जादुई गधा: अकबर-बीरबल हिन्दी कहानियाँ : The Magical Donkey: Akbar-Birbal Hindi Stories

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 जादुई गधा: अकबर-बीरबल हिन्दी कहानियाँ 
एक दिन शहंशाह अकबर ने अपनी रानी को बहुत भेष कीमती हार तोहफे में दिया। रानी उस भेष कीमती हार को देाकर बहुत खुश हुईं। 

अकबर-ये लीजिये आपके लिए हमारी तरफ से ये तोहफा। 

रानी - ये तो बहुत खूबसूरत है। ऐसा हार तो मेरे पास एक भी नही है। मुझे ये बहुत पंसद आया, बहुत खूबसूरत है। 

अकबर - हाँ रानी हो भी क्यूँ न खूबसूरत। मैंने इसे खास कारीगरों से बनवाया है। खास आपके लिए। 

रानी - ये मुझे बहुत पसंद है। इसे मैं हमेशा अपने पास रखूंगी। इसे अपने से अलग नही होने दूूंगी। मैं बहुत खुशनसीब हूँ जहाँपनाह। 

अकबर - हमे बहुत खुशी हुई, आपको यह हार पसंद आया। आप इसे जब भी पहनेगी इससे हमे आपका प्यार नजर आएगा। 

रानी - शुक्रिया जहाँपनाह!

फिर जब सुबह को रानी सोकर उठती हैं और नहा कर तैयार होती हैं, तो उन्हें अपना हार नहीं मिलता है। वह बहुत दुखी हो जाती है। 

रानी कहां गया हार अभी तो यहीं रखा था, रात जब मैं सोई थी तभी मैंने उसे यहीं रखा कहां चला गया, मेरा हार कहीं खो गया। दासियों, दासियों कोई यहाँ। 

रानी के बुलाने पर वहाँ एक दासी आती है। 

दासी - क्या हुआ महारानी जी!

रानी - हमारा हार कहीं खो गया है, हमे उसे ढूंढने में मदद कीजिए, रात सोने से पहले हमने उसे यहीं रखा था, लेकिन अ बवह वहां नहीं है। 

दासी - महारानी जी आप कोई दूसरा हार पहन लीजिए, आपके पास तो कई हार हैं। 

रानी - नही, नही बिल्कुल नहीं, वो हार बहुत खास हार है। हमे वो जहाँपनाह ने बहुत प्यार से दिया था। हमे वही हार चाहिए, कोई और दूसरा नहीं चाहिये। 

ये बात कह कर रानी मायूस होकर बैठ जाती हैं, तभी वहाँ थोड़ी ही देर में अकबर आते हैं - 

अकबर - क्या हुआ आपको, आप इतनी उदास क्यों बैठी हैं?

रानी - जहाँपनाह, वो..... जहाँपनाह आपने जो हार हमे तोहफे में दिया था, वो कहीं खो गया है। 

अकबर - खो गया है, क्या मतलब खो गया है, आप कहना क्या चाहती हैं, कहीं वो आपने गिरा तो नही दिया। 

रानी - जहाँपनाह मैंने रात सोने से पहले उसे यहीं उतार कर रखा था, फिर न जाने वो कहाँ चला गया। जहाँपनाह हमे माफ कर दिजिए, हम आपके तोहफे की इफाजत नहीं कर पाए। (और वह रोने लगीं)

अकबर - महारानी आप रोये मत। वो बस मामूली सा तोहफा था, हम आपके लिए और उससे भी अच्छा हार बनवा देंगे और हम आपसे वादा करते हैं। और आपको वो हार भी ढूंढ कर देंगे। बस आप परेशान न हों। आज आप हमारे कमरे में ही ठहर जाइये। 

सिपाही तुम और दूसरे सिपाहियों और दासियों को लेकर जाओ और पूरे रानी के कमरे के हर कोने में जाकर ढूंढो हार को। 

सिपाही - वो.....वो, जहाँपनाह महल के दूसरे हिस्सों में भी चोरियां हो चुकी हैं। हम सभी ने उस चोर को पकड़ने की बहुत कोशिश की, लेकिन न कामयाब हुए। आज तक उस चोर को हम नही पकड़ पाए। 

अकबर - क्या, महल के दूसरे हिस्सों में भी चोरी हो चुकी है, इसकी खबर हमे क्यूँ नही दी गयी। जाओ पहले हार महारानी के कमरे में ढूंढो, अगर वहाँ नहीं मिलता है तो हम कुछ और सोचेंगे। 

(तभी सिवाही थोड़ी देर बाद आता है)

सिपाही - जहाँपनाह हम सबने हार सिर्फ बीरबल ही इस मामले को सुलझा सकते हैं। सिपाहियों बीरबल को अभी हमारे पास बुलाया जाए, हमे वो हार आज रात ही चाहिये। 

(बीरबल थोड़ी ही देर में वहाँ हाजिर होते हैं)

बीरबल - जहाँ पनाह आपने इतनी रात गए मुझे याद क्यूँ किया?

टकबर - दरसल बीरबल बात ये है, हमने अपनी रानी को तोहफे में एक भेष कीमती हार दिया था, लेकिन रानी जब सुबह उठीं तो हार वहां नही था। रानी बहुत उदास हैं, हम उन्हें उदास नही देख सकते। आपको हार आज रात ही ढूंढना होगा। 

बीरबल - अच्छा तो ये मामला है, जहाँपनाह एक बात तो पक्की है, चोर कोई सिपाहियों और दासियों में से ही है। इस बात का पता लगाने के लिये मुझे अपने एक दोस्त को बुला कर लाना पड़ेगा। 

अकबर - दोस्त, कौन-सा दोस्त और आप क्यों जाना चाहते हैं, हमें बताइए हम आपके दोस्त को बुलबा देते हैं। बीरबल - नही जहाँपनाह उसको बुलाने सिर्फ मैं ही जा सकता हूँ। मेरा दोस्त कोई ऐसा-वैसा दोस्त नही है, उस पर जादुई शक्तियां हैं, जो हमे चोर को पकड़ने में मदद करेंगी। 

अकबर - जाइये बीरबल अब तो हम भी आपके दोस्त से मिलने के लिये बेसब्री से इंतजार करेंगे। 

बीरबल - जहाँ पनाह आप बस रानी के कमरे में पहरा देने वाले सिपाही और दासियों को बुलबाइये, मैं अभी अपने दोस्त को लेकर आता हूँ।

तभी थोड़ी देर में बीरबल एक गधे को लेकर महल में आते हैं। 

अकबर-बीरबल, ये क्या मजाक है, हमने तो तुम्हे तुम्हारा दोस्त लाने को कहा था, ये तो गधा है। 

बीरबल - जी जहाँ पनाह यही है मेरा दोस्त, जिसे जादुई शक्ति आती हैं, यही हमारी चोर पकड़ने में मदद करेगा। 

अकबर - ये कैसे तुम्हारी मदद करेगा, ये तुम्हे कैसे बताएगा कि चोर कौन है?

(बीरबल एक तम्बू में गधे को खड़ा कर देते हैं)

बीरबल जहाँपनाह इस तम्बू के अंदर एक-एक करे सिपाही और दासियो को भेजिए और इन सबको गधे की पूंछ पकड़ कर ये बोलना है कि मैंने चोरी नही की। जब ये सारे लोग गधे की पूंछ पकड़ लेंगे, तभी मेरा दोस्त बताएगा चोर कौन है। 

अकबर - ठीक है! सिपाही और दासियों आप सभी लोग एक-एक कर गधे की पूंछ पकड़िए। 

और फिर सभी सिपाही और दासी गधे की पंूछ पकड़ते हैं - 

बीरबल - अब मैं अपने दोस्त से पूछ कर आता हूँ कि चोर कौन है। 

(कुछ देर बाद) जहाँपनाह हमे इन सभी के हाथ सूंघने हैं। और तभी हाथ सूूूूूंघने के बाद, ये सिपाही चोर है। 

सिपाही - नहीं, जहाँपनाह मैंने कोई चोरी नहीं की, मैंने तो आपकी इतने वर्षों से सेवा की है। इस गधे की गवाही कुछ साबित नही करती है। 

अकबर - बीरबल तुम कैसे कह सकते हो कि यही चोर है। तुम गधे की बात कैसे समझ सकते हो। 

बीरबल - जहाँपनाह मैंने उसे गधे की पूंछ पर एक खास इत्र लगा दिया था। इसलिए मैंने इन सभी से गधे की पूंछ पकड़ने को कहा और जहांपनाह मैं ये भी जानता था कि चोर पकड़े जाने के डर से गधे की पूंछ नही पकड़ेगा । इस इत्र की खुशबू सभी के हाथों में से आ रही थी। लेकिन जब मैंने इसके हाथ सूंघे, तो इसके हाथों में वह खुशबू नही आ रही थी। इसलिए यही चोर है। 

अकबर - नमक हराम हम तुम्हे इसकी सजा देंगे। 

सिपाही - नही जहाँपनाह मुझे माफ कर दीजिए। मैं लालची हो गया था। मुझे माफ कर दीजिये। मैं चोरी की हुई सारी चीजें लौटा दूंगा। बस मुझे माफ कर दीजिए। 

अकबर - नही तुम्हें माफ नही किया जा सकता है, जिस थाली में खाते हो उसी मे छेद करते हो, सिपाहियों ले जाओ इसे काल कोठरी में डाल दो। 

बीरबल एक बार फिर आपने अपनी चतुराई से उस चोर को पकड़वा दिया, शुक्रिया बीरबल! शुक्रिया! 

बीरबल - शुक्रिया जहाँपनाह! 


जादुई गधा: अकबर-बीरबल हिन्दी कहानियाँ : The Magical Donkey: Akbar-Birbal Hindi Stories  जादुई गधा: अकबर-बीरबल हिन्दी कहानियाँ : The Magical Donkey: Akbar-Birbal Hindi Stories Reviewed by Kahaniduniya.com on जून 06, 2023 Rating: 5

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