लैरी पेज



दुनिया की सबसे बङे सर्च इंजिन गूगल ने 2005 में आधिकारिक तौर पर अपना जन्‍मदिन 27 सितंबर को मनाने की घोषणा की थी। इसके पहले गूगल ने अपने बर्थडे की तारीख कई बार बदली है।

4 सितंबर, 1998 को बनी इस कंपनी ने सितंबर महीने के कई दिनों को अपने बर्थडे के तौर पर चुना था।

4, फिर 7, और 15, व 26 सितंबर के बाद आखिरकार 2005 में गूगल ने 27 सितंबर को अपना जन्‍मदिन तय कर लिया।

2005 के बाद से हर 27 सितंबर को गूगल अपने होम पेज पर आकर्षक डूडल बनाता है।

ब्रांड गूगल’ की चमत्‍कारिक सफलता की कहानी कैलिफोर्निया की स्‍टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के दो छात्रों के बीच दोस्‍ती के साथ शुरू हुई।

शुरूआत में इन दोस्‍तों ने गूगल कंपनी एक कार गैराज से शुरू की थी, जो आज बहुत ही अधिक लोकप्रिय बन चुकी है।



इंटरनेट सर्च मशीन से शुरू कर गूगल अब ई-मेल, फोटो और विडियों, भूसर्वेक्षण नक्‍शों और मोबाईल फोन जैसी सेवाएं देने वाली ऑलराउंडर कंपनी बन गई है।

सभी सेवाएं मुफ्‍त हैं। कमाई होती है व्‍यावसायिक कंपनियों से मिलने वाले विज्ञापनों से। गूगल की शुरूआत गैराज में बनाए गए ऑफिस से हुई थी। आज गूगल के हेडक्‍वार्टर ‘गुगलप्‍लेक्‍स’ समेत गूगल के 40 देशों में 70 से ज्‍यादा ऑफिस हैं।

दो मालिक है आपस में नहीं पटती थी दोनों की

सर्जि ब्रिन और लैरी पेज 22-23 साल के थे, जब 1995 में वे पहली बार मिले। उस समय दोनों के बीच बिल्‍कुल नहीं पटती थी। हर बात पर बहस हो जाया करती थी। दोनों के माता-पिता बेहद पढे-लिखे टैक्‍नोक्रेट्स थे।

मिलकर बनाई सर्च मशीन

लैरी और सर्जि को दोस्‍त बनाया एक समस्‍या ने। वह थी इंटरनेट जैसे सूचनाओं के महासागर में से किसी खास सूचना को कैसे ढूंढा जाए?

दोनों ने मिल कर एक सर्च-मशीन बनाई, एक ऐसा कम्‍प्‍यूटर, जो कुछ निश्चित सिद्वांतों और नियमों के अनुसार किसी सूचना भंडार में से ठीक वही जानकारी ढूंढकर निकाले, जो हम चाहते हैं।

स्‍टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी मे ही किए परीक्षण-बुनियादी सिद्धांत ये था कि हाइपर लिंकिंग की मदद से किसी वेबसाइड को सर्च किए टर्म के हिसाब से इंटरनेट से खोजकर एक समझने योग्‍य सूची बनानी है।

यूजर जिस भी शब्‍द, प्रश्‍न या आर्टिकल को सर्च करे, कम्‍प्‍यूटर उसके बारे में जितनी हो सके, संबंधित जानकारी यूजर्स के सामने पेश कर दे।

ये एक ऐसी गुत्‍थी थी जिसे लैरी पेज और सर्जि ब्रिन ने मिलकर सुलझाया दोनों ही प्रोफेशनल दोस्‍तों ने स्‍टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में ही आरंभिक परीक्षण किए।

इसके लिए 11 लाख डॉलर धन जुटाया। लैरी पेज ने सबसे पहले वर्ल्‍ड वाइड वेब की मैथेमैटिकल प्रॉपर्टीज को समझने की कोशिश की।

लैरी पेज ने इंटरनेट का हाइपरलिंक स्‍ट्रक्‍चर एक ग्राफ की मदद से समझा। इसके बाद लैरी पेज ने सर्जि ब्रिन के साथ एक रिसर्च प्रोजेक्‍ट ‘BackRub’ के साथ जुङकर काम करना शुरू किया।

दोनों दोस्‍तो ने एक साथ कई प्रोजेक्‍ट किए और अंत में 4 सितंबर, 1998 में इन दोनों ने मिलकर कंपनी की नींव रखी।

कार-गैरेज में बनी गूगल इनकॉपरेटेड

दोनों ने 7 सितंबर 1998 को, गूगल इनकॉपरेटेड के नाम से मेनलो पार्क, कैलिफोर्निया के एक कार गैरेज में अपनी कंपनी बनाई और काम शुरू कर दिया।

दो ही वर्षो में गूगल का नाम सबकी जुबान पर था। जर्मनी में कम्‍प्‍यूटर विज्ञान के प्रोफेसर डिर्क लेवान्‍दोस्‍की का मत है कि याहू जैसे अपने अन्‍य प्रतियोगियों की तुलना में गूगल शायद ही बेहतर है, लेकिन उसकी सार्वजनिक छवि कहीं अच्‍छी बन गई है।

सितंबर 2007 में गूगल ने पूरा किया अपना पहला दशक

यही उसकी चमत्‍कारिक सफलता का रहस्‍य है। इंटरनेट को दुनिया में आए दो दशक से ज्‍यादा समय हो गए हैं, जबकि गूगल ने सितंबर 2007 को अपना पहला दशक पूरा किया, तब भी दोनों एक-दूसरे के पर्याय बन गए हैं।

इस्‍तेमाल बढने के साथ-साथ बढते चले गए शेयर के दाम


इंटरनेट का इस्‍तेमाल जितना बढ रहा है, गूगल के शेयर भी उतने ही चढ रहे हैं। अगस्‍त 2004 में गूगल ने जब पहली बार शेयर बाजार मे पैर रखा, तब उसके शेयर 85 डॉलर में बिक रहे थे। तीन वर्ष बाद, नवंबर 2007 में इसके शेयर उछलकर 747 डॉलर पर पहुंच गए थे। 
लैरी पेज लैरी पेज Reviewed by Kahaniduniya.com on नवंबर 03, 2019 Rating: 5

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