हजरत मोहम्मद ने दिखाया वृद्वा
को सही रास्ता
हजरत मोहम्मद जब भी नमाज पढने मस्जिद जाते तो उन्हें नित्य ही
एक वृद्वा के घर के सामने से निकलना पङता था। वह वृद्वा अशिष्ट, कर्कश और क्रोधी
स्वभाव की थी। जब भी मोम्मद साहब उधर से निकलते, वह उन पर कूङा’-करकट डाल दिया
करती थी। मोहम्मद साहब बगैर कुछ कहे अपने कपङों से कूङा झाङकर आगे बढ जाते।
प्रतिदिन की तरह जब वे एक दिन उधर से गुजरे तो उन पर कूङा आकर नहीं गिरा। उन्हें
कुछ हैरानी हुई, किंतु वे आगे बढ गए। अगले दिन फिर ऐसा ही हुआ तो मोहम्मद साहब से
रहा नहीं गया। उन्होंने दरवाजे पर दस्तक दी। वृद्वा ने दरवाजा खोला। दो ही दिन
में बीमारी के कारण वह अत्यंत दुर्बल हो गई थी।
मोहम्मद साहब उसकी बीमारी की बात सुनकर हकीम को बुलाकर लाए और
उसकी दवा आदि की व्यवस्था की। उनकी सेववा और देखभाल से वृद्वा शीघ्र ही स्वस्थ
हो गई। अंतिम दिन जब वह अपने बिस्तर से उठ बैठी तो मोहम्मद साहब ने कहा-अपनी
दवाएं लेती रहना और मेरी जय्रत हो तो मुझे बुला लेना। वृद्वा रोने लगी। मोहम्मद
साहब ने उससे रोने का कारण पूछा तो वह बोली, मेरे दुर्व्यवहार के लिए मुझे माफ कर
दोगे? वे हंसते हुए कहने लगे-भूल जाओं सब कुछ और अपनी तबीयत सुधारो। वृद्वा
बोली’-मैं क्या सुधरूंगी तबीयत? तुमने तबीयत के साथ-साथ मुझे भी सुधार दिया है।
तुमने अपने प्रेम और पवित्रता से मुझे सही मार्ग दिखाया है। मैं आजीवन तुम्हारी
अहसानमंद रहूंगी।
घटना
का संदेश है कि जिसने स्वयं को प्रेम, क्षमा व सदभावना में डुबोकर पवित्र कर
लिया, उसने सब पा लिया।
हजरत मोहम्मद ने दिखाया वृद्वा को सही रास्ता
Reviewed by Kahaniduniya.com
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सितंबर 05, 2019
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