एक दिन अकबर ने बीरबल से प्रश्न
किया-हमारे राज्य में आंखें होते हुए भी अंधों की संख्या कितनी है? बीरबल ने कहा-हुजूर
मैं आपको निश्चित संख्या तो नहीं बता सकता, लेकिन यह तय है कि अपने राज्य में
अंधों की अपेक्षा आंख वाले अंधों की संख्या ज्यादा है। अकबर ने इसे प्रमाणित
करने को कहा। बीरबल ने दो दिन में प्रमाण सहित सिद्ध करने का दावा किया। दूसरे दिन
सुबह बीरबल ने अपने घर के पास वाले रास्ते पर एक चारपाई बिछा दी। चारपाई बुनी हुई
नहीं थी,
इसलिए बीरबल वही बैठकर बुनने लगे। उन्होंने एक आदमी को कागज और कलम देकर
अपने पास बैठा लिया। देखते ही देखते पूरे शहर में यह बात फैल गई कि बीरबल रास्ते
में बैठकर स्वयं चारपाई बुन रहा है। लोग वहां आते और बीरबल से पूछते-अरे बीरबल।
आप यह क्या कर रहे हैं? बीरबल कोई जवाब न देकर प्रश्न पूछने वाले आदमी का नाम
पास बैठकर कागज-कलम लिए व्यक्ति को लिखवा देता। धीरे-धीरे यह सूची काफी लंबी हो
गई। बादशाह तक इसकी सूचना पहुंची तो वे बीरबल को देखने आए। उन्होंने भी वही प्रश्न
किया और बीरबल ने सूची में उनका नाम सबसे उपर लिखवा दिया। अकबर ने सारा माजरा पूछा
तो बीरबल बोला-आप सहित सभी देख सकते हैं कि मैं यहां बैठकर चारपाई बुन रहा हूं।
फिर भी सभी ने मुझसे पूछा कि मैं क्या कर रहा हूं? हुए न आप सभी आंख वाले अंधे।
बादशाह ने अपनी भूल स्वीकार कर बीरबल को इनाम दिया।
शिक्षा का औपचारिक प्रमाण कई लोगों के पास
होता है किंतु ज्ञान का प्रयोग सही स्थान और समय पर करने वाला व्यक्ति ही सच्चा
ज्ञानी होता है।
उत्तम विचार – चिंता करना
व्यर्थ है। चिंता से रूप, बल और ज्ञान का नाश हो जाता है।
जब बीरबल ने अकबर को आंख वाला अंधा बताया
Reviewed by Kahaniduniya.com
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सितंबर 21, 2019
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