माँ शैलपुत्री आरती
माँ शैलपुत्री
आरती
शैलपुत्री मां बैल असवार
करें देवता जय जयकार।।
शिव शंकर की प्रिय भवानी
तेरी महिमा किसी ने ना जानी।।
पार्वती नू उमा कहलावे
जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।।
ॠद्धि-सिद्धि परवान करे
नू दया करे धनवान करे तू।।
सोमवार को शिव संग प्यारी
आरती तेरी जिसने उतारी।।
उसकी सगरी आस पूजा
दो सगरे दुख तकलीफ मिला दो।।
घी का सुंदर दीप जला के
गोला गरी का भोग लगा के ।।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं
प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।।
जय गिरिराज किशोरी अंबे
शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।।
मनोकामना पूर्ण कर दो
भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।।
मां ब्रह्माचारिणी आरती
मां ब्रह्माचारिणी
आरती
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा
जिसको जपे सकल संसारा।।
जय गायत्री वेद की माता
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।।
कमी कोई रहने न पाए
कोई भी दुख सहने न पाए।।
उसकी विरति रहे ठिकाने
जो तेरी महिमा को जाने।।
रूद्राक्ष की माला ले कर
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कार।।
आलस छोङ करे गुणगाना
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम
पूर्ण करो सब मेरे काम।।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी
रखना लाज मेरी महतारी।।
माँ चंद्रघंटा आरती
माँ चन्द्रघंटा
आरती
जय माँ चन्द्रघंटा सुख धाम
पूर्ण कीजो मेरे काम।।
चन्द्र समान तू शीतल दाती
चन्द्र तेज किरणों में समाती।।
क्रोध को शांत बनाने वाली
मीठे बोल सिखाने वाली।।
मन की मालक मन भाती हो
चन्द्र घंटा तुम वरदाती हो।।
सुंदर भाव को लाने वाली
हर संकट में बचाने वाली।।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाय।।
मूर्ति चंदर आकार बनाये
सन्मुख घी की ज्योत जलाये।।
शीश झुका कहे मन की बाता
पूर्ण आस करो जगदाता।।।
कांची पुर स्थान तुम्हारा
करनाटिका मे मान तुम्हारा।।
नाम तेरा रटू महारानी
चमन की रक्षा करो भवानी।।
माँ कुष्माण्डा की आरती
माँ कुष्मांडा
आरती
कुष्मांडा जय जग सुखदानी
मुझ पर दया करो महारानी।।
पिंगला ज्वालामुखी निराली
शाकम्बरी माँ भोली भाली।।
लाखो नाम निराले तेरे
भगत कई मतवाले तेरे।।
भीमा पर्वत पर है डेरा
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा।।
संब की सुनती हो जगदम्बे
सुख पौचाती हो माँ अम्बे।।
तेरे दर्शन का मै प्यासा
पूर्ण कर दो मेरी आशा।।
माँ के मन मै ममता भारी
क्यों ना सुनेगी अर्ज हमारी।।
तेरे दर पर किया है डेरा
दूर करो माँ संकट मेरा।।
मेरे कारज पुरे कर दो
मेरे तुम भंडारे भर दो।।
तेरा दास तुझे ही ध्यावे
चमन तेरे दर शीश झुकाए।।
स्कंदमाता आरती
स्कंदमाता
आरती
जय तेरी हो स्कंद माता
पांचवां नाम तुम्हारा आता।।
सबके मन की जानन हारी
जग जननी सबकी महतारी।।
तेरी जोत जलाता रहू मैं
हरदम तुझे ध्याता रहू मैं।।
कई नामों से तुझे पुकारा
मुझे एक है तेरा सहारा।।
कही पहाङो पर है डेरा
कई शहरों में तेरा बसेरा।।
हर मंदिर में तेरे नजारे
गुण गाए तेरे भक्त प्यारे।।
भक्ति अपनी मुझे दिला दो
शक्ति मेरी बिगङी बना दो।।
इंद्र आदि देवता मिल सारे
करे पुकार तुम्हारे द्वारे।।
दुष्ट दैत्य जब चढ कर आए
तू ही खंडा हाथ उठाए।।
दासों को सदा बचाने आयी
भक्त की आस पुजाने आयी।।
माँ कात्यायनी आरती
माँ कात्यायनी
आरती
जय जय अम्बे जय कात्यानी
जय जगमाता जग की महारानी।।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा
वहा वरदानी नाम पुकारा।।
कई नाम है कई धाम है
यह स्थान भी तो सुखधाम है।।
हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी
कही योगेश्वरी महिमा न्यारी।।
हर जगह उत्सव होते रहते
हर मंदिर में भगत है कहते।।
कत्यानी रक्षक काया की
ग्रंथि काटे मोह माया की।।
झूठे मोह से छुडाने वाली
अपना नाम जपाने वाली।।
ब्रहस्पतिवार को पूजा करिए
ध्यान कात्यानी का धरिये।।
हर संकट को दूर करेगी
भंडारे भरपूर करेगी।।
जो भी माँ को ‘चमन’ पुकारे
कात्यानी सब कष्ट निवारे।।
माँ कालरात्रि आरती
माँ कालरात्रि
आरती
कालरात्रि जय-जय महाकाली
काल के मुह से बचाने वाली।।
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा
महाचंडी तेरा अवतार।।
पृथ्वी और आकाश पे सारा
महाकाली है तेरा पसारा।।
खडग खप्पर रखने वाली
दुष्टों का लहू चखने वाली।।
कलकत्ता स्थान तुम्हारा
सब जगह देखूं तेरा नजारा।।
सभी देवता सब नर-नारी
गावें स्तुति सभी तुम्हारी।।
रक्तदंता और अन्नपूर्णा कृपा करे
तो कोई भी दु:ख ना।।
ना कोई चिंता रहे बिमारी
ना कोई गम ना संकट भारी।।
उस पर कभी कष्ट ना आवें
महाकाली माँ जिसे बचाबे।।
तू भी भक्त प्रेम से कह
कालरात्रि माँ तेरी जय।।
माँ महागौरी आरती
माँ महागौरी
आरती
जय महागौरी जगत की माया
जया उमा भवानी जय महामाया।।
हरिद्वार कनखल के पासा
महागौरी तेरी वहां निवासा।।
चंद्रकली ओर ममता अंबे
जय शक्ति जय जय माँ जगंदबे।।
भीमा देवी विमला माता
कौशिकी देवी जग विख्याता।।
हिमाचल के घर गौरी रूप
तेरा महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।।
सती (सत) हवन कुंड में था जलाया
उसी धुएं ने रूप काली बनाया।।
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया
तो शंकर ने त्रिशुल अपना दिखाया।।
तभी माँ ने महागौरी नाम पाया
शरण आनेवाले का संकट मिटाया।।
शनिवार को तेरी पूजा तो करता
माँ बिगङा हुआ काम उसका सुधरता।।
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो
महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो।।
माँ सिद्धिदात्री आरती
माँ सिद्धिदात्री
आरती
जय सिद्धिदात्री नू सिद्धि की दाता
तू भक्तो की रक्षक तू दासो की माता।।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।।
कठिन काम सिद्ध कराती हो तुम
जो भी हाथ सेवक के सर धरती हो तुम।।
तेरी पूजा मैं तो न कोई विधि है
तू जगदम्बें दाती तू सर्वसिद्धि है।।
रविवार को तेरा सुमरिन करे जो
तेरी मूर्ति को ही मन मैं धरे जो।।
तू सब काज उसके कराती हो पूरे
कभी काम उस के रहे न अधूरे।।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया
रखे जिसके सर पैर मैया अपनी छाया।।
सर्व सिद्धि दाती है भागयशाली
जो है तेरे दर का ही अम्बें सवाली।।
हिमाचल है पर्वत जहाँ वास तेरा
महा नंदा मंदिर मैं है वास तेरा।।
मुझे आसरा है तुम्हारा
ही माता
वंदना है सवाली तू जिसकी
दाता।।
नवरात्रि माँ की आरती
Reviewed by Kahaniduniya.com
on
सितंबर 29, 2019
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