आचार्य विनोबा भावे को एक बार किसी
विद्यालय में व्याख्यान के लिए बुलाया गया। विनोबाजी का मानना था कि छात्रों को
सही दिशा दी ाजए तो देश का विकास भी उचित दिशा में होता हैं वे सहर्ष उस विद्यालय
में गए और छात्रों को अत्यंत प्रेरक उद्बोधन दिया। छात्र विनोबाजी को सुनकर काफी
प्रभावित हुए। जब उनका व्याख्यान समाप्त हुआ तो कुछ छात्र उनसे मिलने आए। सहज
वार्तालाप के दोरान विनोबाजी ने छात्रों को कागज के कुछ टुकङे देकर कहा-इन टुकङों
से आप लोग भारत का नक्शा बनाएं। बहुत दिमागी कसरत के बाद भी छात्र भारत का नक्शा
नही ंबना सके। एक युवक वहीं बैठा यह सब देख रहा था। वह उठकर विनोबाजी के पास आया
और बोला-मैं भारत का नक्शा बना सकता हूं। विनोबाजी की अनुमति मिलने पर युवक ने उन
टुकङों में एक ओर भारत का नक्शा बना हुआ है जबकि दूसरी और आदमी का चित्र है। जब
मैंने आदमी के चित्र वाले कागज के टुकङों को जोङा तो भारत का नक्शा स्वत: बन गया। तब विनोबाजी ने कहा-यदि हमें देश
में एकता लानी है तो पहले देशवासियों को एक करना होगा। जब देशवासी एक हो जाएंगे तो
देश स्वत: एक हो जाएगा।
सच ही है कि एकता में बङा बल हैं। यदि हम
विभिन्न धर्म, संप्रदाय या वर्ग में विभक्त न हों और एक-दूसरे को देशबंधु के रूप
में देखें तो हमारा राष्ट्र उन्नति के शीर्ष सोपान पर खङा होगा और एक महाशक्ति
के रूप में स्थापित होगा।
कागज के टुकङों से दिया विनोबाजी ने बङा संदेश
Reviewed by Kahaniduniya.com
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सितंबर 15, 2019
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