मनुष्‍य की कीमत


लोहे की दुकान में अपने पिता के साथ काम कर रहे एक बालक ने अचानक ही अपने पिता से पूछा-पिताजी इस दुनिया में मनुष्‍य की क्‍या कीमत होती है?

पिताजी एक छोटे से बच्‍चे से ऐसा गंभीर सवाल सुनकर हैरान रह गये।

फिर वे बोले बेटे एक मनुष्‍य की कीमत आंकना बहुत मुश्किल है, वो तो अनमोल है,

बालक – क्‍या सभी उतना ही कीमती और महत्‍वपूर्ण हैं?
पिताजी – हाँ बेटे,
बालक कुछ समझा नहीं उसने फिर सवाल किया, तो फिर इस दुनिया में कोई गरीब तो कोई अमीर क्‍यों है? किसी की कम रिस्‍पेक्‍ट तो किसी की ज्‍यादा क्‍यों होती है?
सवाल सुनकर पिताजी कुछ देर तक शांत रहे और फिर बालक से स्‍टोर रूम में पङा एक लोहे का रॉड लाने को कहा।



रॉड लाते ही पिताजी ने पुछा – इसकी क्‍या कीमत होगी?

बालक – 200 रूपये,
पिताजी – अगर मैं इसके बहुत से छोटे-छोटे कील बना दू तो इसकी क्‍या कीमत हो जायेगी ?

बालक कुछ देर सोच कर बोला – तब तो ये और महंगा लगभग 1000 रूपये का

पिताजी – अगर मैं इस लोहे से घङी के बहुत सारे स्प्रिंग बना दूँ तो?

बालक कुछ देर गणना करता रहा और फिर एकदम से उत्‍साहित होकर बोला तब तो इसकी कीमत बहुत ज्‍यादा हो जायेगी।

फिर पिताजी उसे समझाते हुए बोले – ठीक इसी तरह मनुष्‍य की कीमत इसमे  नही है की अभी वो क्‍या है, बल्कि इसमे है कि वो अपने आप को क्‍या बना सकता है,

बालक अपने पिता की बात समझ चुका था।


दोस्‍त अक्‍सर हम अपनी सही कीमत आंकने में गलती कर देते है, हम अपनी Present Status  को देख कर अपने आप को Valueless समझने लगते लेकिन हममें हमेशा अथाह शक्ति होती है, हमारा जीवन हमेशा सम्‍भावनाओ से भरा होता है, हमारी जीवन में कई बार स्थितियाँ अच्‍छी नहीं होती है, मनुष्‍य के रूप में हमारा जन्‍म इस दुनिया में हुआ है इसका मतलब है हम बहुत special और important हैं, हमें हमेशा अपने आप को improve करते रहना चाहिये और अपनी सही कीमत प्राप्‍त करने की दिशा में बढते रहना चाहिये। 
मनुष्‍य की कीमत मनुष्‍य की कीमत Reviewed by Kahaniduniya.com on नवंबर 02, 2019 Rating: 5

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