वह सच या यह सच : Is That True or is it True Hindi Stories |
मिथिल नरेश महाराज जनक शयन कर रहे थे। उन्होंने एक अद्धुत स्वप्न देखा कि मिथिला पर किसी शत्रु ने आक्रमण कर दिया है। संग्राम छिड़ गया है। मिथिला की सेना पराजित हो गई है। जनक बंदी हुए। विजयी शत्रु ने आज्ञा दी, ‘मैं तुम्हारे प्राण नहीं लेेता किन्तु अपने वस्त्राभूषण उतार दो और इस राज्य से निकल जाओ।’ साथ ही घोषणा करा दी ‘जनक को जो आश्रय या भोजन देगा, उसे प्राण दंड दिया जाएगा।
राजा जनक सादे वस्त्रों में राजभवन से निकल पड़े। प्राण-भय से कोई उनसे बोला तक नहीं था। चलते-चलते पैरो में छाले पड़ गए। कई दिनों तक अन्न का एक दाना भी पेट में नहीं गया।
जनक अब राजा नहीं थे। बिखरे केश, धूल से भरा शरीर, भूख से अत्यंत व्याकुल जनक एक भिक्षुक जैसे थे। राज्य से बाहर एक नगर मिला। पता लगा की वहीं कोई अन्न क्षेत्र है और उनमें भूखों को खिचड़ी दी जाती है। बड़ी आशा से जनक वहा पहुंचे, किन्तु खिचड़ी बंट चुकी थी। बांटने वाला द्वार बंद करने जा रहा था। भूख से चक्कर खाकर जनक बैठ गए और उनकी आंखों से आंसू बहने लगे। अन्न बांटने वाले कर्मचारी को उनकी दशा पर दया आ गई। उसने कहा, ‘खिचड़ी तो है नहीं, किन्तु बर्तन में खुरचन लगी है। तुम कहो तो वह तुम्हें दे दूं। उसमें जलने की गंध भी आ रही है।’ जनक को तो यही वरदान जान पड़ा। उन्होंने दोनों हाथ फैला दिए। कर्मचारी ने जली हुई खिचड़ी की खुरचन उनके हाथ पर रख दी। तभी एक चील ने उनके हाथ पर झपट्टा मार दिया। मारे व्यथा के जनक चिल्ला पडे। रानियां, सेवक-सेविकाएं दौड़े आए। महाराज जनक अब देख रहे थे। वे अपने सुसज्जित शयन-कक्ष में रत्नजड़ित स्वर्ण पलंग पर दुग्धफेन-सी कोमल शयन-कक्ष में लेटे है। रानियां और सेवक-सेविकाएं प्रस्तुत थे। वे अब भी मिथिल नरेश थे, यह सब देख जनक बोले, ‘वह सच था या यह सच है?’
अब महाराज जनक के सम्मुख जो भी जाता था वे उससे एक ही प्रश्न करते थे, ‘वह सच या यह सच।’ चिकित्सक आए, मन्त्री आए, और भी जाने कौन-कौन आए, किन्तु महाराज की दशा में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। अचानक एक दिन ऋषि अष्टावक्र जी मिथिला पधारे। जनक ने उनसे भी वही प्रश्न किया। अष्टावक्र जी ने पूछा, ‘महाराज! जब आप सादे वस्त्रों में भिक्षुक के वेश में खड़े थे, उस समय राजभवन, आपका राजवेश, ये रानियां, राजमंत्री, सेवक-सेविकाएं थीं?’
महाराज जनक बोले, ‘भगवान्! उस समय तो विपत्ति का मारा मैं क्षुधित भिक्षुक मात्र था।’
‘और जागने पर अन्न-क्षेत्र, आपका कंगाल वेश, खिचड़ी की खुरचन और आपकी क्षुधा थी?’
‘भगवन्! बिलकुल नहीं।’
‘राजन्! जो एक काल में रहे और दूसरे काल में न रहे, वह सत्य नहीं होता। आपके जाग्रत में स्वप्न की अवस्था नहीं है, इसलिए वह सच नहीं, और स्वप्न के समय यह अवस्था नहीं थी, इसलिए यह भी सच नहीं है। न यह सच न वह सच।’
‘भगवन्! तब सच क्या है?
‘जाग्रत में, स्वप्न में और सुषुप्ति के साक्षी रूप में आप रहते हैं। अवस्थाएं बदलती हैं, किन्तु उनमें उन अवस्थाओं को देखने वाले आप नहीं बदलते। अतः आप ही सच हैं। केवल आत्मा ही सच है।’
वह सच या यह सच : Is That True or is it True Hindi Stories
Reviewed by Kahaniduniya.com
on
जून 20, 2021
Rating:
कोई टिप्पणी नहीं: