राईट बंधु



ईश्‍वर द्वारा बनाई गयी सृष्टि में अनेक जीवन जन्‍तुओं ने इस संसार में जन्‍म लिया, जिसमे पशु-पक्षियों को मानव की तुलना में कुछ विशिष्‍ठ प्राकृतिक गुण प्राप्‍त हुए है।

पक्षियों को मुक्‍त आकाश में विचरण करते हुए मनुष्‍य यही सोचा करता होगा कि काश! वह भी उनकी तरह उङ पाता।

आकाश से ऊँची उङान भरने की उसी आकाश ने बिलबर राईट एवं ओरिवल राईट नामक नाईट बुंधुओ को हवाई जहाज की खोज की प्रेरणा दी होगी और उन्‍होंने इसी से प्रेरित होकर आकाश में उङने वाले हवाई जहाज का आविष्‍कार कर डाला।

अमेरिका निवासी विलबर राईट और ओरिवल राईट दोनों ही सगे भाई थे। विलबर का जन्‍म 16 अप्रैल 1867 को इंडियाना मे जबकि ओरिवल राईट का जन्‍म डेटन ओहियो में 19 अगस्‍त 1871 में हुआ था। उनके पिता मिल्‍टन राईट चर्च में काम करते थे। जो 1878 मे पादरी भी बने।



उनकी माँ भी चर्च संबंधी कामो में पिता का हाथ बटाया करती थी। बचपन से राईट बंधुओं की रूची कुछ ऐसे मशीन संबंधी कामों में लगी रहती थी, जो ऊँचाई तक जा सके। एकबार उपहार में उन्‍हें खिलौने के रूप में हेलीकाप्‍टर मिला था। बस फिर क्‍या था दोनों भाइयो ने इस तरह हेलीकाप्‍टर बना डाले जो कार्क, बांस और कागज के द्वारा बने थे।

दोनों भाई स्‍वभाव से एक-दूसरे के विपरीत थे। विलबर एकांतप्रिय, मितभाषी थे तो ओरबिल बातूनी सामाजिक थे। ओरबिल को पैसा कमाने का काफी शौक था।

उन्‍होंने तो गर्मी की छुट्यिों में छापेखाने में काम करते हुए न केवल हाई स्‍कूल परीक्षा पूरी की बल्कि टाइपसेटर बनने के साथ-साथ समाचार पत्र का भी प्रकाशन किया। विलबर माँ की बीमारी की वजह से हाई स्‍कूल की पढाई पुरी नहीं कर पाए थे। उनके पिता उन्‍हें चर्च संबंधी कामो में लगाना चाहते थे जबकि दोनों भाइयो की रूचि उसमें नहीं थी।

चर्च जाना छोङकर दोनों साथ रहते, साथ खेलते और एक जैसा सोचते तथा कार्य में लगे रहते थे। माँ की मृत्‍यु के बाद दोनों ने छापाखाना खोलकर साहित्‍य संबंधी प्रकाशन आरम्‍भ कर दिया। साथ ही साईकिल बेचने, किराए देने, मरम्‍मत करने की दुकाने खोल रखी थी।

उन्‍हे न तो किसी प्रकार का व्‍यसन था और न ही लङकियों के साथ घुमने का शौक था। इसी बीच उन्‍हें ज्ञात हुआ कि 9 अगस्‍त 1896 को जर्मनी के ओटो लिलिन्‍थाल नामक यांत्रिक इंजिनियर द्वारा बनाये गये Hang Glider के माध्‍यम से आकाशीय उङान में उनकी मृत्‍यु हो गई।

बस फिर क्‍या था, राईट बंधुओ ने एक ऐसा हवाई जहाज बनाने का प्रयास शुरू कर दिया जो कि हवा से भारी हो। उसमें इंजन प्रोपेलर लगे हो।

व़ह आदमी सहित आकाश में उङ सके। उन्‍होंने पहले ग्‍लाइडर बनाया और उसका परीक्षण करने के लिए पहाङी स्‍थान पर चल दिए जो 12 सैंकङ तक हवा में रहने के बाद पृथ्‍वी पर आ गिरा सन 1900 मे उन्‍होंने दो तख्‍ते वाला वायुयान बनाया, जिसको शक्ति देने वाला पेट्रोल इंजन भी लगाया था।

एक भाई निचले हिस्‍से में बैठकर नियन्‍त्रण का प्रयास करता था। उङान भरते समय उन्‍हें पता लगा कि पंखो का आकार ठीक नही। उन्‍हें विंडटनेल का सिद्धांत भी समझ में आ गया था। अनेक असफलताओं के बाद राईट बंधु ने फ्‍लायर जहाज बनाया, जिसके पंखों का आकार 400 वर्गफिट था और उसके संतुलन के लिए मशीन बना रखी थी। 8 दिसम्‍बर 1903 को पहली उङान भरी जो कि असफल रही।

फिर इसमें आवश्‍यक संशोधन कर जब इसे उङाया तो यह अपनी ताकत से 10 फीट उपर उठा और 12 सैकंड बाद नीचे आ गया। जहाज से उङने और उतरने के बीच 100 फीट की कुल उङज्ञन नापी गयी। इस एतेहासिक उङान को देखने के लिए बुलाने पर भी सिर्फ 5 वयस्‍क, दो बच्‍चे और एक कुत्ता था। पत्रकार आ रहे थे कि रास्‍ता भटक गये।

इसके बाद फ्‍लायर जहाज ने 4 बार सफल उङान भरी लेकिन हवा के झोंके ने आकर ऐसा उलटा कि किसी काम का नहीं रहा। 1904 में एक ऐसा हवाई जहाज बनाया जो केवल उङ सकता था बल्कि वह 3 मील यात्रा भी तय कर चुका था। इसके बाद वह 85 किमी दूरी तक भी चला था।

1908 में परीक्षण के दौरान दुर्घटना का सामना करते हुए उन्‍होंने परीक्षण जारी रखा। 1990 तक हवाई जहाज की फाक्ट्रिया अमेरिका मे स्‍थापित कर ली। उनके इस नवनिर्मित वायुयान इ इंग्लिश चैनल, इटलांटिक महासागर, प्रशांत महासागर के साथ साथ लगभग 23 हजार किमी की यात्रा तय की।

बायर्ड ने तो उत्तरी और दक्षिण ध्रुव की यात्राये वायुयान द्वारा ही तय करके क्षमता का परिचय दे दिया। वायुयान की खोज के बाद एक नये युग की शुरूआत हो चुकी थी। विश्‍व में एक क्रान्ति आ चुकी थी। राईट बन्‍धु घर गृहस्‍थी में सुखपूर्वक जीवन व्‍यतीत कर रहे थे कि छोटा भाई विलबर टाइफाइड का शिकार हो गया। 29 मई 1912 को उसका असमय प्राणांत हो गया।

बूढे पिता मिल्‍टन राइट ने विलबर की अंतिम क्रिया करते हुए उसकी विलक्षण प्रतिभा, परिश्रमशीलता पर गर्व करते हुए बङा दु:ख जताया। इसे बीच ओरविले अकेले रहकर अपनी प्रयोगशाला में हवाई जहाज में लगातार सुधार कार्य करते रहे।

विलबर के देहांत के बाद वो भी भीतर से टूट चुके थे। ओरबिल जहा हवाई जहाज के आविष्‍कार से जितने प्रसन्‍न थे उतने ही वह दुखी हो गये जब प्रथम विश्‍वयुद्ध मे हवाई जहाजो ने विनाशकारी बम ले जाकर मानव के विरूद्ध ही उसका इस्‍तेमाल होने लगा था।

अंतिम समय तक कार्य करते हुए ओरबिल को प्रयोगशाला में दिल का ऐसा दौरा पङा कि 30 जनवरी 1948 को उनके प्राण पखेरू उङ गये। उनकी शवयात्रा पुर सैनिक सम्‍मान के साथ 4 जेट विमानों की गडगडाहट के साथ निकाली गयी।

उनके द्वारा बनाये गये पहले फ्‍लायर जहाज को अमेरिका के स्मिथ सोनियन संग्रहालय में आज भी देखा जा सकता है। राईट बंधुओ द्वारा वायुयान के अभूतपूर्व आविष्‍कार ने आज जहां दुनिया की मीलो दूरी जो चंद मिनटों और सैकडो में तय कर दिया है वही सुख सुविधा प्रदान करने वाले अत्‍याधुनिक वायुयानों ने मानव के आकाश में उङने की लालसा को भी पूरा कर दिखाया है लेकिन सर्वाधिक दुखद पहलू यह हे कि मानव ने अत्‍यंत तेज गति वाले युद्धक विमानों को बनाकर अपने ही अस्तित्‍व के लिए खतरा उत्‍पन्‍न्‍ कर दिया है। जो भी हो इन राईट बंधु की कल्‍पनाशीलता एवं परिश्रम ने दुनिया को महान देन दी हैं। 
राईट बंधु राईट बंधु Reviewed by Kahaniduniya.com on नवंबर 04, 2019 Rating: 5

कोई टिप्पणी नहीं:

nicodemos के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.