अमेरिका
के 16वाँ राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन का जन्म 12 फरवरी 1809 को केंटकी (अमेरिका)
में हुआ था।
उनका
पूरा नाम अब्राहम थॉमस लिंकन था उनके पिता एक किसान थे।
वह
एक साल तक भी स्कूल नहीं गए लेकिन खुद ही पढना लिखना सिखा और वकील बने।
एक
सफल वकील बनने से पहले उन्होंने विभिन्न प्रकार की नौकरियों की और धीरे-धीरे
राजनीति की ओर मुङे।
उस
समय देश में गुलामी की प्रथा की समस्याओं चल रही थी। गोरे लोग दक्षिणी राज्यों के
बङे खेतों के स्वामी थे, और वह अफ्रीका से काले लोगो को अपने खेत में काम करने के
लिए बुलाते थे और उन्हें दास के रूप में रखा जाता था।
उत्तरी
राज्यों के लोग गुलामी की इस प्रथा के खिलाफ थे और इसे समाप्त करना चाहते हैं
अमेरिका का संविधान आदमी की समानता पर आधारित है। इस मुश्किल समय में, अब्राहम लिंकन
1860 में संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए थे।
वह
गुलामी की समस्या केा हल करना चाहते थे। दिक्षणी राज्यों के लोग गुलामी के उन्मूलन
के खिलाफ थे।
इससे
देश की एकता में खतरे आ सकता है। दक्षिणी राज्य एक नए देश बनाने की तैयार कर रहा
था।
परन्तु
अब्राहम लिंकन चाहता था कि सभी राज्यों एकजुट हो कर रहे। अब्राहम लिंकन को कई
समस्याओं का सामना करना पङा।
वह
किसी भी किमत पर देश की एकता की रक्षा करना चाहते थे। अंत में उत्तरी और दक्षिणी
राज्यों के बीच एक नागरिक युद्ध छिङ गया।
4
मार्च 1865 को अब्राहम लिंकन इनका दुसरी बार शपथ समारोह हुआ। शपथ समारोह होने के
बाद लिंकन इन्होंने किया हुआ भाषण बहुत मशहूर हुआ।
उस
भाषण से बहुत लोगो के आँख में आसू आ गये।
वह किसी के भी खिलाफ नहीं थे और चाहते थे की सब लोग शांति से जीवन बिताये।
1862
में लिंकन की घोषणा की थी अब सभी दास मुक्त होगे। इसी से ही लिंकन लोगों के बीच
लोकप्रिय रहा।
अपनी
जिंदगी में कई बार असफलताओं का सामना करने वाले अब्राहम लिंकन आखिरकार अमेरिका के
एक सफल राष्ट्रपति बने थे।
वे
संयुक्त राज्य अमेरिका के ऐसे महापुरूष थे, जिन्होंने देश और समाज की भलाई के
लिये अपना जीवन समर्पित कर दिया। लिंकन कभी भी धर्म के बारे में चर्चा नहीं करते
थे और किसी चर्च से सम्बद्ध नहीं थे।
एक
बार उनके मित्र ने उनसे उनके धार्मिक विचार के बारे में पूछा। लिंकन ने कहा – “बहुत पहले मैं इंडियाना में एक बूढे आदमी
से मिला जो यह कहता था ‘जब मैं कुछ अच्छा करता हूँ तो अच्छा अनुभव करता हूँ और
जब बुरा करता हूँ तो बुरा अनुभव करता हूँ। यही मेरा धर्म है”।
मृत्यु
14
अप्रेल 1865 को वॉशिंगटन के एक नाटयशाला में नाटक देख रहे थे तभी जॉन विल्किज बुथ
नाम के युवक ने उनको गोली मारी। इस घटना के बाद दुसरे दिन मतलब 15 अप्रेल के सुबह
अब्राहम लिंकन की मौत हुयी।
एक
बार लिंकन और उनके एक सहयोगी वकील ने एक बार किसी मानसिक रोगी महिला की जमीन पर
कब्जा करने वाले एक धूर्त आदमी को अदालत से सजा दिलवाई।
मामला
अदालत में केवल पंद्रह मिनट ही चला। सहयोगी वकील ने जीतने के बाद फीस में बँटवारकन
ने उसे डपट दिया।
सहयोगी
वकील ने कहा कि उस महिला के भाई ने पूरी फीस चुका दी थी और सभी अदालत के निर्णय से
प्रसन्न थे परन्तु लिंकन ने कहा-“लेकिन मैं खुश नहीं हूँ। वह पैसा एक
बेचारी रोगी महिला का है और मैं ऐसा पैसा लेने के बजाय भूखे मरना पसंद करूँगा। तुम
मेरी फीस की रकम उसे वापस कर दो।”
अब्राहम लिंकन
Reviewed by Kahaniduniya.com
on
अक्टूबर 19, 2019
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