जब अब्राहम लिंकन शत्रु सेना शिविर में पहुंचे


उस समय अमरीका में गृहयुद्व चल रहा था और राष्‍ट्रपति थे अब्राहम लिंकन। लिंकन मानव मात्र के प्रति प्रेम रखते थे। शत्रु-मित्र की संकीर्ण भावना से वे कोसो दूर थे। एक दिन सायंकाल वे अपने सैनिकों के शिविर में गए। वहां सभी का हालचाल पूछा और काफी समय सैनिकों के साथ बिताया। घायल सैनिकों से बातचीत कर उनमें उत्‍साह जागृत किया।
जब वे शिविर से बाहर आए तो अपने साथ्‍ज्ञ के लोगों से कुछ बातचीत की और किसी की प्रतीक्षा किए बगैर शत्रु सेना के शिविर मे जा पहुंचे। वहां के सभी सैनिक व अफसर लिंकन को अपने मध्‍य पाकर हैरान रह गए। लिंकन ने उन सभी से अत्‍यंत स्‍नेहपूर्वक वार्तालाप किया। उन सभी को यह बङा अजीब लगा, किंतु वे तो सभी उनके सम्‍मान मे उठकर खङे हो गए। लिंकन ने उन सभी का अभिवादन किया और अपनी कार में बैठने लगे। तभी वहां खङी एक वृद्वा ने कहा-तुम तो अपने शत्रुओं से इतने प्रेम से मिलते हो, जबकि तुम में तो उन्‍हें समाप्‍त कर देने की भावना होनी चाहिए। तब लिंकन मुस्‍कुराकर बोले-यह कार्य मैं उन्‍हें मित्र बनाकर भी कर सकता हूं।

सारांश यह है कि मित्रता बङी से बङी शत्रुता का अंत कर देती है। यदि शत्रु के प्रति बेर भाव रखा जाए तो शत्रुता पीढी दर पीढी बढती चली जाती है, क्‍योंकि ऐसे में संवाद के सभी द्वार बंद हो जाते हैं और जब संवाद ही नहीं होगा तो मित्रता होने का प्रश्‍न ही नहीं उठता। अत: बेहतर यही है कि अपने ह्रदय को विशाल कर शत्रु के प्रति उदारवादी रवैया अपनाया जाए।


उत्‍तम विचार – दूसरों के अवगुण न देखना ही सबसे बङा गुण है। 
जब अब्राहम लिंकन शत्रु सेना शिविर में पहुंचे                   जब अब्राहम लिंकन शत्रु सेना शिविर में पहुंचे Reviewed by Kahaniduniya.com on सितंबर 15, 2019 Rating: 5

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