नवरात्रि 2019 : 29 सितंबर से नवरात्रि शुरू, जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कलश स्‍थापना और व्रत के नियम


नवरात्रि यानी कि नौ रातें, शरद नवरात्र हिन्‍दुओं के प्रमुख त्‍योहारों में से एक है जिसे दुर्गा पूजा के नाम से भी जाना जाता है, नवरात्रि के दौरान माँ दुर्गा के सभी नौ रूपों की आराधना कर उनसे आर्शीवाद मांगते है, मान्‍यता है कि इन नौ दिनों में जो भी सच्‍चे मन से मां दुर्गा की पूजा करता है उसकी सभी इच्‍छाएं पूर्ण होती है यह पर्व बताता है कि झूठ कितना भी बङा और पाप कितना भी ताकतवर क्‍यों न हो अंत में जीत सच्‍चाई और धर्म की ही होती है,



शारदीय नवरात्रि कब है?


शारदीय नवरात्रि को मुख्‍य नवरात्रि माना जाता है, हिन्‍दु कैलेंडर के अनुसार यह नवरात्रि शरद ॠतु में अश्विन शुक्‍ल पक्ष से शुरू होती है और पूरे नौ दिनों तक चलती है, ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह त्‍योहार हर साल सितंबर-अक्‍टूबर के महीने में आता है इस बार शारदीय नवरात्रि 29 सितंबर से शुरू होकर 07 अक्‍टूबर तक है 08 अक्‍टूबर को विजयदशमी या दशहरा मनाया जाएगा।


शारदीय नवरात्रि की तिथियां

29 सितंबर 2019 : नवरात्रि का पहला दिन, प्रतिपदा, कलश स्‍थापना, चंद्र दर्शन और शैलपुत्री पूजन

30 सितंबर 2019 नवरात्रि का दूसरा दिन : द्वितीय, बह्मचारिणी पूजन

01 अक्‍टूबर 2019 नवरात्रि का तीसरा दिन : तृतीया, चंद्रघंटा पूजन

02 अक्‍टूबर 2019 नवरात्रि का चौथा दिन : चतुर्थी, कष्‍मांडा पूजन

03 अक्‍टूबर 2019 नवरात्रि का पांचवा दिन : पंचमी, स्‍कंदमाता पूजन

04 अक्‍टूबर 2019 नवरात्रि का छठा दिन : षष्‍ठी, सरस्‍वती पूजन

05 अक्‍टूबर 2019 नवरात्रि का सातवां दिन, : सप्‍तमी, कात्‍यायनी पूजन

06 अक्‍टूबर 2019 नवराति का आठवां दिन : अष्‍टमी, कालरात्रि पूजन, कन्‍या पूजन

07 अक्‍टूबर 2019 नवरात्रि का नौवां दिन : नवमी, महागौरी पूजन, कन्‍या पूजन, नवमी हवन, नवरात्रि पारण

08 अक्‍टूबर 2019 विजयदशमी या दशहरा 

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नवरात्रि का महत्‍व

हिन्‍दू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्‍व है, साल मे दो बार नवरात्रि पङती हैं, जिन्‍हें चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र के नाम से जाना जाता है, जहां चैत्र नवरात्र से हिन्‍दू वर्ष की शुरूआत होती है वहीं शारदीय नवरात्र अधर्म पर धर्म और असत्‍य पर सत्‍य की विजय का प्रतीक है, यह त्‍योहार इस बात का द्योतक है कि मां की ममता जहां सृजन करती है, वहीं, मां का विकराल रूप दुष्‍टों का संहार भी कर सकता है, नवरात्रि और दुर्गा पूजा मनाए जाने के अलग-अलग कारण है, मान्‍यता है कि देवी दुर्गा ने महिशासुर नाम के राक्षस का वध किया था, बुराई पर अच्‍छाई के प्रतीक के रूप में नवरात्र में नवदुर्गा की पूजा की जाती है, वहीं कुछ लोगों का मानना है कि साल के इन्‍हीं नौ दिनों में देवी मां अपने मायके आती है ऐसे में इन नौ दिनों को दुर्गा उत्‍सव के रूप में मनाया जाता है। 


कैसे मनाया जाता है नवरात्रि का त्‍योहार?

नवरात्रि का त्‍योहार पूर भारत में मनाया जाता है, उत्तर भारत में नौ दिनों तक देवी मां के अलग-अलग स्‍वरूपों की पूजा की जाती है, भक्‍त पूरे नौ दिनों तक व्रत रखने का संकल्‍प लेते है, पहले दिन कलश स्‍थापना ही जाती है और फिर अष्‍टमी या नवमी के दिन कुंवारी कन्‍याओ को भोजन कराया जाता है, इन नौ दिनों मे रामलीला का मंचन भी किया जाता है, वहीं, पश्चिम बंगाल में नवरात्रि के आखिरी चार दिनों यानी कि षष्‍ठी से लेकर नवमी तक दुर्गा उत्‍सव मनाया जाता है, नवरात्रि में गुजरात और महाराष्‍ट्र में डांडिया रास और गरबा डांस की धूम रहती है, राजस्‍थान में नवरात्रि के दौरान राजपूत अपनी कुल देवी केा प्रसन्‍न करने के लिए पशु बलि भी देते है, तमिलनाडु में देवी के पैरो के निशान और प्रतिमा को झांकी के तौर पर घर मे स्‍थापित किया जाता है, जिसे गोलू या कोलू कहते है सभी पङोसी और रिश्‍तेदार इस झांकी को देखने आते है, कर्नाटक में नवमी के दिन आयुध पूजा होती है, यहां के मैसूर का दशहरा तो विश्‍वप्रसिद्ध है।


नवरात्रि व्रत के नियम

- अगर आप भी नवरात्रि के व्रत रखने के इच्‍छुक है तो इन नियमों का पालन करना चाहिए।

- नवरात्रि के पहले दिन कलश स्‍थापना कर नौ दिनों तक व्रत रखने का संकल्‍प लें,

- पूरी श्रद्धा भक्ति से मां की पूजा करें।

- दिन के समय आप फल और दूध ले सकते हैं,

- शाम के समय मां की आरती उतारें,

- सभी में प्रसाद बांटें और फिर खुद भी ग्रहण करें,

- फिर भोजन ग्रहण करें,

- हो सके तो इस दौरान अन्‍न न खाएं, सिर्फ फलाहार ग्रहण करें,

- अष्‍टमी या नवमी के दिन नौ कन्‍याओं को भोजन कराएं उन्‍हें उपहार और दक्षिणा दें,

- अगर संभव हो तो हवन के साथ नवमी के दिन व्रत का पारण करें, 

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कलश स्‍थापना

नवरात्रि में कलश स्‍थापना का विशेष महत्‍व है, कलश स्‍थापना को घट स्‍थापना भी कहा जाता है, नवरात्रि की शुरूआत घट स्‍थापना के साथ ही होती है, घट स्‍थापना शक्ति की देवी का आह्रान है, मान्‍यता है कि गलत समय में घट स्‍थापना करने से देवी मां क्रोधित हो सकती हैं, रात के समय और अमावस्‍या के दिन घट स्‍थापना करने की मना ही है घट स्‍थापना का सबसे शुभ समय प्रतिपदा का एक तिहाई भाग बीत जाने के बाद होता है, अगर किसी कारण वंश आप उस समय कलश स्‍थापित न कर पाएं तो अभिजीत मुहूर्त मे भी स्‍थापित कर सकते है, प्रत्‍येक दिन का आठवां मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त कहलाता हे, सामान्‍यत यह 40 मिनट का होता है हालांकि इस बार घट स्‍थापना के लिए अभिजीन मुहूर्त उपलब्‍ध नहीं है। 


कलश स्‍थापना की तिथि और शुभ मुहूर्त

कलश स्‍थापना की तिथि 29 सितंबर 2019
कलश स्‍थापना का शुभ मुहूर्त 29 सितंबर 2019 को सुबह 06 बजकर 16 मिनट से 7 बजकर 40 मिनट तक

कुल अवधि 1 घंटा 24 मिनट


कलश स्‍थापना की सामग्री

मां दुर्गा को लाल रंग खास पसंद है इसलिए लाल रंग का ही आसन खरीदें, इसके अलावा कलश स्‍थापना के लिए मिट्टी का पात्र, जौ, मिट्टी, जल से भरा हुआ कलश, मौली, इलायची, लौग, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, साबुत चावल, सिक्‍के, अशोक या आम के पांच पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदुर, फल-फूल, फूलों की माला ओर श्रृंगार पिटारी भी चाहिए। 


कलश स्‍थापना कैसे करें?

- नवरात्रि के पहले दिन यानी कि प्रतिपदा को सुबह स्‍नान कर लें,

- मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद सबसे पहले गणेश जी का नाम लें और फिर मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्‍योत जलाएं, कलश स्‍थापना के लिए मिट्टी के पात्र मे मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं,

- अब एक तांबे के लोटे पर रोली से स्‍वास्तिक बनाएं लोटे के ऊपरी हिस्‍से मे मौली बांधे,

- अब इस लोटे में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं, फिर उसमें सवा रूपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें,

- इसके बाद कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं

- अब एक नारियल को लाल कपङे से लपेटकर उसे मौली से बांध दें फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दें,

- अब इस कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रख दें जिसमें आने जौ बोएं है,

- कलश स्‍थापना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्‍प लिया जाता है,

- आप चाहें तो कलश स्‍थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्‍योति भी जला सकते हैं, 



नवरात्रि 2019 : 29 सितंबर से नवरात्रि शुरू, जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कलश स्‍थापना और व्रत के नियम नवरात्रि 2019 : 29 सितंबर से नवरात्रि शुरू, जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कलश स्‍थापना और व्रत के नियम Reviewed by Kahaniduniya.com on सितंबर 26, 2019 Rating: 5

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