वह अपाहिज फिर हवाबाजी करने लगा


ओश्‍चेव रूस का एक प्रसिद्ध हवाबाज था। उसके मित्र तथा अधिकारी उसके करतब देखकर दांतों तले अंगुली दबा लेते थे। ओश्‍चेव को स्‍वयं पर और ईश्‍वर पर अटूट विश्‍वास और श्रद्धा थी। वह मानता था कि उस महान सत्ता का एक पूर्ण अंश उसके भीतर विद्यमान है और उसके बल पर वह बहुत कुछ कर सकता हैं।
एक बार दुश्‍मनों से टक्‍कर लेते हुए उसके हवाई जहाज का इंजन खराब हो गया और वह एक छोटी-सी पहाङी से टकरा गयां। ओश्‍चेव बुरी तरह घायल हो गया। उसके दोनों पेर काटने पङे। उसके सभी मित्र यह देखकर रो पङे। एक ने रोते हुए कहा-अब हम तुम्‍हें जहाज उङाते हुए कभी नहीं देख सकेंगे। तब ओश्‍चेव मुस्‍कुराकर बोला-उङान भरने के लिए ही तो ईश्‍वर ने मुझे जिंदा रखा है वरना तो मैं मर ही गया होता। सभी ने समझा कि झूठी तसल्‍ली से स्‍वयं को बहला रहा है, किंतु अस्‍पताल से बाहर आते ही ओश्‍चेव ने नकली पैर लगवाए ओर दिन-रात चलने का अभ्‍यास करने लगा। मित्रों ने उसे समझाया कि कि घाव पुन: हरे न हो जाएं, किंतु वह समय नष्‍ट नहीं करना चाहता था। मित्रों ने उसे पागल समझकर पूछा-किस बूते पर अब तुम हवाबाजी करोगे? उसने जवाब दिया मेरा विश्‍वास और श्रद्धा मेरे साथ है। शीघ्र ही वह छङी के बगैरतेजी से चलने लगा। उसका करिश्‍मा देखकर उसे वापस सेना में ले लिया गया और एक बार फिर उसने दुश्‍मनों के छक्‍के छुङा दिए। श्रद्धा और विश्‍वास के बल पर अपाहिज ओश्‍चेव फिर से हवाबाजी करने लगा।


घटना का निहितार्थ यह है कि स्‍वयं पर विश्‍वास और ईश्‍वर पर श्रद्धा रखकर जो भी कार्य किए जाएं, उनमें सफलता अवश्‍य मिलती है। अत: अपनी शक्ति, योग्‍यता और सामर्थ्‍य को पहचानें और अपने सपनों को पूरा करने का हौसला जिंदा रखें। अटूट संकल्‍प के साथ किया काम निष्‍फल नहीं होता।



उत्तम विचार – जिस सोच से समस्‍या पैदा हुई, उसी के इस्‍तेमाल से समस्‍या को हल नहीं किया जा सकता। 
वह अपाहिज फिर हवाबाजी करने लगा वह अपाहिज फिर हवाबाजी करने लगा Reviewed by Kahaniduniya.com on सितंबर 24, 2019 Rating: 5

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