यूनान के देव़ी मंदिर में वर्ष में एक बार
भारी भीङ जमा होती थी। ऐसा माना जाता है कि उस दिन देवी जागृत होती है और पूछे
जाने वाले सभी प्रकार के संतुष्टि प्रदायक उत्तर देती है। एक बार इसी अ वसर पर
मंदिर के सभागृह में काफी लोग एकत्रित हुए। पुजारी ने विधि-विधान से पूजा की और
फिर देवी के जागृत होने का उदघोष किया। उपस्थित जनसमुदाय ने देवी को प्रणाम करते
हुए अपनी-अपनी जिज्ञासाएं उनके सामने रखनी आरंभ की। कोई अपने भविष्य को लेकर
प्रश्न कर रहा था तो कोई परिवार के विषय में जिज्ञासु था। किसी ने देश और समाज से
संबंधित प्रश्न पूछे। इसी क्रम में किसी ने पूछा-इस समय यूनान मे सबसे बुद्धिमान
व ज्ञानी पुरूष कौन है? देवी ने उत्तर दिया-सुकरात। यह सुनकर कुछ लोग सुकरात के
पास गए। तब सुकरात बोले-मैं तो अज्ञानी हूं। वैसे ज्ञान प्राप्त करने की मेरी
जिज्ञासा अवश्य है। यह सुनकर लोग पुन: देवी के पास जाकर बोले-सुकरात तो ज्ञानी
होने से इनकार कर रहे हैं। फिर हम किसे यूनान का सबसे बङा ज्ञानी मानें? देवी ने
कहा-यही तो सबसे बङे ज्ञानी की पहचान है कि उसे ज्ञान का अहंकार नहीं होता। वह स्वयं
को अज्ञानी मानता रहता है। इसलिए आज यूनान के सबसे बङे ज्ञानी सुकरात ही हैं। यह
कहकर देवी शांत हो गई।
सार यह है कि ज्ञानी बनने की इच्छा रखने
वालों को अज्ञान के प्रति जिज्ञासु और ज्ञान के प्रति अभिमान से रहित होना चाहिए।
तभी वह अपने ज्ञान का उपयोग स्वयं और समाज के हित में कर पाएगा।
उत्तम विचार – मजबूर होने के बजाए मजबूत
बनो।
देवी ने माना सुकरात को सबसे बुद्धिमान व ज्ञानी पुरूष
Reviewed by Kahaniduniya.com
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सितंबर 24, 2019
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