फकीर का तोता अकबर बीरबल हिन्दी कहानी : |
Fakir's parrot Akbar Birbal Hindi story: बादशाह अकबर के दरबार के नवरत्नों में से एक बीरबल का होशियारी और हाजिरजवाबी में कोई सानी नहीं था। गरीबों से बीरबल को बड़ी हमदर्दी थी और वे उनकी मदद करने का कोई मौका हाथ से जाने नहीं देते थे।
यही कारण था कि गरीबों और आम जनता के बीच बीरबल बहुत लोकप्रिय थे। एक बार बादशाह का एक नौकर भागता हुआ बीरबल के पास आया। उसके माथे से पसीना टपक रहा था और उसे देखकर ही लग रहा था कि वह बहुत परेशान है।
‘‘क्या हुआ, सीताराम?’’ बीरबल ने उससे पूछा। सीताराम उस नौकर का नाम था। उसने बताया, ‘‘कुछ दिनों पहले बादशाह सलामत ने मुझे एक तोता दिया था। वह तोता बादशाह सलामत को एक ऐसे फकीर ने तोहफे में दिया था, जिसे वे बहुत मानते थे।
उनका हुक्म था कि तोते की देखभाल में किसी तरह की कसर नहीं छूटनी चाहिए। उन्होंने कहा था कि जो कोई भी उन्हें उस तोते के मर जाने की खबर सुनाएगा, उसे वे फाँसी पर लटका देंगे।
‘‘और अब वह तोता मर गया है! यही न?’’ बीरबल मुस्कुराते हुए बोले। ‘‘आपको कैसे पता?’’ सीताराम ने आश्चर्य से पूछा। ‘‘हम तो उड़ती चिड़िया के पर गिनने वालों में है।’’
बीरबल हँसे। ‘‘हुजूर, मुझे बचा लिजिए। मेरी भरसक कोशिश के बाद भी वह तोता अचानक बीमार पड़ गया। इसके पहले कि मैं हकीम साहब से उसके लिए दवा ला पाता, वह मर गया। खुद तो भगवान को प्यारा हो गया, मगर मेरी जान सांसत में डाल गया।
अब मैं बादशाह के गुस्से से कैसे निपटूगा?’’ सीताराम एक ही साँस में कहता चला गया। डर के कारण उसकी हालत खराब हो रही थी। ‘‘तुमने ठीक से देख लिया है न कि वह मर गया है?
कहीं ऐसा तो नहीं कि वह झपकी ले रहा हो और तुमने समझा हो कि वह मर गया है?’’ बीरबल ने पूछा। ‘‘नहीं, नहीं, हुजूर, वह जिंदा नहीं है। यह बात पक्की कर लेने के बाद ही मैं आपके पास आया हूँ।’’ सीताराम ने बताया।
अब बीरबल गम्भीर हो उठे। वे सीताराम को भरोसा दिलाते हुए बोले, ‘‘चिंता यहीं छोड़कर सुकून के साथ घर जाओ। बादशाह को उस तोते के मर जाने की खबर मैं सुनाऊँगा।’’
सीताराम को बीरबल पर अटूट विश्वास था। उनके यह कहते ही उसकी सारी चिंता दूर हो गई और वह उन्हें नमस्कार करके अपने घर चला गया। बाद में बीरबल भी निश्चित समय पर बादशाह के दरबार में जा पहुंचे। उस दिन बादशाह अच्छे मूड में दिख रहे थे।
उपयुक्त मौका समझकर बीरबल बादशाह से बोले, ‘‘बंदापरवर, मैं आज ही उस तोते को देखने गया था जो आपको फकीर साहब ने तोहफे में दिया था। सच, फकीर साहब का वह तोता भी किसी फकीर से कम नहीं है।
जब मैं उसके पास पहुँचा, तो वह गम्भीर मुद्रा में लेटा हुआ विचार कर रहा था!’’ बीरबल की बात सुनकर बादशाह हैरानी से बोले, ‘‘तुम जो कुछ कह रहे हो, अगर यह सच है, तो ये बड़ी हैरतअंगेज बात है। वह तोता जरूर कोई अजूबा होगा,
जो फकीरों की तरह सोचता है।’’ यह कहकर बादशाह बीरबल और दूसरे दरबारियों के साथ उस तोते को देखने के लिए नौकर सीताराम के घर की ओर चल पड़े। वहाँ उस तोते को देखते ही वे समझ गए कि तोता मर चुका है।
वे बीरबल से बोले, ‘‘कोई भी इस तोते को देखकर समझ सकता है कि यह मर चुका है।’’ ‘‘तोते के मरने की बात आप ही कह रहे हैं, हुजूर, मैं नहीं।’’ बीरबल बड़े अदब से बोले।
बादशाह अकबर चौंके। उन्हें याद आ गया कि तोते के मरने की खबर देने वाले को उन्होंने क्या सजा देने की बात कही थी। तभी बीरबल ने फिर से कहा, ‘‘हुजूर, जिसका जन्म हुआ है, उसका मरना भी निश्चित है।
फिर इस बात पर किसी को सजा देने की क्या जरूरत है?’’ बादशाह बीरबल के झूठ बोलने का कारण समझ चुके थे। वे बोले, ‘‘मैं सीताराम को माफ करता हूँ। उसे कोई सजा नहीं दी जाएगी। हाँ, मुझसे सीताराम की जान बख्शवाने का इनाम तुम्हें जरूर मिलेगा।’’
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