1940 के दशक तक आते – आते भारत की आजादी के लिए देश के बच्चे, बूढे
और जवान सभी में जोश और गुस्सा भरा पङा था। तब गांधीजी ने इसका सही दिशा में
उपयोग किया और बहुत ही बङे पैमाने पर सन 1942 में भारत छोङो आंदोलन की शुरूआत की,
यह आंदोलन अब तक के सभी आंदोलनों में सबसे अधिक प्रभावी रहा, यह अंग्रेजी सरकार के
लिए एक बहुत बङी चुनौती थी।
विस्तृत वर्णन :-
सन 1942 में महात्मा गांधी द्वारा चलाया गया तीसरा बङा आंदोलन था।
भारत छोङो आंदोलन इसकी शुरूआत महात्मा गांधी ने अगस्त, सन 1942 में की गयी थी
परन्तु इसके संचालन में हुई गलतियों के कारण यह आंदोलन जल्दी ही धराशायी हो गया
अर्थात यह आंदोलन सफल नहीं हो सका था, इसके असफल होने के पीछे कई कारण थे। जैसे :
इस आंदोलन में विद्यार्थी, किसान, आदि सभी के द्वारा हिस्सा लिया जा रहा था और
उनमें इस आंदोलन को लेकर बङी लहर थी और आंदोलन सपूर्ण भारत में एक साथ शुरू नहीं
हुआ। अर्थात् आंदोलन की शुरूआत – अलग – अलग तिथियों पर होने से इसका प्रभाव कम हो
गया। इसके अलावा बहुत से भारतीयों को ऐसा भी लग रहा था। कि यह स्वतंत्रता संग्राम
का चरम हैं और अब हमें आजादी मिल ही जाएगी और उनकी इस सोच ने आंदोलन को कमजोर कर
दिया। परन्तु इस आंदोलन से एक बात ये अच्छी हुई की इससे ब्रिटिश शासकों को यह
एहसास हो गया था, कि अब भारत में उनका शासन नहीं चल सकता, उन्हें आज नहीं तो कल
भारत छोङ कर जाना होगा।
इस तरह गांधीजी द्वारा उनके जीवनकाल में चलाये गये सभी आंदोलनों ने
हमारे देश की आजादी के लिए अपना सहयोग दिया और अपना बहुत गहरा प्रभाव छोङा।
महात्मा गांधी का सामाजिक जीवन
गांधीजी एक महान लीडर तो थे ही, परन्तु अपने सामाजिक जीवन में भी वे
सादा जीवन उच्च विचार को मानने वाले व्यक्तियों में से एक थे। उनके इसी स्वभाव
के कारण उन्हें लोग ‘महात्मा’ कहकर संबोधित करने लगे थे। गांधीजी प्रजातंत्र के
बङे भारी समर्थक थे। उनके 2 हथियार थे, ‘सत्य और अहिंसा’ इन्हीं हथियारों के बल
पर उन्होंने भारत को अंग्रेजो से आजाद कराया। गांधीजी का व्यक्तित्व कुछ ऐसा था
कि उनसे मिलने पर हर कोई उनसे बहुत प्रभावित हो जाता था।
सन 1942 में : भारत छोङो आंदोलन
Reviewed by Kahaniduniya.com
on
अक्तूबर 02, 2019
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