शेर और घम्मडी सियार की कहानी
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शेर और घम्मडी सियार की कहानी |
शेर ने पूछा अरे मेरे भाई! तुम ये क्या कर रहे हो। सियार बोला पड़ा, श्आप बहुत महान हैं, आप जंगल के राजा हैं, मुझे अपना सेवादार बना लीजिए। मैं पूरी लगन-निष्ठा से आपकी सेवा करूंगा। इसके बदले में आपके शिकार में से जो कुछ भी पिछे बचेगा मैं वो खा कर काम चला लूंगा।
शेर ने सियार की बात मान ली और उसे अपना सेवादार बना लिया। अब जंगल का शेर जब भी शिकार करने जाता, तब सियार भी उसके साथ-साथ चलता था। इस तरह साथ-साथ समय बिताने से दोनों के बीच बहुत गहरी दोस्ती हो गई। सियार, जंगल के शेर के शिकार का बचा खुचा मांस खाकर बलशाली होता जा रहा था।
एक दिन सियार ने जंगल के शेर से कहा, श्अब तो मैं भी तुम्हारे बराबर ही बलशाली हो गया हूं, इसलिए मैं आज ही हाथी पर वार करूंगा। जब वो मर जाएगाए तो मैं हाथी का मांस खाऊंगा। मेरे से जो पिछे मांस बच जाएगाए वो तुम खा लेना। शेर को लगा कि सियार गहरी दोस्ती में ऐसा मजाक कर रहा हैएश् लेकिन सियार को अपने बल पर कुछ ज्यादा ही घमंड हो गया था। सियार पेड़ के डार पर चढ़कर बैठ गया और हाथी का इंतजार करने लगा। शेर को हाथी की ताकत का अंदाजा था। इसलिए उसने सियार को बार.बार समझायाए लेकिन वो नहीं माना।
तभी उस पेड़ के डाल के नीचे से एक हाथी गुजरने लगा। सियार हाथी पर हमला करने के लिए उस पेड़ से कूद पड़ा, लेकिन सियार सही जगह छलांग नहीं लगा पाया और हाथी के आगे पैरों में जा गिरा। हाथी ने जैसे ही पैर बढ़ाया वैसे ही सियार उसके उसके पैर के नीचे आकर मारा गया। इस तरह सियार ने अपने दोस्त शेर की बात न मानकर बहुत बड़ी गलती की और अपने प्राण.पखेंरू गंवा दिए।
कहानी से शिक्षा :
हमें कभी भी किसी बात पर घमंड नहीं करना चाहिए और अपने सच्चे अच्छे दोस्त को नीचा नहीं दिखाना चाहिए।
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