सन 1894 में किसी कानूनी विवाद के संबंध में
गांधीजी दक्षिण अफ्रीका गये थे और वहाँ होने वाले अन्याय के खिलाफ ‘अवज्ञा
आंदोलन’ चलाया और इसके पूर्ण होने के बाद भारत लौटे।
दक्षिण अफ्रीका में नागरिक अधिकारों के आन्दोलन
दक्षिण अफ्रीका में गांधी को भारतीयों पर भेदभाव
का सामना करना पङा। आरम्भ में उन्हें प्रथम श्रेणी कोच की वैध टिकट होने के बाद
तीसरी श्रेणी के डिब्बे में जाने से इन्कार करने के लिए ट्रेन से बाहर फेंक दिया
था। इतना ही नहीं पायदान पर शेष यात्रा करते हुए एक यूरोपियन यात्री के अन्दर आने
पर चालक की मार भी झेलनी पङी। उन्होंने अपनी इस यात्रा में अन्य भी कठिनायों का
सामना किया। अफ्रीका में कई होटलों को उनके लिए वर्जित कर दिया गया। इसी तरह बहुत
सी घटनाओं में से एक यह भी थी जिसमें अदालत के न्यायाधीश ने उन्हें अपनी पगङी
उतारने का आदेश दिया था। जिसे उन्होंने नहीं माना। ये सारी घटनाएँ गांधी के जीवन
में एक मोङ्र बन गई और विद्यमान सामाजिक अन्याय के प्रति जागरूकता का कारण बनीं
तथा सामाजिक सक्रियता की व्याख्या करने मे मददगार सिद्ध हुईं। दक्षिण अफ्रीका
में भारतीयों में हो रहे अन्याय को देखते हुए गांधी ने अंग्रेजी साम्राज्य के
अन्तर्गत अपने देशवासियों के सम्मान तथा देश में स्वय अपनी स्थिति के लिए प्रश्न
उठाये।
महात्मा गांधी का भारत आगमन
सन 1916 में गांधीजी दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस
लौटे और फिर हमारे देश की आजादी के लिए अपने कमद उठाना शुरू किया। सन 1920 में
कांग्रेस लीडर बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु के बाद गांधीजी ही कांग्रेस के
मार्गदर्शक थे।
सन 1914 – 1919 के बीच जो प्रथम विश्व युद्ध हुआ
था, उसमें गांधीजी ने ब्रिटिश सरकार को इस शर्त पर पूर्ण सहयोग दिया, कि इसके बाद
वह भारत को आजाद कर देंगे, परन्तु जब अग्रेजों ने ऐसा नही किया, तो फिर गांधी ने
देश को आजादी दिलाने के लिए बहुत से आंदोलन चलाये इनमें से कुछ आंदोलन निम्नानुसार
है-:
सन 1920 में – असहयोग आंदोलन
सन 1930 में – अवज्ञा आंदोलन
सन 1942 में – भारत छोङो आंदोलन
वैसे तो गांधीजी का संपूर्ण जीवन ही एक आंदोलन की
तरह रहा, परन्तु उनके द्वारा मुख्य रूप से 5 आंदोलन चलाये गये, जिनमें से 3
आंदोलन संपूर्ण राष्ट्र में चलाये गए और बहुत सफल हुए और इसलिए लोग इनके बारे में
जानकारी भी रखते हैं, गांधीजी द्वारा चलाये गये इन सभी आन्दोलनों को हम निम्न
प्रकार से वर्गीकृत्त कर सकते है -
प्रमुख आंदोलन
सन 1920 में असहयोग आंदोलन
सन 1930 में अवज्ञा आंदोलन/नमक सत्याग्रह
आदोलन/दांडी यात्रा
सन 1942 में भारत छोङो आंदोलन
अन्य आंदोलन
सन 1918 में चंपारन और खेङा सत्याग्रह
सन 1919 में खिलाफत आंदोलन
सन 1918 में : चंपारन और खेङा सत्याग्रह
गांधीजी द्वारा सन 1918 में चलाया गया ‘चंपारन और
खेङा सत्याग्रह’ भारत में उनके आंदोलनों की शुरूआत थी और इसमें वे सफल रहे ये सत्याग्रह
ब्रिटिश लैंडलॉर्ड के खिलाफ चलाया गया था इन ब्रिटिश लैंडलॉर्ड द्वारा भारतीय
किसानों को नील की पैदावार करने के लिए जोर डाला जा रहा था और इसी के साथ हद तो यह
भी थी कि उन्हें यह नील एक निश्चित कीमत पर ही बेचने के लिए भी विवश किया जा रहा
था और भारतीय किसान ऐसा नहीं चाहते थे, तब उन्होंने महात्मा गांधी की मदद ली, इस
पर गांधीजी ने एक अहिंसात्मक आंदोलन चलाया और इसमें सफल रहे और अंग्रेजो को उनकी
बात मानना पङी।
इसी वर्ष खेङा नामक एक गाँव, जो गुजरात प्रान्त
में स्थित हैं, वहाँ बाढ आ गयी और वहाँ के किसान ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाये जाने
वाले टैक्स भरने में असक्षम हो गये, तब उन्होंने इसके लिए गांधीजी से सहायता ली
और तब गांधीजी ने ‘असहयोग’ नामक हथियार का प्रयोग किया और किसानो को टैक्स में
छूट दिलाने के लिए आंदोलन किया, इस आंदोलन में गांधीजी को जनता से बहुत समर्थन
मिला और आखिरकार मई, 1918 में ब्रिटिश सरकार को अपने टैक्स संबंधी नियमों में
किसानों को राहत देने की घोषणा करनी पङी,
महात्मा गांधी की दक्षिण अफ्रीका यात्रा
Reviewed by Kahaniduniya.com
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अक्टूबर 02, 2019
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