पुस्‍तके लिखीं हैं। उनकी लिखी पुस्‍तकों को जो भी एक बार पढ लेता है उसका जीवन पूर्ण आत्‍मविश्‍वास से भर उठता है। सोशल साईट ट्विटर  पर उनके चाहने वालों की भारी तादाद है।

लाखों लोग रोजाना इंटरनेट पर शिव खेङा के जीवन और उनके प्रेरक विचारों की जिज्ञासा लिए उनसे संबंधित सामग्री की खोज करते हैं। उनका जीवन के प्रति जो सकारात्‍मक सोच और दृष्टिकोण है, वह अद्धुत है।



शिव खेङा का प्रारंभिक जीवन

55 वर्षीय शिव खेङा का जन्‍म 23 अगस्‍त 1961 को झारखण्‍ड राज्‍य के धनबाद में एक व्‍यवसायी परिवार मे हुआ था।

उनके पिता कोयला खादान के व्‍यवसाय से जुङे  हुए थे और माँ एक ग्रृहणी थीं। बाद के दिनों मे जब कोयला खदानों का राष्‍ट्रीयकरण कर दिया गया, तब इस परिवार को भारी मुसीबतों के दौर से गुजरना पङा था।

इसी दौरान शिव खेङा ने एक स्‍थानीय सरकारी स्‍कूल से अपनी माध्‍यमिक शिक्षा पूरी की। स्‍कूल के दिनों में वह एक औसत दजे्र के विद्यार्थी थे।

10वीं की परीक्षा में एक बार वह फेल भी हो गए थे। परन्‍तु इसके बाद उनके जीवन में एक बङा परिवर्तन आया और उन्‍होंने एक सकारात्‍मक सोच के अपने जीवन की चुनौती को स्‍वीकार किया, जिसका परिणाम उन्‍हें उच्‍चतर माध्‍यमिक परीक्षा में मिला।
इस परीक्षा में वे प्रथम श्रेणी में उतीर्ण हुए।

स्‍कूल के बाद उन्‍होंने बिहार के एक कॉलेज से स्‍नातक की डिग्री हासिल की। शिव खेङा के चिंतन का पंचलाइन है- ‘जो विजेता हैं वह कुछ अलग नहीं करते है बल्कि उनका करने का तरीका अलग होता है।’ शिव खेङा को अपने जीवन के प्रारंभिक दौर में कई मुश्किलों का सामना करना पङा था।

उन्‍होंने कनाडा में कार धोने जैसे छोटे काम से अपने जीवनयापन की शुरूआत की थी। फिर वे एक बीमा (Insurance) एजेंट बने परन्‍तु इस काम में भी उन्‍हें वह सफलता नहीं मिली जैसी कि वह चाहते थे।

फिर भी सफलता के लिए संघर्ष का उनका सफर जारी रहा। कभी प्राइवेट फर्म में तो कभी दूकान पर सेल्‍समैन की नौकरी या फिर अमेरिका के जेल में स्‍वयंसेवक (Volunteer) के तौर पर सेवा , जीवन के प्रारंभिक दौर में यही शिव खेङा का बायोडाटा था।

शिव खेङा का पेशेवर जीवन

कुछ वर्षो तक कनाडा में रहने के बाद शिव खेङा अमेरिका आ गए। यहां उन्‍हें प्रसिद्ध प्रेरक वक्‍ता (Motivational Speaker) नार्मन विन्‍सेंट पेअले को सुनने का मौका मिला। उनकी बातों से शिव खेङा बहुत प्रभावित हुए।  

विन्‍सेंट पेअले को सुनने के बाद शिव खेङा के जीवन में एक बङा परिवर्तन आया और वह स्‍वयं क प्रेरक वक्‍ता के तौर पर उभरने लगे।

आगे जाकर वे एक पेशेवर मोटिवेशनल स्‍पीकर बन गए। जल्‍दी ही उन्‍हें इस पेशे में प्रसिद्धि मिलने लगी।

अपनी योग्‍यता की बदौलत शिव खेङा कई वयावसायिक संस्‍थानों के सलाहकार भी बने। इसी दौरान उन्‍होंने अमेरिका में ‘क्‍वालिफाइड लर्निंग सिस्‍टम इंक’ नाम से एक कंपनी का गठन किया। वर्तमान में शिव खेङा इस कंपनी के मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी (CEO) हैं।

यह कंपनी व्‍यक्तियों और संस्‍थाओं को सकारात्‍मक प्रगति की दिशा में आगे बढने और कार्यक्षमता बढाने के लिए सलाह (Consultancy) सेवा प्रदान करती है।

इस कंपनी की शाखाएं भारत सहित दुनिया के कई देशों में फैली हुई है। शिव खेङा ने प्रेरणा और सकारात्‍मक तथ्‍यों से भरे अपने चिंतन को लेखन के माध्‍यम से लाखों लोगों तक पहुंचाया है। उन्‍होंने 16 पुस्‍तकें लिखीं हैं जो दुनियाभर में कई भाषाओं में प्रकाशित हुई हैं।

वर्ष 1998 में शिव खेङा की पहली पुस्‍तक प्रकाशित हुई थी जिसका नाम था ‘यू कैन बीन’ (You Can Win) इस पुस्‍तक ने बिक्री का एक नया कीर्तिमान स्‍थापित किया था। हिंदी में ‘जीत आपकी’ आइटल के साथ शिव खेङा की यह पुस्‍तक विश्‍व की 16 विभिन्‍न भाषाओं में प्रकाशित हुई थी।

अभी तक के उपलब्‍ध आंकङो के अनुसार ‘यू कैन वीन’ की 30 लाख से अधिक प्रतियाँ बिक चुकी हैं। इस पुस्‍तक के लिए शिव खेङा कई पुरस्‍कारों से सम्‍मानित भी हो चुके हैं। शिव खेङा की अन्‍य प्रकाशित पुस्‍तकों में ‘लिविंग विथ ऑनर’ (हिन्‍दी में ‘सम्‍मान से जियें’) ‘फ्रीडम इज नॉट फ्री’ (हिंदी में ‘आजादी से जियें’), ‘यू कैन सेल’, (हिंदी मे ‘बेचना सीखो और सफ्‍ल बनो’) का नाम प्रमुखता से लिया जाता है।

‘जीत आपकी’ पुस्‍तक सकारात्‍मक दृष्टिकोण और व्‍यक्तिगत विकास के द्वारा किसी व्‍यक्ति के सफलता हासिल करने पर आधारित हैं।

इसी तरह उन्‍होंने अपनी पुस्‍तक ‘आजादी से जिये’ में स्‍पष्‍ट किया है कि सफलता सकारात्‍मक और नकारात्‍मक मूल्‍यों (Positive and Negative Value) पर आधारित होती है।

इसमें कोई दो राय नहीं होनी चाहिए कि शिव खेङा अपने चिंतन से पाठकों के दिलो-दिमाग पर अमिट छाप छोङने में सफल हुए हैं। शिव खेङा टेलीविजन, रेडियो, सेमिनार आदि के माध्‍यम से भी लोगों से मुखातिब होते हैं और प्रेरणादायी व्‍यक्‍तव्‍य (Speech) देते है।

लोगों में सकारात्‍मक सोच पैदा करने और सफलता के सूत्र बताने के लिए खेङा की कंपनी दुनिया के 17 देशों में लगातार कार्यशाला काआयोजन कर रही है। इस कार्यशाला (Workshops) में हजारों लोग शामिल होते हैं और लाभ उठाते हैं।

शिव खेङा का निजी जीवन

संघर्ष के दिनों में ही शिव खेङा की शादी हो गई थी। उस समय उनकी उम्र 23 साल थी। कनाडा और अमेरिका में संघर्ष्‍ के दिनों में पत्‍नी का सहयोग उन्‍हें हमेशा मिलता रहा।

वह दो बच्‍चों के पिता हैं। अपनी सफलता में वह अपने परिवार का बहुत बङा योगदान माते हैं। यही वजह है कि वह अपने जन्‍मदिन को अपने परिवार को समर्पित करते हैं और पूरा दिन उनके साथ बिताते हैं।

शिव खेङा का सामाजिक और राजनीतिक जीवन

शायद बहुत कम लोगो को जानकारी होगी की शिव खेङा एक सामाजिक कार्यकर्ता Social Activist) हैं और राजनीति में भी उन्‍होंने अपना भाग्‍य आजमाया हैं। अपने इन्‍हीं उद्देश्‍यों को पूरा करने के लिए उन्‍होंने ‘कंट्री फर्स्‍ट फाउंडेशन’ के नाम से एक सामाजिक संगठन बनाया है।

इस संगठन का मिशन है- ‘शिक्षा और न्‍याय के द्वारा आजादी’। इसके बाद राजनीति में कदम रखते हुए शिव खेङा वर्ष्‍ 2004 के आम चुनाव में दक्षिणी दिल्‍ली लोकसभा क्षेत्र से निर्दलिये उम्‍मीदवार के तौर पर खङे हुए। इस चुनाव में वह पराजित हुए।

भारतीय लोकसभा चुनाव के बारे में। फिर वर्ष 2008 में उनहोंने ‘भारतीय राष्‍ट्रवादी समानता पार्टी’ के नाम से एक राजनीतिक दल का गठन किया और 2009 के आम चुनाव में एक बार फिर भ्रष्‍टाचार को मुद्दा बनाकर चुनाव मैदान में उतरे।

परन्‍तु एक बार फिर उन्‍हें राजनीति के मैदान में विफलता का मुंह देखना पङा। आगे जाकर वर्ष 2014 के आम चुनाव में शिव खेङा ने भारतीय जनता पार्टी के वरिष्‍ठ नेता लालकृष्‍ण आडवाणी का समर्थ करते हुए, उनके पक्ष में अभियान चलाया।
आज भी वह एक सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर विभिन्‍न मुद्दों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिकाएं दायर कर मकदमा लङ रहे हैं। वस्‍तुत: शिव खेङा की स्‍वयं की जीवनी एक प्रेरणादायी कहानी है।

एक छोटे से शहर से बिना किसी संसाधन के अमेरिका पहुँचना  और फिर परदेश में मुसीबतों से संघर्ष करते हुए अपना एक अलग मुकाम बनाना, दुनिया में प्रसिद्धि पाना, उनकी पुस्‍तक ‘यू कैन वीन’ को चरितार्थ करने के लिए काफी हैं।
शिव खेङा शिव खेङा Reviewed by Kahaniduniya.com on नवंबर 04, 2019 Rating: 5

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