बर्नार्ड शॉ ने अपने कपङों को खिला दिया खाना


जॉर्ज बर्नार्ड शॉ को एक महिला ने भोज पर आमंत्रित किया। शॉ ने उसका आमंत्रण स्‍वीकार कर लिया, जबकि उन दिनों वे काफी व्‍यस्‍त चल रहे थे। जिस दिन महिला के यहां जाना था, उस दिन तो उनकी व्‍यस्‍तता चरम पर थी किंतु वे अपने वायदे के पक्‍के थे। इसलिए किसी तरह समय निकालकर वे उसके घर पहुंचे। वह महिला उन्‍हें देखकर प्रसन्‍न तो हुई किंतु उनके सामान्‍य पहनावे को देखकर खिन्‍न हो गई और बोली-मेरे सभी दोस्‍त आपके इस पहनावे को देखकर क्‍या सोचेंगे? आप अभी तत्‍काल मेरी गाङी में जाइए और वेशभूषा बदलकर आइए। शॉ ने धैर्यपूर्वक उसकी बात सुनी और बिना किसी प्रतिकार के गाङी में बैठकर घर चले गए। कुछ ही देर में वे कीमती वेशभूषा में आए। फिर वह महिला उन्‍हें भोज स्‍थल पर ले गई, जहां अनेक स्‍वादिष्‍ट पकवान बने थे। शॉ ने उन सभी पकवानों का अपने वस्‍त्रों पर डाल लिया। वे कहते जा रहे थे-खुब खाओ। ये भोजन तुम्‍हारे लिए ही हैं जब लोगों ने उसे ऐसा करने का कारण पूछा तो वे बोले-दरअसल निमंत्रण मुझे नहीं, मेरे कपङों को मिला है। इसलिए मैं तो वही कर रहा हूं जो मुझे करना चाहिए। उनके ऐसा कहते ही वहां चुप्‍पी छा गई और निमंत्रण देने वाली महिला बेहद शर्मिदा हुई।

दरअसल किसी भी व्‍यक्ति का मूल्‍याकन उसकी योग्‍यता से किया जाना चाहिए, न कि उसकी वेशभूषा से। वेशभूषा यदि सामान्‍य भी हो और व्‍यक्ति का बौद्धिक, आध्‍यात्मिक या नैतिक स्‍तर उंचा हो तो वह सम्‍मान का पात्र है क्‍योंकि समाज के विकास मे योगदान उसकी प्रतिभा देती है, न कि वेशभूषा।

उत्‍तम विचार – प्रसन्‍न रहने के लिए प्रशंसा की इच्‍छा का त्‍याग आवश्‍यक हैं।
बर्नार्ड शॉ ने अपने कपङों को खिला दिया खाना बर्नार्ड शॉ ने अपने कपङों को खिला दिया खाना Reviewed by Kahaniduniya.com on सितंबर 22, 2019 Rating: 5

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