राजीव राधेश्याम दीक्षित भारत के महान व्यक्तित्व
थे। वह एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता थे। वे गरीब और जरूरमंद भारतियों के समर्थक
थे।
बहुत सालों से बहुराष्ट्रीय कम्पनियों
के खिलाफ संघर्ष कर रहे थे। वह भारतीय स्वतंत्रता के समर्थक थे और भारत में स्वाभिमान
आन्दोलन, आजादी आन्दोलन और स्वदेशी आन्दोलन के माध्यम से देश मे जागरूकता
फैलाने के लिए प्रयासरत थे।
वह भारतीयता के एक मजबूत आस्तिक और उपदेशक
थे।
राजीव दीक्षित का जन्म और जीवन
राजीव दीक्षित का जन्म भारत के उत्तर
प्रदेश के अलीगढ जिले के नाह गाँव में 30 नवम्बर 1967 को हुआ था। वह स्वतंत्रता
सेनानियों के परिवार से थे। वह एक भारतीय वैज्ञानिक थे, उन्होंने एपीजे अब्दुल
कलाम के साथ भी काम किया हैं।
साथ ही वे फ्रांस के दूर संचार क्षेत्र मे
भी वैज्ञानिक के तौर पर काम कर चुके थे। उन्होंने भारतीय इतिहास के बारे में,
भारतीय संविधान के मुद्दों और भारतीय आर्थिक निति के बारे में भी जागरूकता फैलाने
के लिए प्रयास किया।
राजीव दीक्षित का पारिवारिक जीवन उनके
पिता का नाम राधेश्याम दीक्षित था। वे मानवीय सभ्यता का दुनिया भर में प्रसार
करते थे। वे ब्रह्मचारी थे उन्होंने कभी शादी नहीं की। 1997 में जब उनकी पहली
मुलाकात प्रोफेसर धर्मपाल से हुई तो वो उनसे काफी प्रभावित हुए। वो 1999 से बाबा
रामदेव के साथ सहयोग करते रहे थे। वो चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह और उधम सिंह जैसे
क्रांतिकारियों से प्रेरित थे। बाद में वो महात्मा गाँधी के शुरूआती कार्यो के
सराहना करते हुए और शराब, गुटखा इत्यादि के उत्पादन के विरूद्ध में कार्य करते
हुए गौ रक्षा और सामाजिक अन्यायों के विरूद्ध लङाई लङते अपने जीवन को समर्पित कर
दिए।
राजीव दीक्षित की शिक्षा
अपने पिता के देख-रेख में उन्होंने
फिरोजाबाद जिले के गाँव के स्कूली शिक्षा प्राप्त की। उसके बाद पी.डी. जैन इंटर
कॉलेज से उन्होंने अपनी स्नातक की पढाई की शुरूआत 1984 में के.के.एम कॉलेज, जमुई
बिहार से इलेक्ट्रॉनिक और संचार में बी. टेक की डिग्री लेकर पूरी की।
उन्होंने एम टेक की डिग्री भी आई आई टी
खङगपुर से प्राप्त की थी, लेकिन मातृभूमि की सेवा का जूनून हमेशा ही उन्हें अपनी
ओर खींचता रहा, इसलिए वो सामाजिक सेवा के कार्य में अपने योगदान दिए।
राजीव दीक्षित का कैरियर
भारत में लगभग 8000 बहुराष्ट्रीय कंपनिया
है, जो भारत में अपना प्रसार कर रही है। उस कंपनी के उत्पादों के लिए भारतीय कङी
मेहनट करते है, लेकिन सभी उत्पाद उनके देश में भेज दिए जाते है इसलिए उन्होंने
स्वदेशी आन्दोलन शुरू किया और हर भारतीय से आग्रह किये कि वो स्वदेशी उत्पादों
को अपनाये।
उन्होंने कोका कोला, पेप्सी, यूनिलीवर
और कोलगेट जैसी कम्पनी के खिलाफ लङाई लङी और शीतल पेय पदार्थो में जहर होने की
बात कही। इसके लिए उन्होंने लम्बी लङाई भी लङी और ये साबित भी कर दिया कि इन पेय
पदार्थो में जहर है।
इन्हें पीना स्वास्थ्य के लिए
हानिकारक है। उनका ऐसा मानना था कि इन कंपनियों ने अपने देश में धन को कम कर दिया
है, जिससे भारत और गरीब होता जा रहा है। दीक्षित ने सुझाव दिया था कि भारतीय सर्वोच्च
न्यायालय को स्विस बैकों में जमा भारतीय काली सम्पति को राष्ट्रीय संपत्ति
घोषित कर देनी चाहिए।
भारत मे स्विस बैंक में जमा पूंजी को लाने
के लिए अपनी मुहीम में उन्होंने 495 लाख लोगों के हस्ताक्षर को भी इकठ्ठा किया
था। 9 जनवरी 2009 को वह भारत के स्वाभिमान ट्रस्ट के सचिव बन गए थे। स्वदेशी
में उनका विश्वास था।
नई दिल्ली में उन्होंने एक स्वदेशी
जागरण मंच का नेतृत्व किया जिसमें 50,000 से भी अधिक लोगों को उन्होंने संबोधित
किया। इसके अलावा उन्होंने कलकत्ता में भी विभिन्न संगठनों और प्रमुख व्यक्तियों
द्वारा समर्थित आयोजित कार्यक्रम का नेतृत्व किया। उन्होंने जनरल स्टोर की एक
ऐसी श्रृंखला को खोलने के लिए आन्दोलन किया जहा सिर्फ भारतियों द्वारा बनाये गए
उत्पाद की बिक्री हो।
व़ह आजादी बचाओं आन्दोलन के प्रवक्ता
थे। उन्होंने कराधाम प्रणाली के विकेंद्रीकरण की मांग करते हुए कहा था कि वर्तमान
प्रणाली में जो नौकरशाही है, वह भ्रष्टाचार के मुख्य कारण थे, साथ ही उन्होंने
यह भी दावा किया था कि राजस्व कर का 80% तक राजनेताओं और नौकरशाहों के भुगतान के लिए इस्तेमाल किया गया था।
आम जनता के विकास उदेश्यों के लिए सिर्फ
20% का ही उपयोग किया जाता है। उन्होंने सरकार के मौजूदा बजट
प्रणाली की तुलना भारत के पहले ब्रिटिश बजट प्रणाली से करते हुए यह दर्शाया था कि
जो भी आंकङे बजट में पेश किये जाते है वो उस वक्त की बजट प्रणाली के समान ही थे।
उन्होंने अमेरिकी वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर
हुए हमले को लेकर सवाल भी उठाया था और आतंकी हमले पर संदेह किया था। उन्होंने
दावा किया था कि यह अमेरिका के सरकार द्वारा ही कराया गया था उन्होंने यू। एस। के
लोन लालटेन सोसाइटी के दावों का समर्थन किया था।
राजीव दीक्षित ने ये कहा था कि वर्तमान
में हमारे पास तीन बुराइयां आ रही है। यह उन्होंने वैश्वीकरण, निजीकरण और
उदारीकरण को एक आत्मघाती राज्य की ओर अकेलने वाली बुराई के रूप में बताया था।
1998 में उपनिवेशवाद के हिंसक इतिहास पर
एक प्रदर्शनी पेश करते हुए कहा था यह आधुनिक भारत के लिए भयावह हैं। इसके साथ ही
उन्होंने यह तर्क दिया था और कहा था कि आधुनिक विचारकों ने कृषि क्षेत्र की
उपेक्षा की है, जिस वजह से किसान स्वयं मानसिक दबाव में आकर आत्महत्या के लिए
मजबूर हो रहे है और उन्हें ऐसा करने के लिए छोङ दिया गया है।
उन्होंने भारतीय न्यायपालिका और कानूनी
व्यवस्था के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा था कि भारत अब भी
ब्रिटिश युग के दौरान लागु किये गए कानूनों का पालन कर रहा है और भारतीय आवश्यकताओं के अनुसार उन्हें
बदलने की कोशिश भी नहीं कर रहा है।
राजीव दीक्षित ने भारत के प्रधानमंत्री
मनमोहन सिंह की सरकार पर यू एस ए के एजेंट होने का आरोप लगाया। उन्होंने यह दावा
किया कि रेडियों सक्रिय तत्वों का एक बङा भंडार भारतीय समुन्द्र के सेतु पल के
नीचे मौजूद है, जिसकी इतनी विशाल मात्रा है कि 150 वर्षो तक इन रेडियों सक्रिय तत्वों
का इस्तेमाल बिजली और परमाणु हथियार बनाने के लिए किया जा सकता है।
और उन्होंने यह भी कहा की भारत सरकार उस
पुल को तोङने की कोशिश कर रही है जो 7,00,000 साल पुराना है।
राजीव दीक्षित की उपब्धियां
सभी समय के नागरिक अधिकार नेता और सबसे
लोकप्रिय नेता के रूप में 28वें स्थान पर तथा सबसे मशहुर व्यक्ति के रूप में
5877 वें स्थान पर उनका नाम आता है।
राजीव दीक्षित ने कई पुस्तके लिखी और कई
लेक्चर भी दिए जिनका संग्रह सीडी, एसडी कार्ड्स इत्यादि जैसे इलेक्ट्रॉनिक
मीडिया में संग्रहित है, जिन्हें विभिन्न ट्रस्टों के द्वारा प्रकाशित कराया
गया है।
ऑडियो रूप में उनकी 1999 में भारतीय राष्ट्रवाद
और भारतीय अतीत की महानता पर ऑडियों कैसेट बनी थी इसके अलावा ऑडियो में उनकी स्वास्थ्य
कथा भी है।
पुस्तकों में उनके द्वारा रचित है, स्वदेशी
चिकित्सा, गौर गौवंश पर आधारित स्वदेशी कृषि, गौ माता, पंचगव्य चिकित्सा। ये
सभी उनकी उपलब्धियों में शामिल है।
राजीव दीक्षित की मृत्यु और विवाद
राजीव दीक्षित का निधन 30 नवम्बर 2010 को
छत्तीसगढ के भिलाई में दिल का दौरा पङने की वजह से हो गया था।
उनकी याद में हरिद्वार में भारत स्वाभिमान
बिल्डिंग का निर्माण हुआ है जिसका नाम राजीव भवन रखा गया है।
उनकी मृत्यु हुए कई वर्ष बीत चुके है
लेकिन अभी भी उनकी मृत्यु के कारणों पर अनिश्चित बनी हुई है और उनकी मौत का कारण
अज्ञात है।
राजीव दीक्षित
Reviewed by Kahaniduniya.com
on
अक्टूबर 20, 2019
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