करवा चौथ की व्रत कथा

करवा चौथ 2019 

करवा चौथ और जानें चांद निकलने  का समय


आज देश भर में करवा चौथ का त्‍योहार बनाया जाता रहा है। सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखा हैं। महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखकर शाम को चांद को अर्ध्‍य कर व्रत तोङेगीं। करवा चौथ के दिन माता पार्वती और गणेश जी की पूजा विधि विधान के साथ की जाती है। जिसके बाद करवा चौथ की व्रत कथा सुनना अनिवार्य माना जाता है। मान्‍यता है कि इससे अखंड सौभाग्‍य की प्राप्ति होती है। ज्‍योतिर्विद पंडित लाल चंद शर्मा ने बताया कि रोहिणी नक्षत्र को होना अपने आप में अद्धुत संयोग हैं चंद्रमा में रोहिणी का योग होने से मार्कंडेय और सत्‍य भासा योग बन रहा है। यह योग चंद्रमा की 27 पत्नियों में सबसे प्रिय पत्‍नी रोहिणी के साथ होने से बन रहा हैं। सुहागिनों के लिए यह बेहद फलदायी होगा। यह योग भगवान श्रीकृष्‍ण और सत्‍यभाषा के मिलन के समय भी बना था। 

आज चांद कुछ जगहां पर शाम 08:18 और कुछ जगहों पर शाम 08:18 बजे निकलेगा।

करवा चौथ चंद्रोदय का समय
करवा चौथ की तिथि और शुभ मुहुर्त:
तिथि : 17 अक्‍टूबर चतुर्थी तिथि प्रारम्‍भ
17 अक्‍टूबर की सुबह 6:47 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्‍त : 18 अक्‍टूबर को सुबह 7:30 मिनट तक  
करवा चौथ व्रत समय : 17 अक्‍टूबर को सुबह 6:27 मिनट से रात 8:16 मिनट तक
कुल अवधि : 13 घंटे 50 मिनट
पूजा का शुभ मुहूर्त : 17 अक्‍टूबर की शाम 5:46 मिनट से शाम 7:02 मिनट तक
कुल अवधि : 1 घंटे 16 मिनट

पूजा मुहूर्त :-

शायं 5.50 से 7.05 बजे तक (करवा चौथ कथा का शुभ मुहूर्त)

करवा चौथ की व्रत कथा


बहुत समय पहले की बात है, एक साहूकार के सात बेटे और उनकी एक बहन करवा थी। सभी सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्‍यार करते थे। यहां तक कि वे पहले उसे खना खिलाते और बाद में स्‍वयं खते थे। एक बार उनकी बहन ससुराल से मायके आई हुई थी।

शाम को भाई जब अपना व्‍यापार-व्‍यवसाय बंद कर घर आए तो देखा उनकी बहन बहुत व्‍याकुल थी। सभी भाई खाना खाने बैठे और अपनी बहन से भी खाने का आग्रह किरने लगे, लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है और वह खाना सिर्फ चंद्रमा को देखकर उसे अर्ध्‍य देकर ही खा सकती है। चूंकि चंद्रमा अभी तक नहीं निकला है, इसलिए वह भूख-प्‍यास से व्‍याकुल हो उठी है।

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सबसे छोटें भाई को अपनी बहन की हालत देखी नहीं जाती और वह दूर पीपल के पेङ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है। दूर से देखने पर वह ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे चतुर्थी का चांद उदित हो रहा हो।

इसके बाद भाई अपनी बहन को बताता है कि चांद निकल आया है, तुम उसे अर्ध्‍य देने के बाद भोजन कर सकती हो। बहन खुशी के मारे सिढियों पर चढकर चांद को देखती है, उसे अर्ध्‍य देकर खाना खाने बैठ जाती है।

वह पहला टुकङा मुंह में डालती है तो उसे छींक आ जाती है। दूसरा टुकङा डालती है तो उसमें बाल निकल आता है और जैसे ही तीसरा टुकङा मुंह में डालने की कोशिश करती है तो उसके पति की मृत्‍यु का समाचार उसे मिलता है। वह बौखला जाती है।

उसकी भाभी उसे सच्‍चाई से अवगत कराती है कि उसके साथ ऐसा क्‍यों हुआ। करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं। और उन्‍होंने ऐसा किया है।

सच्‍चाई जानने के बाद करवा निश्‍चय करती है कि वह अपने पति का अन्तिम संसार नहीं होने देगी और अपने सतीत्‍व से उन्‍हें पुनजीवन दिलाकर रहेगी। वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती हैं। उसकी देखभाल करती है। उसके ऊपर उगने वाली सूईनुमा घास को वह एकत्रित करती जाती है।
एक साल बाद फिर करवा चौथ का दिन आता है।
उसकी सभी भाभियां करवा चौथ का व्रत रखती हैं। जब भाभियां उससे आशीर्वाद लेने आती हैं तो वह प्रत्‍येक भाभी से ‘यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो’ ऐसा आग्रह करती है, लेकिन हर बार भाभी उसे अगली भाभी से आग्रह करने का कह चली जाती है।

इस प्रकार जब छठे नंबर की भाभी आती है तो करवा उससे भी यही बात दोहराती हैं। यह भाभी उसे बताती है कि चूंकि सबसे छोटे भाई की वजह से उसका व्रत टूटा था अत: उसकी पत्‍नी में ही शक्ति है कि वह तुम्‍हारे पति केा दोबारा जीवित कर सकती है, इसलिए जब वह आए तो तुम उसे पकङ लेना और जब तक वह तुमहारे पति को जिंदा न कर दे, उसे नहीं छोङना। ऐसा कह कर वह चली जाती है।

सबसे अंत में छोटी भाभी आती है। करवा उनसे भी सुहागिन बनने का आग्रह करती है, लेकिन वह टालमटोली करने लगती है। इसे देखकर करवा उन्‍हें जोर से पकङ लेती है और अपने सुहाग को जिंदा करने के लिए कहती है। भाभी उससे छुङाने के लिए नोचती है, खसोटती है, लेकिन करवा नहीं छोङती है।

अंत में उसकी तपस्‍या को देख भाभी पसीज जाती है और अपनी छोटी अंगुली को चीरकर उसमें से अमृत उसके पति के मुंह में डाल देती है। करवा का पति तुरंत श्रीगणेश –श्रीगणेश कहता हुआ उठ बैठता है। इस प्रकार प्रभु कृपा से उसकी छोटी भाभी के माध्‍यम से करवा को अपना सुहाग वापस मिल जाता है।


हे श्रीगणेश माँ गौरी जिस प्रकार करवा को चिर सुहागन का वरदान आपसे मिला हे, वैसा ही सब सुहागिनों को मिले। 
करवा चौथ की व्रत कथा करवा चौथ की व्रत कथा Reviewed by Kahaniduniya.com on अक्तूबर 17, 2019 Rating: 5

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