अष्ट वसु अपनी पत्नी के साथ पृथ्वी लोक के
भ्रमण पर निकले। सभी धर्मो के दर्शन् के बाद अष्ट वसु अपनी पत्नी साथ वसिष्ठ
ॠषि के आश्रम पहुँचे। जहाँ उन्होंने आश्रम की प्रत्येक वस्तु को देखा जिनमें
यज्ञशाला, पाठशाला आदि। वही एक गौशाला भी थी जिसमें नंदिनी गाय थी जो कि अष्ट वसु
की पत्नी को भा गई थी और वे उसे अपने साथ स्वर्गलोक ले जाने की हठ करने लगी। अष्ट
वसु ने उन्हें बहुत समझाया कि इस तरह चौरी करना पाप हैं। पर पत्नी ने एक ना सुनी
और कहने लगी –हे नाथ! हम तो देव हैं हमें कैसे कोई पाप लग सकता हैं। हम सभी तो
अमरता का वरदान लिए हुए हैं तो हमें किस बात का भय। पत्नी के हठ के सामने अष्ट
वसु को हारना पङा और वे दोनों नंदिनी गाय को चुराकर स्वर्ग लोक ले गये।
दुसरे दिन जब ॠषि वशिष्ठ गौ शाला में आये तो उन्हें
नंदिनी गाय नहीं दिखी। उन्होंने आस पास देखा पर कुछ पता न लगने पर उन्होंने दिव्य
दृष्टि से पुरे घटना क्रम को देखा जिससे वो क्रोधित हो उठे। जिसके फल स्वरूप उन्होंने
आठों वसुओं को शाप दे दिया कि उन्हें देव होने का अभिमान हैं जिसके चलते वे अधर्म
पर भी अपना हक समझते हैं अत: उन सभी को धरती लोक पर जन्म लेकर यहाँ के कष्टों को
भोगना होगा। इससे आठो वसु भयभीत हो गये और उन्होंने भगवान से प्रार्थना की जिसके
फलस्वरूप अन्य सात वसुओं को मुक्ति मिली।
कुछ समय बाद, राजा शान्तनु एवम माता गंगा को आठ
पुत्र हुए जिनमे से सात की मृत्यु हो गई बस आठवां ही जीवित रहा जिनका देवव्रत था
जो कालांतर में भीष्म पितामह के नाम से विख्यात हुए। यही थे वे अष्ट वसु जिन्होंने
अपनी भूल का भोगमान कई वर्षो तक मानसिक एवम शारीरिक यातनाओं के तौर पर भोगना पङा।
इस तरह देवता हो या साधारण मनुष्य उसे अपनी करनी
का भोग भोगना ही पङता हैं। किसी भी प्राणी को कभी घमंड नहीं करना चाहिये ओदा कोई
भी हो नियमो का पालन सभी को करना पङता हैं।
जैसी करनी वैसी भरनी यह एक बहुत बङा सत्य हैं
जिसे मनुष्य को स्वीकार करना चाहिये। और सदैव अपनी वाणी एवम कर्मो पर नियंत्रण
रखना चाहिये। मनुष्य को कभी भी अपने औदे का घमंड नहीं करना चाहिए। क्यूंकि घमंड
सभी अहित की तरफ ले जाता हैं और अहित कभी औदा नहीं देखता। जिस प्रकार कहानी में
देवी को अपने देवत्व का घमंड था जिसका भोगमान उनके पति अष्ट वसु को करना पङा क्यूंकि
उन्होंने अपने पत्नी के गलत हठ में उनका साथ दिया।
जैसी करनी वैसी भरनी यह
कहानी आपको क्या शिक्षा देता हैं क्या इस मुहावरे पर आप कोई अन्य कथा हमें भेज
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भीष्म पितामह का जीवन था किसके कर्मो का फल ?
Reviewed by Kahaniduniya.com
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अक्तूबर 04, 2019
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