एक बार अर्जुन अपने सखा श्री कृष्ण के साथ्ज्ञ
वन में विहार कर रहे थे। अचानक ही अर्जुन के मन में एक प्रश्न आया और उसने जिज्ञासा
के साथ श्रीकृष्ण की तरफ देखा। श्री कृष्ण ने मुस्कुराते हुए कहा –हे पार्थ! क्या
पूछना चाहते हो? पूछो। अर्जुन ने पूछा हे माधव! पूरे ब्रह्माणमें सबसे बङा कौन
हैं? श्री कृष्ण ने कहा – हे पार्थ! सबसे बङी तो धरती ही दिखती हैं, पर इसे
समुद्र ने घेर रखा हैं मतलब यह बङी नहीं। समुद्र को भी बङा नहीं कहा जा सकता, इसे
अगस्त्य ॠषि ने पी लिया था, इसका मतलब अगस्त्य ॠषि बङे हैं पर वे भी आकाश के
एक कोने में चमक रहे हैं। इसका मतलब आकाश बङा हैं पर इस आकाश को भी मेरे बामन अवतार
ने अपने एक पग में नाप लिया था। इसका मतलब सबसे बङा मैं ही हूँ पर मैं भी बङा कैसे
हो सकता हूँ क्यूकिं मैं अपने भक्तों के मन में वास करता हूँ अर्थात सबसे बङा
भक्त हैं। इस तरह भक्त के ह्रदय मे भगवान बसते हैं इसलिए इस संसार मे सबसे बङा
भक्त है।
अपनी इस कहानी में, मैं यही कहना चाहता हूँ कि
ईश्वर कभी खुद को बङा नही कहता, ईश्वर भक्त के मन में वास करता हैं, उसे ढूंढने
के यहाँ वहाँ भटकना व्यर्थ हैं। ईश्वर की चाह में मनुष्य को उसका स्थान देना
गलत हैं। भगवा चौले के भीतर भगवान के दर्शन की इच्छा गलत हैं। ईश्वर सभी के भीतर
हैं अपने कर्मो को सदमार्ग पर लेजाना ही ईश्वर की भक्ति हैं उसकी चाह में खुद को
धोखा देना ईश्वर को धोखा देने के बराबर है।
मनुष्य ईश्वर से डरता हैं जो कि अर्थहीन हैं क्यूंकि
ईश्वर भक्तों को आर्शिवाद या दंड नहीं देता बल्कि मनुष्य के कर्म उसे आशीर्वाद
अथवा दंड देते हैं। मनुष्य का जीवन सके कर्मो
से तय होता हैं, ईश्वर मनुष्य मार्ग नहीं बनाता। मनुष्य को अच्छे-बुरे
का विचार खुद करना होता हैं और प्रत्येक मनुष्य परहित का विचार करे तो वह कभी
गलत नहीं होता।
आज के समय में मनुष्य भेङचाल का हिस्सा होते जा
रहे हैं। किसी भी व्यक्ति को संत का चौला पहने देख उसके अंधे भक्त बन जाते हैं।
अपने कर्मो का विचार किये बिना उस पाखंडी की बनाई राह को अपना जीवन बना लेते हैं।
इस तरह हमारे देश में आये
दिन आसाराम और रामपाल जैसे देश द्रोही सामने आ रहे हैं इस तरह के सच के सामने आने
से कई लाखों लोगो का जीवन आधार हिन् हो जाता हैं और अविश्वास उनके जीवन पर छा
जाता हैं। देश के लिए सभी को जगाने की जरूरत हैं ईश्वर के रूप को सह तरह से समझने
की जरूरत हैं।
संसार में सबसे बङा कौन
Reviewed by Kahaniduniya.com
on
अक्टूबर 04, 2019
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