अगले दिन जैसे ही राजा
भोज ने सिंहासन पर बैठना चाहा तो दूसरी पुतली बोली- जो राजा विक्रमादित्य् जैसा
गुणी हो, पराक्रमी हो, यशस्वी हो वही बैठ सकता है इस सिंहासन पर।
राजा ने पूछा, ‘विक्रमादित्य
में क्या गुण थे?’ पुतली चित्रलेखा ने कहा, ‘सुनो।’
एक बार राजा विक्रमादित्य
की इच्छा योग साधने की हुई। अपना राजपाट अपने छोटे भाई भर्तृहरि को सौंपकर अंग
में भभूत लगाकर जंगल में चले गए।
उसी जंगल में एक
ब्राह्मण तपस्या कर रहा था। देवताओं ने प्रसन्न होकर उस ब्राह्मण को एक फल दिया
और कहा, ‘जो इसे खा लेगा, वह अमर हो जाएगा। ‘ब्राह्मण ने वह फल को अपनी पत्नी को
दे दिया। पत्नी ने उससे कहा, ‘इसे राजा को दे आओ और बदले में कुछ धन ले आओ।
ब्राह्मण ने जाकर वह फल
राजा को दे दिया। राजा अपनी रानी को बहुत प्यार था। उसने वह फल अपनी रानी को दे दिया।
रानी का प्रेम शहर के कोतवाल से था। रानी ने वह फल उसे दे दिया।
कोतवाल एक वेश्या के
पास जाया करता था। उसने वह फल वेश्या को दे दिया। वेश्या ने सोचा कि, ‘मैं अमर
हो जाऊंगी तो भी पाप कर्म करती रहूंगी। अच्छा होगा कि यह फल राजा को दे दूं। वह
जिएगें तो लाखों का भला करेगें।’ यह सोचकर उसने दरबार में जाकर वह फल राजा को दे
दिया।
फल को देखकर राजा चकित
रह गए। उन्हें सारा भेद मालूम हुआ तो बङा दुख हुआ। उसे दुनिया बेकार लगने लगी। एक
दिन वह बिना किसी से कहे-सुने राजघाट छोङकर घर से निकल गए।
राजा इंद्र को यह मालूम
हुआ तो उन्होंने राज्य् की रखवाली के लिए एक दूत भेज दिया। इधर जब राजा
विक्रमादित्य की योग-साधना पूरी हुई तो वह लौटे। दूत ने उनहें रोका। विक्रमादित्य
ने उससे पूछा तो उसने सब हाल बता दिया।
विक्रमादित्य ने अपना
नाम बताया, फिर भी दूत ने उन्हें न जाने दिया। बोला, ‘तुम विक्रमादित्य हो तो
पहले मुझसे लङो।’ दोनों में लङाई हुई। विक्रमादित्य ने उसे पछाङ दिया।
दूत बोला, ‘मुझे छोङ दो।
मैं किसी दिन आपके काम आऊंगा।’ इतना कहकर पुतली बोली, ‘राजन्!
क्या आप में इतना
पराक्रम है कि इन्द्र के दूत को हरा कर अपना गुलाम बना सको?
2. चित्ररेखा
3. चंद्रकला
4. कामकंदला
5. लीलावती
6. रविभामा
7. कौमुदी
8. पुष्पवती
9. मधुमालती
10. प्रभावती
11. त्रिलोचना
12. पद्मावती
13. कीर्तिमती
14. सुनयना
15. सुंदरवती
16. सत्यवती
17. विद्यावती
18. तारावती
19. रूपरेखा
20. ज्ञानवती
21. चंद्रज्योति
22. अनुरोधवती
23. धर्मवती
24. करूणावती
25. त्रिनेत्री
26. मृगनयनी
27. मलयवती
28. वैदेही
29. मानवती
30. जयलक्ष्मी
31. कौशल्या
32. रानी रूपवती
32
पुतलियों के नाम
1. ऱ्त्नमंजरी
2. चित्ररेखा
3. चंद्रकला
4. कामकंदला
5. लीलावती
6. रविभामा
7. कौमुदी
8. पुष्पवती
9. मधुमालती
10. प्रभावती
11. त्रिलोचना
12. पद्मावती
13. कीर्तिमती
14. सुनयना
15. सुंदरवती
16. सत्यवती
17. विद्यावती
18. तारावती
19. रूपरेखा
20. ज्ञानवती
21. चंद्रज्योति
22. अनुरोधवती
23. धर्मवती
24. करूणावती
25. त्रिनेत्री
26. मृगनयनी
27. मलयवती
28. वैदेही
29. मानवती
30. जयलक्ष्मी
31. कौशल्या
32. रानी रूपवती
दुसरी पुतली चित्रलेखा की कहानी भाग - 03
Reviewed by Kahaniduniya.com
on
अक्टूबर 28, 2019
Rating:
कोई टिप्पणी नहीं: