तिजोरी खा गया चूहा और लङके को ले गर्इ चील


किसी शहर में एक व्‍यापारी अपने बेटे के साथ रहता था। उनकी एक छोटी-सी दुकान थी। कुछ समय बाद व्‍यापारी का देहांत हो गया। लङके ने सोचा कि बङे शहर में चलकर धन कमाना चाहिए। उसके पास लोहे की एक शानदार तिजोरी थी और बाकी छुटपुट सामान था। उसने वह सामान तिजोरी में रखकर उसे यह कहते हुए महाजन के सुपुर्द किया कि मैं परदेस जा रहा हूं। आप यह तिजोरी रख लें। महाजन ने उसकी तिजोरी को सुरक्षित रखने का आश्‍वासन किया। लङका परदेस चला गया। वहां उसने खूब कमाई की। कुछ समय बाद वह अपने शहर लौटा। यहां आकर अपनी तिजोरी वापस लेने वह महाजन के पास गया तो महाजन ने कहा-तुम्‍हारी तिजोरी तो चूहों ने कुतर डाली। लङका महाजन की नीयत समझ गया और लौट गया। कुछ दिन बाद वह महानज से बोला-काका, मैं गंगा नहाने जा रहा हूं। अपने लङके को साथ भेज दीजिए। 

महाजन ने लङके को भेज दिया। व्‍यापारी के लङके ने महाजन के लङके को एक कोठरी में बंद कर दिया। महाजन के पूछने पर वह बोला-हम दोनों जा रहे थे कि अचानक एक चील आई और उसे उठाकर ले गई। महाजन ने कहा-चील भी कहीं लङके को उठाकर ले जा सकती है? महाजन ने राजा से फरियाद की। दोनों पक्ष सुनने के बाद राजा ने कहा, जब चूहे एक मन की लोहे की तिजोरी खा सकते हैं तो चील भी लङके को उठाकर ले जा सकती है। महाजन को अपनी गलती का अहसास हुआ। उसने तिजोरी वापस कर दी।


सार यह है‍ कि नीयत में बदी के आ जाने से तात्‍कालिक लाभ हो सकता है, किंतु अंत में यह बङी हानि का कारण बनता है।


उत्‍तम विचार – यदि व्‍यक्ति में त्‍वरित बु‍द्धि‍ हो तो वह आने वाले संकट को टाल सकता है।
तिजोरी खा गया चूहा और लङके को ले गर्इ चील                     तिजोरी खा गया चूहा और लङके को ले गर्इ चील Reviewed by Kahaniduniya.com on सितंबर 21, 2019 Rating: 5

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