आंतरिक शक्ति से किया सेना का मुकाबला

द्वितीय महायुद्व के समय की बात हैं जर्मनी ने हॉलैंड पर हमला करने का विचार किया। जर्मनी की सेना के पास सभी आधुनिक हथियार और सामग्री थी, जबकि हॉलैंड के पास नहीं। हॉलैंड में जब जर्मनी के आक्रमण का समाचार पहुंचा तो लोगों में खलबली मच गई। इतने शक्तिशाली राष्‍ट्र से मुकाबला तो किया ही नही ंजा सकता था, किंतु देश को गुलाम भी नहीं बनने देना था। अत: सभी जिम्‍मेदार लोगों ने बैठकर विचार-विमर्श किया कि देश को केसे बचाया जाए? हिटलर की फौंजें किसी भी क्षण हमला कर सकती थीं। हॉलैंड समुद्र की सतह से नीचे होने के कारण उसे समुद्रके पानी से बचाने के लिए समुद्र के किनारों पर बङी बीवारें और परकोटे बनाए गए। 

इन्‍हें अपनी शक्ति का साधन मानकर हॉलैंड के जिम्‍मेदार लोगों ने कहा-हम मर जाएंगे, किंतु हिटलर के गुलाम नही बनेंगें। नागरिक मंडल में से प्रश्‍न उठा। हम लोग मर गए तो जर्मनी हमें अवश्‍य ही गुलाम बना लेगा। तब हम क्‍या करेंगे? निर्णय समिति के प्रतिनिधि ने कहा-नहीं, हमारी मृत्‍यु के बाद भी वह हमं गुलाम नही बना पाएगा। नागरिकों ने जानना चाहा कि वह कौन-सा उपाय है, जिससे हम मरकर भी गुलाम नहीं बन सकते। तब प्रतिनिधि बोला-जब हिटलर की सेना हमारी सीमा तक पहुंचेगी तो हम ये दीवारें व परकोटे तोङ देंगे। इससे न हमारा देश रहेगा औरन हम, यहां तक कि हिटलर की सेना भी समुद्र में डूब जाएगी। हॉलैंड के लोगों का यह निर्णय जानकर हिटलर ने उस पर हमले का फैसला त्‍याग दिया।


यह सत्‍य घटना संकेत करती है कि आत्‍मशक्ति से बढकर कोई शक्ति नहीं।   



Reviewed by Kahaniduniya.com on सितंबर 08, 2019 Rating: 5

कोई टिप्पणी नहीं:

nicodemos के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.