स्‍टीवन पॉल स्‍टीव जॉब्‍स



24 फरवरी 1955 को केलिफोर्निया में जन्‍मे स्‍टीव जॉब्‍स का जीवन जन्‍म से हि संघर्ष पूर्ण था, उनकी माँ अविवाहित कॉलेज छात्रा थी। और इसी कारण वे उन्‍हें रखना नहीं चाहती थी, और स्‍टीव जॉब्‍स को किसी अच्‍छे परिवार में गोद देने का फैसला कर दिया। लेकिन जो गोद लेने वाले थे उन्‍होने ये कहकर मना कर दिया की वे लङकी गोद लेना चाहते हैं।

फिर स्‍टीव जॉब्‍स को केलिफोर्निया में रहने वाले पॉल और कालरा जॉब्‍स ने गोद ले लिया। पॉल और कालरा दोनों ही ज्‍यादा पढे लिखे नहीं थे और मध्‍यम वर्ग से ताल्‍लुक रखते थे।

जब स्‍टीव जॉब्‍स 5 साल के हुए तब उनका परिवार माउंटेन व्‍यू चला गया। पॉल मैकेनिक थे, और स्‍टीव को इलेक्‍ट्रॉनिक की चीजो के बारे में और कालरा एकाउंटेंट थी इसलिए वे स्‍टीव की पढाई में मदद किया करती थी।

स्‍टीवन पॉल स्‍टीव जॉब्‍स


स्‍टीव ने मोंटा लोमा स्‍कूल में दाखिला लिया और वही पर अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी की।

इसके बाद वे उच्‍च शिक्षा कूपटिनों जूनियर हाई स्‍कूल से पूरी की। और सन 1972 में अपनी कॉलेज की पढाई के लिए ओरेगन के रीड कॉल में दाखिला लिया जो की वहां की सबसे महंगी कॉलेज थी।

स्‍टीव पढने में बहुत ही ज्‍यादा अच्‍छे थे लेकिन, उनके माता-पिता पूरी फिस नहीं भर पाते थे, इसलिए स्‍टीव ने फीस भरने के लिए बोतल के कोक को बेचकर पैसे जुटाते, और पैसे की कमी के कारण मंदिरों में जाकर वहा मिलने वाले मुफ्‍त खाना खाया करते थे। और अपने होस्‍टल का किराया बचाने के लिए अपने दोस्‍तों के कमरों में जमीन पर हि सो जाया करते थे।

इतनी बचत के बावजूद फीस के पैसे पूरे नहीं जुटा पाते और अपने माता-पिता को कङी मेहनत करता देख उन्‍होंने कॉलेज छोङकर उनकी मदद करने की सोची। लेकिन उनके माता-पिता उनसे सहमत नहीं थे।

इसलिए अपने माता-पिता के कहने पर कॉलेज में नही जाने के स्‍थान पर क्रेटीव क्‍लासेज (creative classes) जाना स्‍वीकार किया।

जल्‍दी ही उसमे स्‍टीव को रूचि बढने लगी। क्‍लासेज जाने के साथ-साथ वे अटारी नाम की कंपनी में technician का काम करने लगे। स्‍टीव आध्‍यात्मिक जीवन में बहुत विश्‍वास करते थे, इसलिए स्‍टीव अपने धर्म गुरू से मिलने भारत आए।  

और काफी समय भारत में गुजारा।
भारत में रहने के दौरान उन्‍होंने पूरी तरह बौद्ध धर्म को अपना लिया और बौद्ध भिक्षु के जैसे कपङे पहनना शुरू किया। और पूरी तरह आध्‍यातिमिक हो गये। और भारत से वापिस कैलिफोर्निया चले गए।

एप्‍पल कंपनी की शुरूआत


सन 1976 में मात्र 20 वर्ष की उम्र में उन्‍होंने एप्‍पल Apple कंपनी की शुरूआत कि।

स्‍टीव ने अपने स्‍कूल के सहपाठी मित्र वोजनियाक के साथ मिल कर अपने पिता के गैरेज में ऑपरेटिंग सिस्‍टम मेकिनटोश तैयार किया। और इसे बेचने के लिए एप्‍पल कंप्‍यूटर का निर्माण करना चाहते थे।

लेकिन पैसो की कमी के कारण समस्‍या आ रही थी। लेकिन उनकी ये समस्‍या उनके मित्र माइक मर्कुल्‍ला ने दूर कर दि साथ ही वे कंपनी में साझेदार भी बन गये। और स्‍टीव ने एप्‍पल कंप्‍यूटर बनाने की शुरूआत की।

साथ हि उन्‍होंने अपने साथ काम करने के लिए Pepsi, Coca cola कंपनी के मुख्‍य अधिकारी जॉन स्‍कली को भी शामिल कर लिया। स्‍टीव और उनके मित्रो की कङी मेहनत के कारण कुछ ही सालो मे एप्‍पल कंपनी गैराज से बढकर 2 अरब डॉलर और 4000 कर्मचारियो वाली कंपनी बन चुकी थी।

एप्‍पल कंपनी से इस्‍तीफा

लेकिन उनकी ये उपलब्धि ज्‍यादा देर तक नहीं रही, उनके साझेदारो द्वारा उनको ना पसंद किये जाने और आपस में कहानी के कारण एप्‍पल कंपनी की लोकप्रियता कम होने लगी।

धीरे-धीरे कंपनी पूरी तरह कर्ज में डूब गयी। और बोर्ड ऑफ डायरेक्‍टर की मीटिंग में सारे दोष स्‍टीव का ठहराकर सन 1985 में उन्‍हें एप्‍पल कंपनी से बाहर कर दिया।

ये उनके जीवन का सबसे दुखद पल था। क्‍योंकि जिस कंपनी को उन्‍होने कङी मेहनत और लग्‍न से बनाया था उसी से उन्‍हें निकाल दिया गया था।

5 साल बाद उन्‍होंने Next-ink नाम की और Pixer नाम की दो कंपनियों की शुरूआत की।

Next-ink में उपयोग की जाने वाली तकनीक उत्तम थी। और उनका उद्देश्‍य बेहतरीन सॉफ्‍टवेर बनाना था। और Pixer कंपनी में animation का काम होता था।  

एक साल तक काम करने के बाद पैसो की समस्‍या आने लगी और Roshperot के साथ साझेदारी कर ली। और पेरोट ने अपने पैसो का निवेश किया।

सन 1990 में  Next-ink ने पहला कंप्‍यूटर बाजार में उतारा लेकिन बहुत ही ज्‍यादा महंगा होने के कारण बाजार में नहीं चल सका।

फिर Next-ink ने Inter personal computer बनाया जो बहुत ही ज्‍यादा लोक प्रिय हुआ। और Pixer ने एनिमेटेड फिल्‍म Toy story बनायीं जो अब तक की सबसे बेहतरीन फिल्‍म हैं।

एप्‍पल कंपनी मे वापसी

सन 1996 मे एप्‍पल ने स्‍टीव की Pixer को खरीदा इस तरह उनके एप्‍पल में वापसी हुई। साथ ही वे एप्‍पल के  Chief executive officer बन गये।

सन 1997 मे उनकी मेहनत के कारण कंपनी का मुनाफा बढ गया और वे एप्‍पल के सी.इ.ओ. बन गये।

सन 1998 में उन्‍होंने आईमैक I-mac को बाजार में लॉन्‍च किया, जो काफी लोकप्रिय हुआ। और एप्‍पल ने बहुत ही बङी सफलता हासिल कर ली।

उसके बाद I-pad, I-phone, I-tune भी लॉन्‍च किये। सन 2011 में सी.इ.ओ. पद से इस्‍तीफा दे दिया और बोर्ड के अध्‍यक्ष बन गये।

उस वक्‍त उनकी प्रॉपर्टी $7.0 बिलियन हो गयी थी। और एप्‍पल दुनिया की दूसरी सबसे बङी कंपनी बन गयी थी।

निधन


स्‍टीव को सन 2003 से pain creative  ना की कैंसर की बिमारी हो गयी थी।

लेकिन फिर भी वे रोज कंपनी में जाते ताकि लोगो को बेहतरीन से बेहतरीन टेक्‍नोलॉजी प्रदान कर सके और कैंसर की बिमारी के चलते 5 अक्‍टूबर 2011 को Paalo Aalto केलिफोर्निया में उनका निधन हो गया। 
स्‍टीवन पॉल स्‍टीव जॉब्‍स स्‍टीवन पॉल स्‍टीव जॉब्‍स Reviewed by Kahaniduniya.com on अक्तूबर 25, 2019 Rating: 5

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