लालच ने दोनों मित्रों की दोस्‍ती तोङ दी   

दो बचपन के मित्र थे। वयस्‍क होने पर उन दोनों ने मिलकर व्‍यापार शुरू किया। व्‍यापार चल निकला। दोनों का प्रेम और आपसदारी देख हर केाई हैरान रह जाता था। दोनों के परिवारों में भी घनिष्‍ठता थी। किंतु एक दिन एक घटना ऐसी हुई, जो इन दोनों की मित्रता की नींव हिला गई। हुआ यूं कि एक फेरीवाला आमों का एक टोकरा दुकान पर दे गया। दुकान पर बैठे मित्र ने टोकरा लेकर रख लिया। कुछ देर बाद उसे भोजन हेतु घर जाना था। 
उसने अपने मित्र से कहा-तुम अपने यहां ले जाने के लिए आम रख लो, मैं भी खना खाकर आता हूं। दूसरे मित्र का पुत्र भी वहां आया हुआ था। उसने आम का टोकरा लेकर आम का बंटवारा शुरू र दिया। अपने पुत्र के लिए दूसरे मित्र के मन में लोभ जागृत हो गया। उसने बङे-बङे आम छांट लिए और छोटे-छोटे आम छोङ दिए। पहला मित्र भोजन कर जब लौटा तो वह इस पक्षपात को समझ गया। उसे बहुत दुख हुआ। उस समय वह चुप रहा, किंतु अगले दिन वह वकील से मिलकर व्‍यापार से अपनी हिस्‍सेदारी खत्‍म करने के कागज तैयार करवाकर ले आया। दूसरे मित्र ने चकित हो कारण पूछा तो वह बोला-मैंने कल देखा कि तुमने अपने लिए बङे-बङे आम रख लिए और छोटे-छोटे मेरे लिए छोङ दिए। बात आम की नहीं, तुम्‍हारे मन में आए पक्षपात की है। अब हम साथ नहीं रह सकते। इस प्रकार दोनों की वर्षो की मित्रता चंद मिनटों में खत्‍म हो गई।

कथा बताती है कि पक्षपात दूसरों के मन में अलगाव पैदा कर देता है। इससे सहज स्‍नेह की धारा कुंद होकर वैमनस्‍य के बीज उत्‍पन्‍न हो जाते हैं, जो मानसिक शांति को भंग कर देते हैं। 
Reviewed by Kahaniduniya.com on सितंबर 09, 2019 Rating: 5

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