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सबसे बड़ा मनहूस: अकबर-बीरबल हिन्दी कहानियाँ |
एक बार अकबर बिस्तर पर पड़े-पड़े पानी मांगे जा रहे थे। आसपास कोई खास निजी सेवक था नहीं। सो महल का कूड़ा कचरा साफ करने वाले निम्न दर्जे के मामूली नौकर ने हिम्मत कर के बादशाह को पानी का गिलास दिया। अकबर उसे अपने कमरे में देख कर चैक गए। लेकिन प्यास इतनी लगी थी कि वे खुद को रोक नहीं पाए और पानी ले लिया।
तभी वहां अकबर के खास सेवक आ पहुंचे। उन्होने फौरन उस कचरा साफ करने वाले नौकर को कमरे से बाहर कर दिया। और सभी अकबर की चापलूसी करने लगे।
दोपहर हुई तो अकबर का पेट खराब हो गया। हकीम को बुलाया गया। पर फिर भी अकबर की हालत में सुधार नहीं हुआ। अब राज वैद्य आए, उनके साथ राज्य ज्योतिष भी थे। उन्होने कहा की शायद आप पर किसी मनहूस व्यक्ति का साया पड़ा है, इसीलिए आप की तबीयत खराब हुई है।
अकबर बादशाह को तुरंत उस कचरा साफ करने वाले नौकर का ख्याल आया। उन्होंने कहा कि आज सुबह मैंने उस कचरा साफ करने वाले के हाथ से पानी पिया था इसीलिए मेरे साथ यह सब हुआ है। उन्होंने गुस्से में उस नौकर को मौत की सजा दे दी। थोड़ी ही देर में सिपाहीयों ने उस नौकर को कारागार में बंद कर दिया।
बीरबल को जब इस बात का पता लगा तो वह उस नौकर के पास गए और उसे सांत्वना देते हुए कहा कि वह उसे बचा लेंगे।
बीरबल तुरंत अकबर के पास गए और उनका हाल-चाल लिया। तब अकबर ने बताया कि हमारे राज्य का सब से बड़ा मनहूस बीमार कर गया।
यह बात सुन कर बीरबल हंस पड़े। तब अकबर को गुस्सा आया और वह बोले कि तुम्हें मेरी यह हालत देख कर मजा आ रहा है? तो बीरबल ने कहा कि नहीं-नहीं महाराज एक बात पूछनी थी। अगर मैं उस नौकर से बड़ा मनहूस आप को ढूंढ कर दूँ तो आप क्या करेंगे? क्या आप इस नौकर को सजा से मुक्ति दे देंगे? अकबर ने तुरंत बीरबल की यह शर्त मान ली। और पूछा की बताओ उस नौकर से बड़ा मनहूस कौन है?
अब बीरबल बोले, ‘‘उस नौकर से बड़े मनहूस तो आप खुद हैं। उस नौकर के हाथ पानी पीने से आप की तबियत खराब हुई आप बिस्तर पर आ गए। लेकिन उसका तो सोचिए, वह तो आप की प्यास बुझाने आया था। आप की खिदमद कर रहा था। सुबह-सुबह आपकी शक्ल देखने से उसकी तो जान पर बन आई है। उसे तो मौत की सजा मिल गयी। तो इस लिए उस से बड़े मनहूस तो आप हुए। अब आप खुद को मौत की सजा मत दीजिएगा। चूँकि हमस ब आप से बहुत प्यार करते हैं।’’
बीरबल की यह चतुराई भरी बात सुनकर, अकबर बिस्तर पर पड़े-पड़े हंसने लगे। उन्होंने उसी वक्त उस गरीब नौकर को छोड़ देने के आदेश दिये। और उसे इनाम भी दिया। और मनहूसियत का अंधविश्वास सुझाव देने वाले राज्य ज्योतिष को उसी वक्त घोड़े के तबेले में मुनीमगिरी के काम में लगा दिया गया।

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