निर्भीकता से ही संपन्‍न होते हैं महान कार्य


उस दिन कानपुर के एक देशभक्‍त प्‍यारेलाल अग्रवाल के यहां चंद्रशेखर आजाद ठहरे हुए थे। अग्रवाल देश की आजादी के लिए काफी प्रयत्‍नशील थे। उनकी विशाल हवेली आजादी की लङाई लङने वालों का बसेरा थी। उस दिन त्‍योहार था। श्री एवं श्रीमती तारावती अग्रवाल के रिश्‍तेदार भी मौजूद थे। अग्रवाल आजाद से बातें कर ही रहे थे कि खबर मिली पुलिस ने घर को चारों और से घेर लिया है। सभी लोगों के चेहरे की रौनक गायब हो गई, किंतु आजाद के मुख पर शिकन तक नहीं आर्इ। उन्‍होंने मुस्‍कुराकर कहा-सब ठीक होगा, आप लोग चिंता न करें। श्री अग्रवाल ने चिंतित स्‍वर में कहा-मेरे घर मे पुलिस आपको……नहीं……नहीं मैं ऐसा कभी नहीं होने दूंगा। भले ही मेरे प्राण आपकी रक्षा में समर्पित हो जाएं।

आजाद ने हंसते हुए कहा-भाई साहब इसकी जरूरत ही नहीं होगी। मैं आराम से निकल जाउंगा। लाइए, जाने से पहले मैं मिठाई तो खा लूं। देखने वालों ने आजादी के उस सिपाही के चेहरे पर असीम धैर्य, बल और साहस के दर्शन किए जो चारों ओर से पुलिस से घिरकर भी नहीं घबरा रहा था। मिठाई खाकर आजाद ने सिर पर अंगोछा बांधा और मिठाई का टोकरा सिर पर रखकर नौकर का वेश बनाया, फिर बोले-तारा भाभी अब आप मिठाई बांटने मेरे साथ चलिए। बाहर आकर तारावतीजी ने दरोगा को मिठाई खिलाई, फिर तलाशी लेने को कहा। दरोगा को शक ही नहीं हुआ और उसने उन्‍हें जाने दिया। आजाद तत्‍काल निकल गए।



वस्‍तुत: महान कार्य निर्भीकता से ही सपन्‍न होते हैं। भय से आत्‍मशक्ति का ह्रास होता है, जबकि साहस मौजूदा शक्ति को अपरिमित कर देता है। 
निर्भीकता से ही संपन्‍न होते हैं महान कार्य                      निर्भीकता से ही संपन्‍न होते हैं महान कार्य Reviewed by Kahaniduniya.com on सितंबर 21, 2019 Rating: 5

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