जब बेटे ने अपने पिता को चोरी के पाप से बचाया  

रामदास एक साधारण किसान था और अपनी छोटी-सी जमीन पर खेती करके परिवार का पालन-पोषण करता था। दिनभर काम करने के बाद शाम को वह अपने परिवार के साथ बैठकर प्रभु का भजन करता और अपने बच्‍चों को सदा प्रेरक व चरित्र उत्‍थान की कहानियां सुनाया करता था। एक दिन ऐसी ही कोई कहानी सुनाते हुए उसने अपने बच्‍चों को बताया कि भगवान सर्वज्ञ है और सभी कुछ देखते हैं। एक बार रामदास के इलाके में अकाल पङा। उस समय उसके खेत में कुछ पैदा नहीं हुआ। पानी की कमी के कारण उसकी पूरी फसल नष्‍ट हो गई। उसके सामने रोजी-रोटी का संकट खङा हो गया। भूख के मारे बच्‍चे बिलबिलाने लगे।

बच्‍चों की यह दशा देखकर एक रात वह अपने बङे बेटे श्‍याम के साथ निकला और जमींदार के खेत मे पहुंच गया। उसने श्‍याम से कहा-मैं खेत से कुछ लेकर आता हूं। तू देखना कि कोई इधर आ तो नहीं रहा। श्‍याम बोला-बापू चोरी तो बुरा काम है। जमींदार के खेत से हम क्‍यों कुछ लें? इस पर रामदास ने डांटकर कहा-जमींदार का है तो क्‍या हुआ। हम जो भूखे मर रहे हैं तो वह हमें देखने आ रहा है? रामदास जैसे ही आगे बढा श्‍याम चिल्‍लाया-बापू आ जाओं, वह हमें देख रहा है। आपने ही कहा था कि वह सब कुछ देखता है। रामदास ने श्‍याम का इशारा समझ्‍ा उसे गले लगाकर कहा-बेटा। आज तूने मुझ्‍ो पाप करने से बचा लिया।


संदेश यह है कि कष्‍ट के समय घबराकर अनुचित मार्ग का सहारा नहीं लेना चाहिए। इससे तात्‍कालिक समाधान संभव है किंतु अंतत: यह अशांति का जनक ही सिद्व होता है। 
Reviewed by Kahaniduniya.com on सितंबर 09, 2019 Rating: 5

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