हनुमान जी ने भीम को आखिर क्यों दिए थे अपने तीन बाल ! महाभारत की ये कहानी नहीं जानते आप hanumaan jee ne bheem ko aakhir kyon diya apane teen baal! mahaabhaarat kee ye kahaanee aapako nahin pata hai

हनुमान जी ने भीम को आखिर क्यों दिए थे अपने तीन बाल ! महाभारत की ये कहानी नहीं जानते आप


Hanumaan jee ne bheem ko aakhir kyon diya apane teen baal! Mahaabhaarat kee ye kahaanee aapako nahin pata hai



भीम को यह अभिमान हो गया था कि संसार में मुझसे अधिक बलवान कोई और नहीं है। सौ हाथियों का बल है उसमें, उसे कोई परास्त नहीं कर सकता... और भगवान अपने सेवक में किसी भी प्रकार का अभिमान रहने नहीं देते। इसलिए श्रीकृष्ण ने भीम के कल्याण के लिए एक लीला रच दी। द्रौपदी ने भीम से कहा, ‘‘आप श्रेष्ठ गदाधारी हैं, बलवान हैं, आप गंधमादन पर्वत से दिव्य वृक्ष के दिव्य पुष्प् लाकर दें.... मैंने अपनी वेणी में सजाने हैं, आप समर्थ हैं, ला सकते हैं। लाकर देंगे न दिव्य कमल पुष्प‘‘

भीम द्रौपदी के आग्रह को टाल नहीं सके। गदा उठाई और गंधमादन पर्वत की ओर चल पड़े मदमस्त हाथी की तरह। किसी तनाव से मुक्त, निडर... भीम कभी गदा को एक कंधे पर रखते, कभी दूसरे पर रखते। बेफिक्री से गंधमादन पर्वत की ओर जा रहे थे.... सोच रहे थे, अब पहुंचा कि तब पहुंचा, दिव्य पुष्प लाकर द्रौपदी को दूंगा, वह प्रसन्न हो जाएगी। 

ल्ेकिन अचानक उनके बढते कदम रूक गए.... देखा, एक वृद्ध लाचार और कमजोर वानर मार्ग के एक बड़े पत्थर पर बैठा है। उसने अपनी पूंछ आगे के उस पत्थर तक बिछा रखी है जिससे रास्ता रूक गया है। पूंछ हटाए बिना, आगे नहीं बढ़ा जा सकता.... अर्थात उस वानर से अपनी पूंछ से मार्ग रोक रखा था और कोई भी बलवान व्यक्ति किसी को उलांघकर मार्ग नहीं बनाता, बल्कि मार्ग की बाधा को हटाकर आगे बढ़ता है। बलवान व्यक्ति बाधा सहन नही ंकर सकता.... या तो व बाधा स्वयं हटाता है, या उस बाधा को ही मिटा देता है। इसलिए भीम भी रूक गए। 

ज्ब मद, अहंकार और शक्ति बढ़ जाती है तो आदमी अपने आपको आकाश को छूता हुआ समझता है। वह किसी को खातिर में नहीं लाता.... और अत्यधिक निरंकुश शक्ति ही व्यक्ति के विनाश का कारण बनती है.... लेकिन श्रीकृष्ण तो भीम का कल्याण करना चाहते थे.... भीम का विनाश नहीं सुधार चाहते थे। 

भीम ने कहा, ‘‘ऐ वानर! टपने पूंछ को हटाओ, मुझे आगे बढ़ना है।‘‘

वानर ने देखा एक बलिष्ठ व्यक्ति गदा उठाए, राजसी वस्त्र पहने, मुकुट धारण किए बड़े रोब के साथ उसे पूंछ हटाने को कह रहा है। हैरान हुआ, पहचान भी गया.... लेकिन चूंकि वह श्रीकृष्ण की लीला थी, इसलिए चुप हो गया। भीम के सवाल का जवाब नहीं दिया।‘‘

भीम ने फिर कहा, ‘‘वानर, मैंने कहा न कि पूंछ हटाओ, मैंने आगे जाना है, तुम वृद्ध हो, इसलिए कुछ नहीं कह रहा।‘‘

वनर गंभीर हो गया। मन ही मन हंस दिया। कहा, ‘‘तुम देख रहे हो, मैं वृद्ध हूं, कमजोर हूं.... उठ नहीं सकता। मुझमें इतनी ताकत नहीं कि मैं स्वयं ही अपनी पूंछ हटा लूं.... तुम ही कष्ट करो, मेरी पूंछ थोड़ी इधर सरका दो, और आगे निकल जाओ।‘‘

भीम ने तेवर कसे.... गदा कंधे से हटाई.... नीचे रखी। इस वानर ने मेरे बल को ललकारा है, आखिर है तो एक पूंछ ही, वह भी वृद्ध वानर की। कहा, ‘‘यह मामूली सी पूंछ हटाना भी कोई मुश्किल है, यह तुमने क्या कह दिया? मैंने बहुत बलवानों को परास्त किया है, धूल चटाई है, सौ हाथियों का बल है मुझमें....। 

इतना कहकर भीम ने अपने बाएं हाथ से पूंछ को यों पकड़ा, जैसे एक तिनके को पकड़ रहा है कि उठाया, हवा में उड़ा दिया.... लेकिन भीम से वह पूंछ हिल भी नहीं सकी। हैरान हुआ.... फिर उसने दाएं हाथ से पूंछ को हटाना चाहा.... लेकिन दाएं हाथ से भी पूंछ तिलमात्र नहीं हिली.... भीम ने वानर की तरफ देखा....वानर मुस्करा रहा था। 

भीम को गुस्सा आ गया। भीम ने दोनों हाथों से भरपूर जोर लगाया.... एक पांव को पत्थर पर रखकर, आसरा लेकर फिर जोर लगाया.... दो-तीन बार.... लेकिन हर बार भीम हताश हुआ.... जिस पूंछ को भीम ने मामूली और कमजोर वानर की पूंछ समझा था.... उसने उसके पसीने छुड़वा दिए थे....

और भीम थककर, निढाल होकर एक तरफ खड़ा हो गया। सोचने लगा.... यह कोई मामूली वृद्ध वानर नहीं है.... यह दिव्य व्यक्ति है और इसकी असीम शक्ति का मैं सामना नहीं कर पाऊंगा.... विनम्र और झुका हुआ व्यक्ति ही कुछ पाता है, अकड़ उस ले डूबती है, ताकत काफूर हो जाती है और भीम वाकई वृद्ध वानर के सामने कमजोर लगने लगा.... मद और अहंकार मिटता है.... तभी भगवान की कृपा होती है। 

भीम ने कहा, ‘‘मैं आपको पहचान नहीं सका.... जिसकी पूंछ को मैं उठा नहीं सका वह कोई मामूली वानर नहीं हो सकता.... मुझे क्षमा करें, कृपया अपना परिचय दे।‘‘

वनर उठ खड़ा हुआ.... आगे बढ़ा और भीम को गले लगा लिया, कहा, भीम, मैं तुम्हे पहचान गया था। तुम वायु पुत्र हो.... मैं पवन पुत्र हनुमान हूं, श्रीराम का सेवक.... श्रीराम के सेवक होने के सिवा मेरी कोई पहचान नहीं और उन्हीं के आदेश पर मैं इस मार्ग लेटा हूं.... ताकि तुम्हें तुम्हारी असलियत बता दूं। रिश्ते से मैं तुम्हारा बड़ा भाई हूं और इसलिए बड़े भाई कर्तव्य निभाते हुए प्रभु के आशीर्वाद से तुम्हें याद दिला रहा हूं.... शक्ति को, ताकत का अभिमान न करो.... क्योंकि यह ताकत और बल तुम्हारा नहीं। भगवान ने ही इसे दिया है.... यह शरीर भी तो परमात्मा ने दिया है.... और जो चीज परमात्मा की है, वह किसी और की कैसे हो सकती है। इसलिए जो जिसने दिया है, उसके लिए उसी का धन्यवाद करना चाहिए। परमात्मा की शक्ति के अलावा किसी की क्या शक्ति हो सकती है।‘‘

भीम की आँखें खुली... त्रेता युग की श्रीराम और हनुमान जी की वीर गाथाएं याद आ गईं.... प्रेम से, श्रद्धा से भीम की आंखें भी खुल गईं और भावों के इसी प्रवाह में, भीम ने हनुमान जी को समुद्र लांघने के समय पर धारण किए गए विशाल रूप का दर्शन कराने का अनुरोध कर दिया। 

 और हनुमान जी ने श्रीराम की कृपा से अपना आकार, वैसा ही बढ़ाया जैसा उन्होंने सौ योजन समुद्र लाघने के समय धारण किया था। यह देख भीम हैरान रह गया। वह कभी हनुमान जी के चरणों में देखता और कभी उनके आकाश छूते मस्तक को.... जिसे वह देख ही नहीं पा रहा था। 

हनुमान जी ने कहा, ‘‘भीम, मेरे इस रूप को तुम देख नहीं पा रहे.... लेकिन मैं श्रीराम की कृपा से, इससे भी बड़ा रूप धारण कर सकता हूं।‘‘

भीम ने हाथ जोड़कर सिर झटक दिया और हनुमान जी के चरणों में गिर पड़ा। 

भौतिक पद, प्रतिष्ठा और धन का अभिमान कैसा? ये तो कभी भी नष्ट हो सकते हैं। भौतिक पदार्थ, भौतिक सुख ही देते हैं.... लेकिन परमात्मा की कृपा तो शाश्वत होती है.... जिसे कोई नहीं छीन नहीं सकता। चोर चुरा नहीं सकता। आदमी को उसी दायरे में रहना चाहिए, जिसमें परमात्मा रखे.... परमात्मा की इच्छा के बिना तो पत्ता भी नहीं हिल सकता। इंसान की जिंदगी का क्या भरोसा.... किसी भी मोड़ पर, चार कदम की दूरी पर, खत्म हो सकती है।   

हनुमान जी ने भीम को आखिर क्यों दिए थे अपने तीन बाल ! महाभारत की ये कहानी नहीं जानते आप hanumaan jee ne bheem ko aakhir kyon diya apane teen baal! mahaabhaarat kee ye kahaanee aapako nahin pata hai हनुमान जी ने भीम को आखिर क्यों दिए थे अपने तीन बाल ! महाभारत की ये कहानी नहीं जानते आप hanumaan jee ne bheem ko aakhir kyon diya apane teen baal! mahaabhaarat kee ye kahaanee aapako nahin pata hai Reviewed by Kahaniduniya.com on दिसंबर 16, 2019 Rating: 5

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