आज के राजनीतिज्ञों को शास्‍त्रीजी का संदेश


बात उन दिनों की हे जब लालबहादुर शास्‍त्री उत्‍तर प्रदेश के गृहमंत्री थे। कई लोग उनसे भेंट करने आया करते थे। शास्‍त्रीजी सभी से अत्‍यंत स्‍नेहपूर्वक मिलते और यथासंभव समस्‍याओं का समाधान करते। एक दिन वे अपने कार्यालय में बैठे कुछ आवश्‍यक कार्य निपटा रहे थे, तभी चपरासी ने आकर सूचना दी कि उनके कोई मित्र मिलने आए हैं।
शास्‍त्रीजी ने मित्र को तत्‍काल बुला भेजा। उन्‍होंने मित्र के यथोचित सत्‍कार के पश्‍चात उससे अपने का कारण पूछा, तो वह बोला-मेरे बेटे को थानेदार का पद इसलिए नहीं दिया जा रहा है क्‍योंकि तय मापदंड से उसकी उंचाई आधा इंच कम है। यदि आप सिफारिश कर दें तो मेरा काम बन जाएगा। शास्‍त्रीजी कुछ देर मौन रहे, फिर बोले-यदि तुम्‍हारे पुत्र का कद छोटा है तो वह थानेदार नहीं बन सकता। यह सून मित्र रूष्‍ट होकर बोला-वाह शास्‍त्रीजी आप भी तो बिलकुल नाटे कद के हैं तब भी प्रदेश के गृहमंत्री बन बैठे हैं और मेरा बेटा आधा इंच कम उंचा होने से थानेदार भी नहीं बन सकता। यह तो सरासर अन्‍याय है। उसकी बात सुनकर शास्‍त्रीजी मुस्‍कुराते हुए बोले-आप ठीक ही कहते हैं। मैं नाटे कद का हूं इसलिए गृहमंत्री तो बन सकात हूं किन्‍तु थानेदार किसी भी सूरत में नहीं बन सकता। हां, किसी दिन वह गृहमंत्री अवश्‍य बन सकता है। मेरी शुभकामनाएं उसके साथ हैं। शास्‍त्रीजी के प्रत्‍युत्‍तर पर मित्र निरूत्‍तर हो गया। अपने जवाब से उन्‍होंने दर्शा दिया कि नियम सभी के लिए समानहैं और पद के दुरूपयोग के लिए वे कतई तैयार नहीं है।

सार – नियम सबके लिए समान होने चाहिए। नियमों केा पद की उच्‍चता व निम्‍नता से सदैव मुक्‍त रखा जाना चाहिए। स्‍वच्‍छ राजनीति ही असली राजनीतिज्ञ की पहचान है।


उत्‍तम विचार – अपने समय को सर्वोत्‍तम ढंग से प्रयोग करने के लिए बङी शक्ति की जरूरत होती है। 
आज के राजनीतिज्ञों को शास्‍त्रीजी का संदेश                      आज के राजनीतिज्ञों को शास्‍त्रीजी का संदेश Reviewed by Kahaniduniya.com on सितंबर 14, 2019 Rating: 5

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