बादशाह अकबर के नवरत्न: अकबर-बीरबल हिन्दी कहानियाँ : Navratna of Emperor Akbar: Akbar-Birbal Hindi Stories

 बादशाह अकबर के नवरत्न: अकबर-बीरबल हिन्दी कहानियाँ

मुगल बादशाह अकबर का नाम आए और बीरबल की बात न निकले ऐसा हो ही नहीं सकता। बीरबल की विनोदप्रियता और बुद्धिचातुर्य ने न केवल बादशाह अकबर, बल्कि मुगल साम्राज्य की प्रजा का भी मन मोह लिया था। 

लोकप्रियता में बीरबल का कोई सानी नहीं था। वे उच्च कोटि के प्रशासक, और तलवार के धनी थे। पर शायद जिस गुण के कारण वे बादशाह अकबर को परम प्रिय थे, वह गुण था उनका उच्च कोटि का विनोदी होना। 

वैसे तो बीरबल के नाम से वे प्रसिद्ध थे, परंतु उनका असली नाम हमेशदास था। ऐसा विश्वास किया जाता है कि यमुना के तट पर बसे त्रिविक्रमपुर (अब तिकवांपुर के नाम से प्रसिद्ध) एक निर्धन ब्राह्यण परिवार में पैदा हुए थे। 

लेकिन अपनी प्रतिभा के बल पर उन्होंने बादशाह अकबर के दरबार के नवरत्नों में स्थान प्राप्त किया था। उनकी इस अद्धुत सफलता के कारण अनेक दरबारी उनसे ईष्र्या करते थे और उनके विरूद्ध षड़यंत्र रचते थे। 

बीरबल सेनानायक के रूप में अफगानिस्तान की लड़ाई में मारे गए। कहा जाता है कि उनकी मृत्यु ईष्र्यालु विरोधियों का परिणाम था। बीरबल की मृत्यु के समाचार से बादशाह अकबर को कितना गहरा आघात पहुंचा था। 

इसका परिणाम है उनके मुख से कविता के रूप में निकली ये पंक्तियां-

दीन जान सब दीन,

एक दुरायो दुसह दुख, 

सो अब हम को दीन,

कुछ नहीं राख्यो बीरबल। 

बहुत कम लोगों को पता होगा कि बीरबल एक कुशल कवि भी थे। वे ‘ब्रह्य’ उपनाम से लिखते थे। उनकी कविताओं का संग्रह आज भी भरतपुर, संग्रहालय में सुरक्षित है।

बादशाह अकबर के लिए बीरबल सच्चे सखा, सच्चे संगी थे। बादशाह अकबर के नए धर्म दीन-ए-इलाही के मुख्य 17 अनुयायियों यदि कोई हिंदू था, तो वे अकेले बीरबल थे। 


बादशाह अकबर के नवरत्न: अकबर-बीरबल हिन्दी कहानियाँ : Navratna of Emperor Akbar: Akbar-Birbal Hindi Stories  बादशाह अकबर के नवरत्न: अकबर-बीरबल हिन्दी कहानियाँ : Navratna of Emperor Akbar: Akbar-Birbal Hindi Stories Reviewed by Kahaniduniya.com on जून 06, 2023 Rating: 5

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