मुंह की सलाह से अंगों ने खत्‍म कर दी हङताल

मुंह की सलाह से अंगों ने खत्‍म कर दी हङताल

एक बार शरीर के सभी अंगों ने मिलकर पेट से कहा-मियां, कुछ करते’-धरते भी हो या बैठे-बैठे माल ही सूतते रहते हो। एक हम हैं कि काम करते-करते मरे जा रहे हैं। यह नहीं चलेगा। तुम्‍हें कुछ करना ही होगा अन्‍यथा हमारे रास्‍ते अलग हो जाएंगे, पेट ने उत्‍तर दिया, 

कैसी बातें करते हो भाइयों। काम तो मैं भी करता हूं। पेट का यह उत्‍तर सुनकर पैरों ने दूसरे अंगों से कहा-ये कुछ तो करेंगे नहीं और बातें बनाकर माल ही चरेंगे। भाई। 

आज से इस पेट के लिए खाना-पीना बटोरने हम कहीं नहीं जाएंगे। हाथों ने कहा-हम भी आज से इसके लिए अंगुलियां क नहीं हिलाएंगे। मुंह बोला-औरमैं कभी इसके लिए एक कौर तक नहीं निगलूंगा। दांतों ने भी साथ दिया, 

कसम ले लो जो हम कभी इसके लिए कुछ चबाएं। इस प्रकार सभी दुर्बल हो गए। पैर बोले-हमसे तो चलते-फिरते ही नहीं बनता। हाथों ने कहा-हमारी तो अंगुलियां भी नहीं हिलती। मुंह ने सुझाव दिया-हम हडताल न करते तो यह मुसीबत न आती। बेहतर होगा कि हम अपने काम पर लौट जाएं। 

सभी अंग पुन: अपना कार्य करने लगे और थोडी ही दिनों में सभी चंगे हो गए। तब पेट ने उनसे कहा-अब आया समझ में कि मैं क्‍या करता हूं। पैर इधर-उधर खाने-पीने का सामान बटोरने जाते हैं, हाथ उसे मुंह तक पहुंचाते हैं औश्र दांत चबाकर मुझे दे देते हैं। मैं उसका रस बनाकर तुम सभी को सौंप देता हूं। उसी से तुम मजबूत रहते हो।

तात्‍पर्य यह है कि संसार के सभी कार्य परस्‍पर सहयोग से ही होते हैं। वस्‍तुत: एकता में बडा बल होता है।
मुंह की सलाह से अंगों ने खत्‍म कर दी हङताल मुंह की सलाह से अंगों ने खत्‍म कर दी हङताल Reviewed by Kahaniduniya.com on सितंबर 05, 2019 Rating: 5

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