दशहरा क्‍यों मनाया जाता है इसका महत्‍व क्‍या है

दशहरे के इस पूर्व को विजयादशमी भी कहा जाता है, इसे जश्‍न का त्‍यौहार कहते हैं, आज के वक्‍त में यह बुराई पर अच्‍छाई की जीत का ही प्रतीक है, बुराई किसी भी रूप में हो सकती है जैसे क्रोध, असत्‍य, बैर, इर्षा, दु:ख, आलस्‍य आदि, किसी भी आतंरिक बुराई को खत्‍म करना भी एक आत्‍म विजय हैं और हमें प्रति वर्ष अपने में से इस तरह की बुराई को खत्‍म कर विजय दशमी के दिन इसका जश्‍न मनाना चाहिए, जिससे एक दिन हम अपनी सभी इन्द्रियों पर राज कर सके।

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दशहरा या विजयादशमी महत्‍व


यह बुरे आचरण पर अच्‍छे आचरण की जीत की खुशी में मनाया जाने वाला त्‍यौहार हैं, सामान्‍यत: दशहरा एक जीत के जश्‍न के रूप में मनाया जाने वाला त्‍यौहार है, जश्‍न की मान्‍यता सबकी अलग-अलग होती है, जैसे किसानो के लिए यह नयी फसलों के घर आने का जश्‍न है, पुराने वक्‍त में इस दिन औजारों एवम् हथियारो की पूजा की जाती थी, क्‍यूंकि वे इसे युद्ध में मिली जीत के जश्‍न के तौर पर देखते थे, लेकिन इन सबके पीछे एक ही कारण होता है, बुराई पर अच्‍छाई की जीत, किसानो के लिए यह मेहनत की जीत के रूप में आई फसलो का जश्‍न एवम् सैनिको के लिए युद्ध में दुश्‍मन पर जीत का जश्‍न हैं।

दशहरा 2019 में कब है?


यह आश्विन माह की शुक्‍ल पक्ष की दशमी के दिन मनाया जाता हैं, नवरात्री के नौ दिनों के बाद विजय पर्व के रूप में दशहरा या विजयादशमी के रूप में मनाया जाता हैं, इस वर्ष 2019 में दशहरा 8 अक्‍टूबर को मनाया जायेगा। 

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दशहरा पर्व की कहानी क्‍या है, क्‍यों मनाया जाता है?



दशहरा के दिन के पीछे कई कहानियाँ हैं, जिनमे सबसे प्रचलित कथा हैं भगवान राम का युद्ध जीतना अर्थात‍ रावण की बुराई का विनाश कर उसके घमंड को तोङना।

राम अयोध्‍या नगरी के राजकुमार थे, उनकी पत्‍नी का नाम सीता था एवम उनके छोटे भाई थे, जिनका नाम लक्ष्‍मण था, राजा दशरथ राम के पिता थे उनकी पत्‍नी कैकई के कारण इन तीनो को चौदह वर्ष के वनवास के लिए अयोध्‍या नगरी छोङ कर जाना पङा, उसी वनवास काल के दौरान रावण ने सीता का अपहरण कर लिया।
रावण चतुर्वेदो का ज्ञाता महाबलशाली राजा था, जिसकी सोने की लंका थी, लेकिन उसमे अपार अहंकार था, वो महान शिव भक्‍त था और खुद को भगवान विष्‍णु का दुश्‍मन बताता था, वास्‍तव में रावण के पिता विशर्वा एक ब्राह्मण थे एवं माता राक्षस के समान शक्ति और इन्‍ही दो बातों का रावण में अहंकार था, जिसे खत्‍म करने लिए भगवान विष्‍णु ने रामावतार लिया था।

राम ने अपनी सीता को वापस लाने के लिए रावण से युद्ध किया, जिसमे वानर सेना एवम हनुमान जी ने राम का साथ दिया, इस युद्ध में रावण के छोटे भाई विभीषण ने भी भगवान राम का साथ दिया और अन्‍त में भगवान राम ने रावण को मार कर उसके घमंड का नाश किया।

इसी विजय के स्‍वरूप के प्रति वर्ष विजयादशमी मनाई जाती हैं,

दशहरा पर्व से जुङी कथाएं :-

1. राम की रावण पर विजय का पर्व
2. राक्षस महिसासुर का वध कर दुर्गा माता विजयी हुई थी।
3. पांडवों का वनवास
4. देवी सती अग्नि में समां गई थी।

आज दशहरा कैसे मनाया जाता हैं?


आज के समय में दशहरा इन पौराणिक कथाओं को माध्‍यम मानकर मनाया जाता हैं, माता के नौ दिन की समाप्ति के बाद दसवे दिन जश्‍न के तौर पर मनाया जाता है, जिसमे कई जगहों पर राम लीला का आयोजन होता है, जिसमे कलाकार रामायण के पात्र बनते हैं और राम-रावण के इस युद्ध को नाटिका के रूप में प्रस्‍तुत करते हैं।

दशहरा का मेला

                                               

कई जगहों पर इस दिन मैला लगता है, जिसमे कई दुकाने एवम खाने पीने के आयोजन होते हैं, उन्‍ही आयोजनों में नाटय नाटिका का प्रस्‍तुतिकरण किया जाता हैं,

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इस दिन घरों में लोग अपने वाहनों को साफ करके उसका पूजन करते हैं, व्‍यापारी अपने लेखा पूजन करते हैं, किसान अपने जानवरों एवम फसलो का पूजन करता हैं, इंजिनियर अपने औजारों एवम अपनी मशीनों का पूजन करते हैं,

इस दिन घर के सभी पुरूष एवम बच्‍चे दशहरे मैदान पर जाते हैं, वहा रावण, कुम्‍भकरण एवम रावण पुत्र मेघनाथ के पुतले का दहन करते है, सभी शहर वासियों के साथ इस पौराणिक जीत का जश्‍न मनाते हैं, मैले का आनंद लेते हैं, उसके बाद शमी पत्र जिसे सोना चांदी कहा जाता हैं उसे अपने घर लाते हैं, घर में आने के बाद द्वार पर घर की स्त्रियाँ, तिलक लगाकर आरती उतारकर स्‍वागत करती हैं, माना जाता हैं कि मनुष्‍य अपनी बुराई का दहन करके घर लौटा है, इसलिए उसका स्‍वागत किया जाता हैं, इसके बाद वो व्‍यक्ति शमी पत्र देकर अपने से बङो के चरण स्‍पर्श कर आशीर्वाद लेता हैं, इस प्रकार घर के सभी लोग आस पङोस एवम रिश्‍तेदारों के घर जाकर शमी पत्र देते हैं एवम बङो से आशीर्वाद लेते हैं, छोटो को प्‍यार देते हैं एवम बराबरी वालो से गले मिलकर खुशियाँ बाटते हैं,

अगर एक पंक्ति में कहे तो यह पर्व आपसी रिश्‍तो को मजबूत करने एवम भार्इचारा बढाने के लिए होता हैं, जिसमें मनुष्‍य अपने मन में भरे घृणा एवम बैर के मेल को साफ कर एक दुसरे से एक त्‍यौहार के माध्‍यम से मिलता हैं,

इस प्रकार यह पर्व भारत के बङे-बङे पर्व में गिना जाता हैं एवम पुरे हर्षोल्‍लास के साथ मनाया जाता हैं,
हमारे देश में धार्मिक मान्‍यताओं के पीछे बस एक ही भावना होती हैं, वो हैं प्रेम एवं सदाचार की भावना यह पर्व हमें एकता की शक्ति याद दिलाते हैं जिन्‍हें हम समय की कमी के कारण भूलते ही जा रहे हैं, ऐसे में यह त्‍यौहार ही हमें अपनी नींव से बाँधकर कर रखते हैं।

दशहरे का बदलता रूप


आज के समय में त्‍यौहार अपनी वास्‍तविक्‍ता से अलग जाकर आधुनिक रूप ले रहे हैं, जिसने इसके महत्‍व को कहीं न कहीं कम कर दिया हैं। जैसे -

1. दशहरे पर एक दूसरे के घर जाने का रिवाज था, अब ये रिवाज मोबाइल कॉल एवम इंटरनेट मेसेज का रूप ले चुके हैं,

2. खाली हाथ नहीं जाते थे, इसलिए शमी पत्र ले जाते थे, लेकिन अब इसके बदले मिठाई एवम तौहफे ले जाने लगे हैं, जिसके कारण यह फिजुल खर्च के साथ प्रतिस्‍पर्धा का त्‍यौहार बन गया हैं,

3. रावण दहन के पीछे उस पौराणिक कथा को याद रखा जाता था, जिससे एक सन्‍देश सभी को मिले कि अहंकार सर्वनाश करता हैं, लेकिन अब तरह-तरह के फटाके फोङे जाते हैं, जिनके कारण फिजूल खर्च बढ गया हैं, साथ ही प्रदुषण की समस्‍या बढती जा रही हैं एवम दुर्घटनायें भी बढती जा रही हैं,

इस प्रकार आधुनिकरण के कारण त्‍यौहारों का रूप बदलता जा रहा हैं, और कहीं न कहीं आम नागरिक इन्‍हें धार्मिक आडम्‍बर का रूप मानकर इनसे दूर होते जा रहे हैं, इनका रूप मनुष्‍यों ने ही बिगाङा हैं, पुराणों के अनुसार इन सभी त्‍योहारो का रूप बहुत सादा था। इसमें दिखावा नहीं बल्कि ईश्‍वर के प्रति आस्‍था थी। आज ये अपनी नींव से इतने दूर होते जा रहे हैं कि मनुष्‍य इन्‍हें वक्‍त एवम पैसों की बर्बादी के रूप में देखने लगा हैं।

हम सभी को इस वास्‍तविक्‍ता को समझ कर सादगी के रूप में त्‍यौहारों को मनाना चाहिये। देश की आर्थिक व्‍यवस्‍थता को सुचारू रखने में भी त्‍यौहारों का विशेष योगदान होता हैं इसलिए हमें सभी त्‍यौहार मनाना चाहिए।

दशहरा पर कविता एवम शायरी


बुराई का रूप अब भ्रष्‍ट्राचार हैं रावण के रूप में नेताओं का अत्‍याचार हैं देश रूपी इस लंका में कौन राम बनेगा यहाँ तो अब बस मिलावटी व्‍यवहार हैं।

त्‍यौहारों के इस देश में हर त्‍यौहार का हैं अपना मान प्रेम से मनाने में ही हैं इनकी शान चलो रचायें दशहरे की धूमधाम

राम नाम का जाप करे ये अहंकार विनाशी हैं जिसने रावणका नाश किया वही अयोध्‍या वासी हैं।

बुराई पर अच्‍छाई की जीत झूठ पर सच्‍चाई की जीत अहम् ना करो गुणों पर
यही हैं इस दिवस की सीख

हर त्‍यौहार लाता हैं जीवन में बहार ईश्‍वर के दर पर मनुष्‍य की दरकार करो जीवन में सभी का सत्‍कार
बधार्इ हो बधाई हैं दशहरे का त्‍यौहार

अधर्मी का करके विनाश फैलाया राम राज करो
आज प्रतिज्ञा सभी बुराई को खत्‍म कर करोगे।
इन्द्रियों पर अपना राज
माता सीता की खोज मे किया लंका पार दिलाया सभी दुखियों को विश्‍वास

तोङकर महा अहंकारी का अहंकार किया दुखियों का उद्धार
साधारण मनुष्‍य की छवि में जन्‍मे कराया सबको पुरूषार्थ का ज्ञान किया
दशानंद के अहम् का विनाश फैलाया न्‍याय और धर्म का प्रकाश

सिखाया सेवक का भाव जिसने उसी ने बताया मित्रता का व्‍यवहार

ऐसा रोचक था रामायण पुराण जिसने सिखाया जीवन ज्ञान 
दशहरा क्‍यों मनाया जाता है इसका महत्‍व क्‍या है दशहरा क्‍यों मनाया जाता है इसका महत्‍व क्‍या है Reviewed by Kahaniduniya.com on अक्तूबर 04, 2019 Rating: 5

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