काम बदलने पर काम का महत्‍व समझे देवदूत

काम बदलने पर काम का महत्‍व समझे देवदूत

एक शाम नगर के प्रवेश द्वार पर दो देवदूत मिले। परस्‍पर अभिवादन के बाद उनमें वार्तालाप का सिलसिला चल पडा। एक ने पूछा-आजकल तुम्‍हारे जिम्‍मे कौन सा कार्य है, दूसरे ने उत्‍तर दिया-मुझे एक महापतित मनुष्‍य का अभिभावक नियुक्‍त किया गया है। वह उस घाटी में रहता है और बडा ही दुराचारी है। यह कार्य अत्‍यंत कठिन है और मुझे इसे करने में घोर परिश्रम करना पडता है। पहला बोला-यह तो साधारण-सा काम है। मेरा कई पापी लोगों से पाला पड चुका है, किंतु इस बार मुझे एक धर्मात्‍मा की देख-रेख का काम दिया गया है। जो अत्‍यंत कठिन औश्र सावधानी का है। 

दूसरे ने कहा-भला पापात्‍मा के अभिभावक की अपेक्षा धर्मात्‍मा का कार्य कठिन कैसे हो सकता है, तुम बहुत ही अहंकारी तो तुम हो। इस बात को लेकर दोनों के बीच वाकयुद्व मल्‍लयुद्व में बदल गया। तभी उनका प्रधान वहां आया। उसने दोनों को रोककर लडने का कारण पूछो तो उन्‍होंने अपने अपने काम का महत्‍व प्रमाणित करना शुरू कर दिया। तब प्रधाान ने कहा, मैं यह कहना नहीं चाहता कि तुम दोनों में से कौन अधिक प्रशंसा का पात्र है, किंतु चूंकि तुम दोनों एक-दूसरे के कार्य को सरल कह रहे हो तो परस्‍पर कार्य बदल लो। जब दोनों ने परस्‍पर कार्य बदले तो दोनों को एक-दूसरे के कार्यों की महत्‍ता  का भान हुआ और दोनों के बीच श्रेष्‍ठता  का विवाद शांत हो गया।

दरअसरल, दुनिया में कोई भी कोर्य छोटा या बडा नहीं है। सभी कार्य महत्‍वपूर्ण हैं। इसलिए कर्म की महत्‍ता समझिए, उसे उच्‍च या निम्‍न की श्रेणी में नहीं बांटिए।
काम बदलने पर काम का महत्‍व समझे देवदूत काम बदलने पर काम का महत्‍व समझे देवदूत Reviewed by Kahaniduniya.com on सितंबर 05, 2019 Rating: 5

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