एक कस्बे में एक बुजुर्ग रहा करते थे। वे
अपने कस्बे में महामूर्ख के नाम से चर्चित थे। कस्बे का हर व्यक्ति उनके
कारनामों को देख उनका उपहास उङाता था। बुजुर्ग के घर के सामने दो विशालकाय पहाङ
थे, जिससे आने-जाने में लोगों को असुविधा होती थी। कस्बे में सभी को पहाङों से
कष्ट तो था, किंतु समाधान खोजने की दिशा में कोई अपनी बुद्विका प्रयोग नहीं करता
था। सभी का विचार था कि यह समस्या हल नहीं हो सकती। एक दिन बुजुर्ग ने कुछ विचार
कर अपने दोनों बेटों को बुलाया और उनके हाथों में कुदाली थमाकर पहाङों को काटने का
आदेश दिया। दोनों बेटों के साथ वह पहाङ काटने में जी-जान से जुट गया। कस्बे के
लोगों ने जब यह देखा तो फिर उनका मजाक उङाने लगे। इन पहाङों को काटना तुम
पिता-पुत्रों के वंश में नही है। तब उस बुजुर्ग ने जवाब दिया-मेरी मृत्यु के बाद
मेरे बेटे, बेटों के बाद पोते और पोतों के बाद परपोते यह काम जारी रखेंगे। इस तरह
पहाङ काटने का सिलसिला जारी रहेगा। हालांकि पहाङ बङे हैं, लेकिन हमारे हौसले से
अधिक बङे तो नहीं हो सकते। हम निरंतर जितना खेदते जाएंगे, वे उतने ही छोटे होते
जाएंगे। उस कथित मूर्ख बुजुर्ग ने सफलता का मूलमंत्र बङी ही आसानी से समझा दिया और
अब समूचा गांव उसके कार्य में सहयोगी बन गया। नतीजन कुछ ही महीनों में पहाङ के स्थान
पर सुंदर मार्ग बन गया।
व़स्तुत: मनोबल की बुलंदी ही विपत्तियों से पार
पाने की कुंजी है। दृढ संकल्प, लगन व कङी मेहनत के साथ सकारात्मक सोच रहे तो
सफलता मिलकर ही रहती है।
उत्तम विचार – तलवार भी उतनी बेदर्दी से
नहीं काटती, जितने कि कटाक्ष और कटु वचन
बुजुर्ग ने लोगों को दिया सफलता का मूल मंत्र
Reviewed by Kahaniduniya.com
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सितंबर 15, 2019
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