जब बालक ने जीता बुजुर्ग का दिल


नेपल्‍स में रहने वाले एक तेरह वर्षीय बालक रॉबर्ट हिल ने एक दिन एरिका एंडरसन की पुस्‍तक अल्‍बर्ट श्‍वाइत्‍जर की दुनिया पढी तो उसे ज्ञात हुआ कि धर्मशास्‍त्र के प्राध्‍यापक और महान संगीतकार डॉ. अल्‍बर्ट श्‍वाइत्‍जर ने सब कुछ त्‍यागकर अफ्री‍का के जंगलों में एक अस्‍पताल खोला और अपना समस्‍त जीवन अश्‍वेत अफ्रीकियों की सेवा में बिता दिया। यह पढकर उसके मन में भी कुछ मानवोपयोगी कार्य करने की इच्‍छा हुर्इ। कई दिनों तक रॉबर्ट सोचता रहा, फिर उसने एक दिन अपने पिता से पांच डॉलर मांगे। पिता ने पूछा-इनका क्‍या करोगे? रॉबर्ट का जवाब था-मैं इनसे दवाइयां खरीदकर अफ्रीका में डॉ. श्‍वाइत्‍जर के अस्‍पताल तक पहुंचाने की कृपा करें। कुछ ही दिनों बाद लिंडसे का पत्रोत्तर आया, जिसमें सूचना थी कि वे उसकी दवाइयों के साथ उसका पत्र भी इटालियन रेडियो आरएआई को भेज रहे हैं, जहां से उसका प्रसारण होगा। कई भाषाओं में रॉबर्ट का पत्र प्रसारित हुआ। फिर क्‍या था, लोगों ने दवाइयों के अनगिनत पैकेट भेजे और एक दिन पूरा हवाई जहाज इन सारी दवाइयों तथा रॉबर्ट को लेकर डॉ. इवाइत्‍जर के पास पहुंचा, जहां 86 वर्षीय श्‍वाइत्‍जर ने रॉबर्ट का भव्‍य स्‍वागत किया। विदा के वक्‍त उन्‍होंने उसकी मां के नाम एक पत्र दिया, जिसमें लिखा था ‘इस बच्‍चे को जन्‍म देने वाली माता को प्रणाम।


व़स्‍तुत: जब हमारे ह्रदय में परहित के विचार जन्‍म लेते हैं तो वे विचार ही हमारी शक्ति का साधन बन उन्‍हें पूर्ण करने का मार्ग प्रशस्‍त कर देते हैं।


उत्तम विचार – हम सदैव युवाओं का भविष्‍य नहीं बना सकते पर भविष्‍य के लिए उन्‍हें तैयार कर सकते हैं।
जब बालक ने जीता बुजुर्ग का दिल जब बालक ने जीता बुजुर्ग का दिल Reviewed by Kahaniduniya.com on सितंबर 24, 2019 Rating: 5

कोई टिप्पणी नहीं:

nicodemos के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.