दाढ़ी पकड़ने की सजा: अकबर, बीरबल हिन्दी कहानियाँ : Punishment for holding a beard: Akbar, Birbal Hindi stories
![]() |
दाढ़ी पकड़ने की सजा: अकबर, बीरबल हिन्दी कहानियाँ |
बादशाह अकबर एक दिन दरबार में पधारे और सिंहासन पर विराजमान होते ही उन्होंने दरबारियों से कहा, ‘आज एक शख्स ने मेरी दाढ़ी खींची है। कहिए, मैं उसे क्या सजा दूं?
यह सुनकर सभी दरबारी हैरान हुए और सोचने लगे कि किसने ऐसी गुस्ताखी की?
आखिर किसकी मौत आई है जो ऐसी जुर्रत कर बैठा। वे परस्पर काना-फूसी करने लगे।
थोड़ी देर में एक दरबारी बोला, - जहांपनाह! कि ऐसी गुस्ताखी करने वाले को हाथी के पैरों तले कुचलवा दिया जाए।’
किसी ने कहा - उस पर कोड़े बरसाएं जाएं,
किसी ने कहा कि उसे जिंदा दीवार में चिनवा दिया जाए। जितने दरबारी, उतनी तरह की बातें। तरह-तरह की सजाएं सुझाई गई।
उनकी बातें सुन कर बादशाह ऊब गए। अंत में उन्होंने बीरबल से कहा, ‘बीरबल, तुम क्या कहते हो? हमारी दाढ़ी खींचने वाले को हमें क्या सजा देनी चाहिए?
बीरबल मंद-मंद मुस्कुराए और बोले ‘जहांपनाह! आप उसे प्यार से मिठाई खिलाइए। इस अपराध की यही सजा है।’
बीरबल का उत्तर सुनकर सारे दरबारी चैंके और उस अंदाज मंे बीरबल का चेहरा देखने लगे, मानो वे पगला गए हों।
जबकि बीरबल के उत्तर से खुश होकर बादशाह ने कहा, ‘वाह-वाह! बीरबल, तुम्हारी बात बिल्कुल सही है।
लेकिन यह तो बताओ कि मेरी दाढ़ी किसने खींची होगी?’
बीरबल ने कहां,-जहांपनाह! छोटे शाहजादे के अलावा ऐसी हिम्मत कौन कर सकता है? उसने तो प्यार से ही ऐसा किया होगा! इसलिए उसे सजा में मिठाई खिलानी चाहिए।
बीरबल की बात सही थी। आज सुबह शाहजादा बादशाह की गोद में बैठा था। खेलते-खेलते उसने बादशाह की दाढ़ी खींची थी। चतुर बीरबल के जवाब से बादशाह खुश हुए।
अन्य सभी दरबारियों, जो इतना भी नहीं सोच पाए कि बाहर का कोई शख्स भला बादशाह की दाढ़ी कैसे खींच सकता है, सभी के सिर शर्म से झुक गए।

कोई टिप्पणी नहीं: