महात्मा गांधी ने झुका दिय जनरल स्मट्स को
महात्मा गांधी उन दिनों दक्षिण अफ्रीका में थे। अपने
आंदोलन के कारण उन्हें प्राय:
ब्रिटिश सरकार के दमन का शिकार होना पङता था किंतु वे हिम्मत न हारते हुए पुन: अपने ार्य में जुट जाते थे। दक्षिण अफ्रीका का तानाशाह
जनरल स्पट्स गांधीजी पर अत्यधिक क्रोधित रहता था। वह चाहता था कि गांधीजी का मनोबल
टूट जाए और वे अपने आंदोलन को बंद कर दें। इसलिए वह उन्हें छोटी से छोटी बात पर
जेल भेज दिया करता था। वह सोचता था कि जेल के कठोर जीवन से घबराकर गांधीजी हथियार
डाल देंगे, किंतु गांधीजी जेल में भी उसी निर्विकार भाव से रहते थे, जैसे जेल के
बाहर रहते थे।
उन्होंने जेल में रहते हुए एक कैदी से जूते बनाना
सीखा। जब गांधीजी को जेल से रिहा किया गया तो उन्होंने जनरल स्मट्स से मुलाकात
की और उन्हें एक पैकेट उपहार में दिया। जनरल स्मट्स ने उपहास करते हुए कहा-क्या
इसमें बम है। गांधीजी बोले-यह मेरी ओर से आपको मेरी विदाई का उपहार है। जनरल स्मट्स
उस पैकेट में से निकले सैंडिल के जोङे को देखकर दंग रह गया, जो गांधीजी ने अपने
हाथों से बनाए थे। वर्षो बाद गांधीजी ने जन्मदिन पर जनरल ने उन्हें एक पत्र भेजा
जिसमें लिखा था कि आपके द्वारा बनाए गए उन सैंडिलों को मैंने गर्मियों में पहना
किंतु मैं लगातार यह सोचता रहा कि मैं उन्हें पहनने सही पात्र नहीं हूं। यह थी
सहनशीलता और विनम्रता की ताकत, जिसने जनरल स्मट्स जैसे क्रूर शासक को भी पराजित
कर दिया।
वस्तुत: हम
जितने धैर्यवान और नम्र बनते हैं, भीतर से उतनी ही सात्विक दृढता पैदा होती है।
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